एक स्कॉटिश युवक बेहद खूबसूरत और बांका जवान था
हालांकि उसे प्रेम और ब्याह करने में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी । उन दिनों सील मछलियां अपनी त्वचा उतार कर युवतियों का रूप
धारण कर सकतीं थी । अक्सर ऐसा होता कि वो एक झुंड के तौर पर समुद्र तट पर आया करती
और अपनी त्वचा उतार कर सजीली युवतियों के रूप में रेतीले तट पर धूप सेंका
करतीं । एक दिन गुडमैन नामक वो युवा टहलते हुए समुद्र तट पर गया जहां उसने सुंदर
युवतियों के समूह को धूप सेंकते पाया । मंत्रमुग्ध होकर,
वह युवतियों की ओर दौड़ा और बिजली की गति से, एक खाल उठा
ली, जिसे युवतियों ने रेत पर छोड़ दिया था । आकस्मिक रूप से घटित इस घटना
क्रम से वो युवतियां हतप्रभ रह गईं और फिर उनमें से ज़्यादातर युवतियां अपनी अपनी
त्वचा लेकर समुद्र की ओर भागने में कामयाब हो गईं
। वो सभी त्वचा पहनकर पुनः सील बनने में सफल हो गईं ।
किन्तु जिस सील की त्वचा युवक ने हथिया ली थी वो रोने लगी, उसने गुडमैन से अपनी त्वचा लौटाने का अनुरोध किया क्योंकि
उसके बिना वो अपने समूह के पास वापस नहीं जा सकती थी । युवक को उस युवती पर दया तो
आई पर उसने अपने अंदर अद्भुत बदलाव महसूस किया । जीवन में पहली बार उसे किसी युवती
से प्रेम हो गया था । उसने युवती को मुक्त करने के बजाए खुद की पत्नि बतौर साथ
रहने के लिए मना लिया । उन दोनों ने लंबे समय तक वैवाहिक जीवन व्यतीत किया ।
उन्होंने सात बच्चे पैदा किए । हालांकि वो युवती हमेशा अपने मूल घर में जाने के
लिए तरसा करती, उसने उस त्वचा की तलाश कभी बंद नहीं की जिसे गुडमैन ने कहीं छिपा
दिया था । कई सालों बाद उसे अपनी पुत्री की सहायता से उसी घर में छिपी हुई खाल मिल
गई । उसने फौरन गुडमैन का परिवार त्याग दिया और वापस समुद्र में चली गई फिर कभी वापस
नहीं आई । गुडमैन जीवन भर पत्नि के वापस लौटने की उम्मीद में जिया किन्तु उसका चेहरा
देखने के लिए तरस गया ।
यह आख्यान स्कॉटलैंड का बहुश्रुत आख्यान है जिसमें इंसानों और अन्य जीवों के
पारस्परिक संबंधों को कुछ इस तरह से दर्शाया गया है जैसे कि अन्य जीव यथा सील
मछलियां इंसानों के जैसी हो सकती हैं, अगर उन्होंने अपनी त्वचा यानि कि कपड़े उतार
दिए हों । इस कथन में त्वचा को कपड़े से जोड़कर देखने में कोई हर्ज नहीं है हालांकि
मछलियों का स्त्री रूप में कायांतरण और सर्द मुल्क में धूप की अहमियत का उल्लेख
महत्वपूर्ण है । वे इंसानों की तरह से रेत में अपने कपड़े रखकर धूप सेंकती हैं और
उन्हें धरती से पानी में वापस जाने के लिए दोबारा उन्हीं कपड़ों की जरूरत पड़ती है ।
वे भी इंसानों की तरह से समूह में रहती हैं चाहे धरती पर या समुद्र में । बहरहाल
हमें मछलियों के कायांतरण को स्कॉटिश भूमि के उस विश्वास से जोड़ कर देखना चाहिए
जहां जादुई कृत्यों को सामाजिक अनुमोदन प्राप्त है । बहुत संभव है कि उन्होंने यह कला
मनुष्यों द्वारा किए जाने वाले मत्स्याखेट से बचने के लिए विकसित की हो ।
गुडमैन सुंदर है पर उसकी दिलचस्पी युवतियों, प्रेम और विवाह में नहीं है । अगर
हम यह कल्पना करें कि मछलियां, वास्तव में
मनुष्यों की तुलना में विजातीय समूह की युवतियां हैं तो गुडमैन की प्रणय उदासीनता का
संबंध कदाचित स्वजातीय युवतियों से है और वो विजातीय सौन्दर्य के प्रति लालायित होकर,
विरक्ति भाव से स्खलित हो जाता है । पानी में रहने के लिए त्वचा की अपरिहार्यता इस
बात से प्रकटित होती है कि समूह की अधिकांश युवतियां अपने मत्स्य रूप को प्राप्त कर
अपनी दुनिया में वापस चली जाती हैं किन्तु जिस युवती के कपड़े युवक ने अपने कब्जे में
ले लिए थे, वो घर वापसी के लिए मिन्नतें करती है, गिड़गिड़ाती है । गुडमैन करुणामय प्रेम
के स्थान पत्निवत प्रेम का आकांक्षी है । उसका प्रेम सहवासोन्मुख है । वो विवश युवती
को इस बात के लिए बाध्य करता है कि युवती उसकी पत्नि बनकर उसके साथ रहे । युवती के
पास उसकी बात मानने के अतिरिक्त क्या विकल्प था ? मिथक का यह अंश पुरुष की स्वार्थपरकता
को उद्घाटित करता है । कपड़ों पर कब्जे के आधार
पर यह एक किस्म का भयादोहन था । जिसे कपड़ों की वापसी तक मान लेना युवती की विवशता थी
।
मिथक से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि पुरुष जो प्रेम के प्रति उदासीन होने का भ्रम
रचता हो मौका मिलते ही युवती का दैहिक शोषण करने से बाज नहीं आता । अगर यह सामान्य
वैवाहिक जीवन, प्रेम और सहवास की कथा होती तो उनके बच्चों की संख्या सात नहीं होती,
यह कम भी हो सकती थी । गुडमैन कपड़ों की चोरी और उन पर अवैध कब्जे के बाद अपनी दैहिकता
के तोष में लग जाता है , कदाचित उसे यह भ्रम रहा हो कि संतान हो जाने के उपरांत युवती,
एक सुहृदय मां की तरह से बच्चों के पास रहेगी । कथनाशय यह कि कपड़े और बच्चे उसकी कामुकता
के शमन का विकल्प सदैव खुला रखेंगे...