अफ़रोडाइट के जीवन में प्रणय प्रसंगों की कमी नहीं थी । उसकी
सुंदरता अक्सर देवताओं के लिए आसक्ति का कारण बन जाया करती । कहते हैं कि, एक बार
देवताओं के राजा जिउस ने क्रिपोस द्वीप पर अफ़रोडाइट के साथ बलात्कार करने की
कोशिश की थी, लेकिन अफ़रोडाइट उस समय किसी प्रकार से जिउस के इस प्रयास से बच गई
थी । जिउस, अफ़रोडाइट को पाने के लिए तरस रहा था, भले ही वह उसे प्राप्त नहीं हो
रही थी, तब जिउस ने जमीन पर अपने बीज बिखेर दिये । शुरू में अफ़रोडाइट देवता जिउस से
बचकर भागती रही और वह उसे पकड़ नहीं सका, लेकिन जिउस के द्वारा धरती पर की गई प्रेम वर्षा से अफ़रोडाइट
बच नहीं सकी और बाद में उसने स्वेच्छा से जिउस के साथ शारीरिक संबंध बनाए हालांकि
जिउस की पत्नी हेरा, इस प्रेम प्रसंग से अत्यंत क्रुद्ध और ईर्ष्यालु हो गई थी और
उसने अफ़रोडाइट के पेट पर हाथ रखकर, उसकी सभी संतानों को कुरूपता का श्राप दिया,
इसलिए जिउस और अफ़रोडाइट का बच्चा प्रियापोस, बेहद बदसूरत हुआ । इस बच्चे को जन्म
के बाद अफ़रोडाइट ने एक पहाड़ पर फेंक दिया था । जिसे एक चरवाहे द्वारा उठाया गया,
लेकिन चरवाहे ने देखा कि, बच्चे के पृष्ठान्ग पर गुप्तांग उग रहे थे और बच्चा बेहद
कुरूप, मांस के लोथड़े जैसा था । यह एक आश्चर्यजनक घटना थी जोकि, देवी हेरा के
क्रोध और ईर्ष्या की परिणति मानी जायेगी ।
अफ़रोडाइट ने देवलोक की व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिउस, जोकि
देवताओं का राजा और पिता तुल्य है, के अपंग पुत्र शिल्पी देव हेफिस्टोस के साथ
वैवाहिक संबंध स्वीकार कर लिया था, जबकि, उस समय वह एरेस से प्रेम करती थी, लेकिन उसने,
जिउस की पत्नी, और जन्म के फ़ौरन बाद अपने अपंग पुत्र हेफिस्टोस का वितृष्णा पूर्ण
परित्याग करने वाली मां हेरा को, हेफिस्टोस
के बंधनों से मुक्त कराने के लिए, इस बेमेल वैवाहिक संबंध के लिए, हां कर दी थी,
भले ही यह संबंध अधिक समय तक नहीं चला क्योंकि अफरोडाइट, एरेस के साथ अनैतिक संबंध
रखने के आरोप में पकड़ी गई थी । इसके बाद जिउस ने देवता हेमीज को अफ़रोडाइट से
एकतरफा प्रेम करने और असफल रह जाने के समय दया करते हुए, अफ़रोडाइट की जूतियां,
चोरी करवाईं और हेमीज को सौंप दीं ताकि वह अफ़रोडाइट का भयादोहन करते हुए
अफ़रोडाइट से दैहिक संबंध बना सके ।
यह अजीब सी स्थिति है कि, देवलोक की व्यवस्था और अपनी पत्नी
हेरा की मुक्ति के नाम पर, अपने अपंग पुत्र से अफरोडाइट का ब्याह करा देना और
देवता हेमीज के, अफ़रोडाइट से भयादोहन के आधार पर बनने वाले, दैहिक संबंधों का समर्थक
बनना, देवों के राजा जिउस के अनैतिक कृत्य थे, किंतु जिउस स्वयं भी, अफ़रोडाइट के
प्रति आकर्षित था और उसने अफ़रोडाइट के साथ बलात्कार करने की चेष्टा भी की थी,
यद्यपि अफ़रोडाइट उसके इस प्रयास से सुरक्षित बच निकली थी । यह बेहद गंभीर बात है
कि, जिउस, अफ़रोडाइट के प्रति आसक्त हुआ और यह आसक्ति बलात्कार की सीमा तक जा
पहुंची और जब अफ़रोडाइट वहां से बचकर भाग निकली तो जिउस ने धरती पर अपने आत्म के
बीज बिखेर दिए, जिनके सम्मोहन और प्रेम वर्षा से अफ़रोडाइट बच नहीं सकी । फिर उसने
कालांतर में जिउस के साथ स्वेच्छा से दैहिक संबंध बना लिए, जिसके कारणवश जिउस की
पत्नी देवी हेरा अत्यंत क्रुद्ध हुई और ईर्ष्या से भर गई ।
हेरा ने अफ़रोडाइट के पेट पर हाथ रखते हुए उसकी सभी संतानों
को कुरूपता का श्राप दे दिया था , जिसके फलस्वरूप जिउस और अफरोडाइट का बच्चा,
प्रियापोस बेहद कुरूप और मांस के लोथड़े की तरह से पैदा हुआ, जिसे अफ़रोडाइट ने
देवलोक से धरती लोक के एक पहाड़ के ऊपर फेंक दिया । इस कथा से यह स्पष्ट होता है
कि, देवताओं का राजा जिउस भी अफ़रोडाइट को पाने के लिए देह बल का प्रयोग करता है
और सफल नहीं होने पर सम्मोहन के माध्यम से उसके साथ सहवास के संबंध स्थापित करने
में सफल हो जाता है, भले ही उसकी पत्नी हेरा ने उन दोनो की संतान को कुरूपता का श्राप
दे दिया था । सो इस कथा में, देवता जिउस की, सौंदर्य के प्रति आसक्ति और आसक्ति के
चरमोत्कर्ष के रूप में, देह संसर्ग के उपरान्त, उसकी पत्नी हेरा की ईर्ष्या का
प्रदर्शन देखने को मिलता है, किंतु कथा में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि, अपंग
शिल्पी देव हेफिस्टोस से ब्याह करते ही, अफ़रोडाइट उसकी पुत्र वधु हो गई थी फिर
भी उसने अपनी पुत्र वधु से प्रेम संबंध स्थापित किए और एक बच्चे का पिता भी बना । वह
ना केवल देवताओं का राजा था बल्कि अफ़रोडाइट के लिए ससुर होकर पिता तुल्य भी था,
लेकिन उसने येन केन प्रकारेण दैहिक संसर्ग
का मार्ग चुना...
ये सारे आख्यान देवी अफ़रोडाइट को संबोधित हैं जो लालसा, सुंदरता, प्रसन्नता, प्रेम और प्रजनन की
देवी है, जोकि अपने अनिद्य सौंदर्य के चलते विख्यात रही है । इस देवी के साथ
अनेकों प्रेम कथाएं जुड़ी हुई हैं , अनेकों देवताओं के से लेकर नश्वर मनुष्य तक उसके अल्पावधि अथवा
दीर्घाकालिक यौन संबंध रहे हैं । आमतौर पर अफ़रोडाइट को युद्ध के देवता सेरेस की
पत्नी माना जाता है, लेकिन उसके प्रेम संबंधों की भरमार से ऐसा लगता है कि, ग्रीक
देवी देवताओं को सौंदर्यप्रिय, प्रजननशील और सहवास के उत्सुक, यहां तक कि बलात्कार
की चेष्टा करने वाले देवताओं के रूप में भी स्वीकार किया जा सकता है । कुल मिलाकर
इन कहानियों से कुछ स्पष्ट संकेत मिलते हैं, मिसाल के तौर पर यह कि, ब्रह्माण्ड
में जीवन दो तरह का है, एक धरती पर नश्वर मनुष्यों का जीवन और दूसरे देवलोक तथा
पाताल लोक में अमरत्व प्राप्त देवी देवताओं का जीवन ।
इसके इतर इन कथाओं से यह संकेत भी मिलते भी हैं कि, प्रेम
और यौन संबंधों के सामान्य अथवा असामान्य प्रारूपों में देवता और देवियां, नश्वर
मनुष्यों की तरह की लालसाएं रखते हैं और जीवन जीते हैं । देवी देवताओं और साधारण
मनुष्यों में यौनिक लोलुपताओं, सह जीवन, वैवाहिक प्रणय सम्बन्ध अथवा विवाहेत्तर
अनैतिक सम्बन्ध बहु-पुरुष / देव या
बहु-स्त्री / देवी गामिता का साम्य देखने से, यह भी प्रतीत होता है कि जैसे देवी
देवता, मुनष्यों की मानस संताने हैं और वे मनुष्यों से भिन्न हो ही नहीं सकते ।
अमरत्व प्राप्त देवी देवताओं में मनुष्यों की तरह से वर्जनाओं के उल्लंघन या जीवन
संगी से प्रणय संबंधों में धोखेबाजी के वृत्तांत बहुतायत से कहे गए हैं । अतः
देवत्व का कल्पना लोक, मनुष्यों के वास्तविक भूलोक से मिलता जुलता है । कामुकता इन
दोनों लोकों की प्राथमिक वरीयता है, सो इन कथाओं में मनुष्यों का हस्तक्षेप
स्पष्टतः परिलक्षित है ।