शनिवार, 6 जुलाई 2019

वसंत की वापसी...


एक बार दुष्ट ठंड ने वसंत को आने से रोकने और दुनिया में अपना ही मौसम बनाये रखने के लिए सूरज को गहरे काले बादलों में छुपा दिया और धरती को भारी बर्फ से ढांक दिया। सुबह जब एक छोटे से पहाड़ी गांव के लोग नींद से जागे तो उनके घर बर्फ में डूबे हुए थे,उन्होंने एक दूसरे के घरों तक पहुंचने के लिए बर्फ के नीचे से सुरंगें बनाईं और सोचने लगे कि इस समस्या से कैसे निपटा जाए, अंतत: उन्होंने पितृ तुषार देव से सहायता मांगने का निर्णय लिया जो एक अच्छे देवता थे और सबसे ऊंचे पहाड़ की चोटी में, अपने बर्फ के महल में रहते थे । लेकिन कोई भी व्यक्ति, इस खतरनाक मुहिम में स्वयं जाने का इच्छुक नहीं था । एक बूढ़े ने कहा, अगर मैं बीस वर्ष पहले जितना युवा होता तो वहां ज़रूर चला जाता लेकिन अब शायद ही मैं उस चोटी पर चढ पाऊं । ओह । आप चिंता ना करें, दादा जी, वहां, मैं चली जाऊंगी, एक नन्ही बच्ची ने कहा, वो बच्ची अनाथ थी और उसके माता पिता की मृत्यु हो चुकी थी । अरे नहीं, तुम नहीं, तुम इस सख्त काम के लिए बहुत छोटी हो, तुम्हारे पास तो ढंग के गर्म कपड़े,कोट,दस्ताने, हैट, स्कार्फ़ तक नहीं हैं, पड़ोसी दयावश फुसफुसाए ।नहीं,मैं भयभीत नहीं हूं मेरे पैरपहाड़ी बकरी की तरह से मजबूत हैं  मैं जल्दी ही चोटी पर पहुंच जाऊंगी, नन्ही बच्ची ने कहा । लेकिन तुम बर्फ में जम जाओगी, वहां बर्फीली हवा से बचने के लिए कोई ठिकाना भी नहीं है, बूढ़े ने कहा । लड़की ने दृढ़ता से कहा,ऐसा नहीं होगा मेरे पास, नन्हा लेकिन गर्मजोश दिल है जो सभी के लिए प्यार से भरा हुआ है,यही मुझे बर्फीली हवाओं से बचायेगा । इस पर बूढ़े ने कहा जाओ, मेरी बच्ची, मुझे तुम पर पूरा विश्वास है 

गांव के अन्य बच्चों ने आगे बढ़कर उसे, अपने कोट, दस्ताने, हैट, स्कार्फ, ऊनी मोज़े और जूते दिये ।बच्ची ने अपने नन्हे दोस्तों से अलविदा कहा और तेज तेज क़दमों से चोटी की ओर चल पड़ी । थकान की परवाह किये बिना वो ऊंचे और ऊंचे चढती गई । जल्द ही उसे पर्वत की चमकदार चोटी दिखाई देने लगी । अचानक तेज बर्फीली हवायें चलने लगीं, ऐसे, जैसे कि बर्फीली धरती पर नन्हे क़दमों की आहट ने,उन्हें नींद से जगा दिया हो,उन्मत्त, फुफकारती हुई । मानो कह रही हों, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, हमारी रियासत में घुसने की । चलो, उसे सबक सिखायें, उसे सख्ती से धक्के दें । वो, नन्ही के चारों तरफ पूरी ताकत से घूम रही थीं । लेकिन नन्ही अपने गर्म कोट में लिपटी हुई आगे बढ़ती रही, बहादुरी के साथ । पुरजोश लड़की के सामने, हवायें थकने लगी थीं । जल्द ही वो जमीन पर आ गिरीं, हांफती हुई, लंबी लंबी सांसे लेती हुई । वो बुद्बुदाईं, आह, कितनी मजबूत लड़की है । हम थक गए पर उसका हौसला कम नहीं हुआ । इससे पहले किसी इंसान ने हम को इस तरह से चुनौती नहीं दी । हमें मदद के लिए बहन आंधी को बुलाना होगा । उन्होंने ऐसा ही किया, आंधी, घटनाक्रम सुनकर बेहद नाराज हुईं,उसने कहा, लड़की को इसकी कीमत चुकाना पड़ेगी । वो गरजती हुई लड़की की तरफ बढ़ी । ये एक लंबी और असमान लड़ाई थी...पर लड़की ने अपने हौसले नहीं खोये और जल्द ही आंधी भी थककर जमीन पर गिर पड़ी । शिकस्त से शर्मिंदा आंधी ने कभी खुद को इतना कमज़ोर और डरा हुआ महसूस नहीं किया था,वो चिल्लाई,मां ओ मां,मेरी मदद करो । आर्तनाद सुनकर, उसकी मां, तुषार चुड़ैल फ़ौरन वहां पहुंची । उसने कहा, मैंने सारा घटनाक्रम देखा है । तुम अगर किसी से ताकत से जीत ना पाओ तो उससे दूसरी तरह से निपटो । उसे अच्छे बनकर जीतो  

ओह, क्या विडंबना है, तेज हवाओं और आंधी ने कहा । मां तुषार चुड़ैल ने कहा, हम लड़की से नम्रता और प्रेम से पेश आयेंगे, ताकि वो हमारे असल और दुष्ट मकसद को जान ना पाये । यह सुनकर तेज हवायें और आंधी वहां से चली गईं । अब मां तुषार चुड़ैल एक खूबसरत स्त्री के रूप में लड़की के सामने आयी, उसने चमकदार सुफैद लिबास पहन रखा था उसके सिर पर सुफैद बर्फ के हीरों जैसा मुकुट था । ये कोई चमत्कार है या सपना जो मैं देख रही हूं ? इस खूबसूरत स्त्री का चेहरा, मेरी प्रिय मां से कितना मिलता जुलता है, मुझे तो उसकी मधुर आवाज़ वाली लोरी भी सुनाई दे रही है । मुझे यहां बैठ कर इसे सुनना चाहिये । महल तो पास ही है बमुश्किल एक घंटा लगेगा वहां पहुंचने में, फिर हडबडी क्यों करूं, लड़की बुदबुदाई । लड़की आंखें बंद करके वहीं बैठ गई । मां तुषार चुड़ैल यह देख कर मुस्कराई । उसने कहा, सो जाओ, ओ नन्ही लड़की, सो जाओ सदा सदा के लिए । लड़की को वहीं सोते हुए छोड़ कर, तुषार चुड़ैल बर्फीले पहाड़ पर उड़ गई, वो अपने बच्चों को ये बात बताना चाहती थी कि उसने नन्ही बच्ची को किस तरह से संभाल लिया है । नन्हीं लड़की सो रही थी ।मुस्कराती हुई । लेकिन उसके गुलाबी गाल पहले रक्ताभ हुए फिर नीले और उसके बाद पीले पड़ने लगे । उसके ऊपर धीरे धीरे बर्फ की परतें जम रही थी । अचानक चूं चूं की आवाज करते हुए एक सुफ़ेद चूहा बर्फ की परतों के नीचे घुस आया उसकी काली आंखें उस नन्ही लड़की पर टिक गईं । वो चिंचियाया, ये तो मुसीबत में है । इसके बाद उसने बर्फ की परतों में कई छेद बना डाले और लड़की के हाथ, पैरों में मसाज करने लगा । लेकिन चूहा बहुत छोटा था सो उसकी मेहनत अकारथ जा रही थी इसलिए उसने अपने दोस्त खरगोशों को बुलाने का निर्णय लिया ।

इस बार उसने छेदों को और बड़ा कर दिया, जिनसे होकर अनेकों खरगोश मदद के लिए हाज़िर हो गए। इसी दौरान बर्फ से ढके पाइन के पेड़ों में छुपी अनेकों गिलहरियां भी कूद कर मदद के लिए सामने आ गईं । उन्होंने लड़की को अपनी सुफैद भूरी फर जैसी काया से ढांक दिया और लड़की को गर्म रखने की कोशिश करने लगीं । सारे नन्हे जीव लड़की को अपनी अपने बदन की गर्मी से गर्म रखने का जतन कर रहे थे । थोड़ी देर बाद वो, ये देख कर खुश हो गए कि लड़की के गाल फिर से गुलाबी होने लगे हैं । जल्द ही लड़की ने अपनी आंखें खोल दीं । अपनी जिंदगी बचाने के लिए लड़की ने सारे नन्हें दोस्तों का आभार व्यक्त किया और उन्हें बताया कि वो कहां जा रही है । नन्हें दोस्त ये सुनकर समवेत सुर में चिल्लाये, हम लोग भी इस खत्म ना होने वाली ठण्ड से परेशान हैं, इसलिए हम भी तुम्हारे साथ चलेंगे । वे सभी लड़की के चारों तरफ एक घेरा बना कर बर्फ के महल की ओर बढ़ने लगे । वो लोग हैरान थे कि पितृ तुषार देव को क्या हुआ होगा । उन्होंने महल के भारी भरकम दरवाजे बमुश्किल खोले और नन्हीं लड़की अपने दोस्तों के साथ महल के अंदर दाखिल हो गई ।चमकदार लंबे बर्फीले गलियारे के बाद एक बाद सा क्रिस्टल हाल था, जहां खूबसूरत बर्फ के नक्काशीदार सिंहासन पर पितृ तुषार देव निद्रालीन थे । उनके कपड़े चांदी की रंगत वाले और कढाई किये हुए थे । दो गिलहरियां उन्हें जगाने के लिए उनके ऊपर चढ गईं और उनके मुंह पर अपनी पूंछ का स्पर्श करने लगीं ताकि वो जाग जायें, तभी जोरदार छींक के साथ पितृ देव जाग गए । नन्हें जीव छींक की आवाज़ से डर गए थे । 

पितृ देव ने अपनी नीली आंखें खोलीं और मुस्कराए, उन्होंने पूछा । नन्हे दोस्तो, तुम सब यहां क्या कर रहे हो। लड़की ने पितृ देव को सब हाल सुनाया । ओह, जब मैं सो रहा था तो दुष्ट ठंड धरती को अपने कब्ज़े में लेना चाहती थी, वो वसंत को आने से रोकना चाहती थी । मुझे लगता है कि वो शातिरपन के साथ मुझे मात देकर हमेशा हमेशा के लिए धरती पर रहना चाहती थी, पर मैं उसे ऐसा करने नहीं दूंगा । मुझे जगाने के लिए तुम सभी का शुक्रिया । अब मैं प्रकृति की व्यवस्था बहाल कर दूंगा, हर ऋतु को उसका हिस्सा बराबरी से मिलेगा। फिर उसने अपनी चांदी के रंग वाली सीटी बजाई । जिसे सुनकर उसके सारे अधीनस्थ क्रिस्टल हाल में एकत्रित हो गए । उसने कहा, जाओ दुष्ट ठण्ड को पकड़ कर लाओ और उसे अगले साल तक के लिए महल के कारागार में डाल दो और आसमान से काले बादल हटा दो ताकि सूरज बर्फ को पिघला दे । इसके बाद जब महल के दरवाजे दोबारा खोले गए तो सूरज चमक रहा था । पितृ देव ने वादा किया कि जब भी नन्हों को ज़रूरत पड़ेगी वो मदद के लिए मौजूद रहेगा । नन्हीं लड़की और नन्हे जीवों की घर वापसी बेहद आसान थी, लड़की की वापसी पर ग्रामीणजन बेहद खुश थे, पिघलती बर्फ की बूंदें टपक रही थीं और वसंत खुश खुश बच्चों के गीत सुन रहा था, वो देख रहा था उनके थिरकते क़दमों को...   

ये आख्यान, ऋतु चक्र में पैदा हुए असंतुलन को लेकर, कथन करता है, इस बार शीत ऋतु लम्बी है और सुखद बसंत का आगमन अपेक्षित है / विलंबित हो रहा है, अस्तु शीत ऋतु को खल चरित्र के रूप में संबोधित करते हुए, उससे मुक्ति के उपायों पर लोक चर्चा की जाती है, हालांकि गांव के बड़े बूढ़े, युवा मौखिक संवाद तक सीमित हैं । वे दुष्ट से मुक्ति के नाम पर स्वयं कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहते, बसंत सभी को चाहिये, अति शीत से मुक्ति भी, किन्तु गाल बजाने से आगे बढ़ने और व्यावहारिक मुहिम में सम्मिलित होने के लिए उत्सुक नहीं, उन सभी के पास, अपने तर्क, अपने बहाने हैं । सो आख्यान संकेत ये है कि, सामर्थ्यवान, योग्य होकर भी वे सभी सार्वजनीन हित रक्षण के अगुआ नहीं / सिपाही नहीं । आख्यान कहता है कि एक नन्हीं और अनाथ बच्ची स्वयं को पहाड़ों पर चढ़ने वाली बकरियों जैसा मजबूत कहते हुए, अभियान की बाग़डोर अपने हाथों में लेने की पेशकश करती है । उसके पास शीत से निपटने लायक गर्म कपड़े / उपस्कर नहीं है, किन्तु उसका जोश और ज़ज्बा महत्वपूर्ण है। उसके ह्रदय में सबके लिए प्रेम है । अतः कथा संकेत ये है कि जो प्रेम करेगा, वो कायर,बहाने बाज़ नहीं होगा बल्कि मानवीयता के लिए आहुति देने के लिए सदैव तत्पर होगा । आख्यान प्रतीकात्मक रूप से कहता है कि लड़की अनाथ है, यानि कि सब बंधनों से मुक्त है, कम-ओ-बेश, आगे नाथ ना पीछे पगहा की तर्ज पर, सो उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है,किन्तु पाने के लिए बसंत है।     

लड़की के आगे ऊंचाई है, हौसले हैं और सामने पराजित बर्फीली हवाएं और आंधियां, उसे बल से नहीं जीता जा सका तो, छल से मृत्यु के आगोश में भेजने का यत्न किया गया, जिस लड़की की सहायता के लिए उसके अपने गांव के इन्सान आगे नहीं आये, उसकी सहायता नन्हें सफ़ेद चूहे, खरगोशों और गिलहरियों ने की, अंततः वे भी, अति शीत पीड़ित थे, उन्हें ऋतु परिवर्तन की कामना थी, वे सभी युवाओं और बूढ़ों से बेहतर थे। लड़की की तरह, इन नन्हें जीवों को भी बदलाव के लिए सक्रिय सहयोग देना था । वे समान हित के साधक थे तो उनकी मुहिम भी साझा हुई / एकजुट हुई । उधर पितृ देव गहरी नींद में थे, उन्हें जगाने के लिए गिलहरियों ने अपनी पूंछ का इस्तेमाल किया । पितृ देव सुहृदय हैं, भले हैं, उन्हें लड़की सहित सभी नन्हें जीवों से लगाव है / उनकी फ़िक्र है । वे जानते हैं कि धरती पर बेहतर जीवन के लिए, सभी ऋतुओं के अधिकार एक समान होना चाहिये । वे प्रकृति के संतुलन, ऋतु चक्र के नियंता है, उन्हें पता है कि चरम शीत ने बसंत का मार्ग बाधित किया था । दूसरी ऋतुओं की आधिकारिता में अनुचित हस्तक्षेप किया था, वे पुनः सामान्य ऋतु चक्र बहाल करते हैं और अगले बरस तक चरम शीत को कारागृह में डाल देते हैं इसके अतिरिक्त वे आगत समय के किसी संकट में सहायता के लिए वचनबद्ध हैं । हमारे लिए यह कथन बेहद प्रतीकात्मकता युक्त है, जहां शीत के कारावास की अवधि, अन्य ऋतुओं के काल खंड तक सीमित है, अगले बरस वो फिर लौट आयेगी, किन्तु इस बार दूसरी ऋतुओं के काम काज में दखल दिए बगैर । बहरहाल नन्हीं लड़की और नन्हें जीवों की जय पर बसंत मुग्ध है, गांव मुग्ध है और खुशियां, जिन्हें, नन्हें सुरों और नन्हें क़दमों की थिरकन, सुखानुभूति प्रदान कर रही है...