महान देवी ने धरती छोड़ने से पहले छै
सिया युवतियों का चयन किया और उनमें से एक को उत्तर, दूसरी को
पश्चिम, तीसरी को दक्षिण और चौथी को पूर्व दिशा में जाने के लिए कहा, पांचवी युवती
को शीर्ष आकाश की ओर तथा छठवीं युवती को गहनतम पाताल की ओर जाने का निर्देश दिया । उसने कहा कि तुम हमेशा हमेशा के लिए इन स्थानों पर अपना घर बनाओ और समस्त
दिशाओं के मेघ शासकों से अपनी सहायता की कामना किया करो । इसके बाद उसने सामान्य सिया लोगों से कहा कि आपको जो भी आवश्यकता हो, वो इन 6
युवतियों से कहें, उन्हें याद रखें ताकि ये युवतियां, उन के
पक्ष में मेघ देवता से अपील कर पाए । इनमें से एक अकेली सिया
युवती ने महान देवी के निर्देश का पालन किया और सीधी सड़क पर चल पडी, जबकि अन्य पांचों
युवतियां भिन्न मार्गों से पृथ्वी के केंद्र की ओर बढ़ी और उन्होंने महान देवी के धरती
लोक से जाने के पश्चात, सुंदर सफेद पत्थरों वाले एक गांव का निर्माण किया और घोषणा
की, कि वे सभी हमेशा यहां रहेंगी।
यही हुआ सिया युवतियां अपने पति के साथ वहां बस गई और उनके घरों में नौनिहाल किलकारियां भरने लगे, हालांकि इस दरम्यान एक दुखद घटना यह हुई कि देवी ति'अमोनी को इस बात पर आपत्ति थी कि, सिया कबीले के लोग तेज गति से जनसंख्या बढ़ा रहे हैं तो उसने सारे नवजात बच्चों को मौत के घाट उतार दिया । सिया लोग अभी आपदा से उबरे भी नहीं थे कि, उनके सामने एक और गंभीर संकट आ खड़ा हुआ । हुआ यह कि, सिया युवतियां पूरे दिन कड़ी मेहनत करतीं, अन्न पीसना, भोजन बनाना और गुनगुनाना वगैरह -वगैरह ऐसे में जब उनके पति शाम होने पर घरों में वापस लौटते तो ये युवतियां, उन्हें अपशब्द कहतीं और कहतीं कि तुम लोग अच्छे नहीं हो, तुम्हें हमारे काम की परवाह नहीं है । तुम हर समय अपने मतलब के लिए पत्नियों के साथ रहना चाहते हो । यह ठीक नहीं है, अगर तुम हमसे दूर रहो तो हम तुम्हारा ज्यादा ध्यान रख लेंगे ।
इस पर पतियों ने प्रतिवाद करते हुए कहा कि, तुम पत्नियां ही पूरे दिन और रात हमारे साथ रहना चाहती हो और तुम कुछ दिन भी हमारे बिना नहीं रह सकती हो, अगर हम साथ नहीं रहे तो तुम दुखी हो जाओगी । पत्नियों ने कहा कि ये तो आप पुरुष हैं जो दुखी होंगे । आप सप्ताह में केवल 4 दिन हमारे साथ रह सकते हैं । इस तरह से उनके बीच झगड़ा बढ़ता गया । पत्नियों ने कहा कि तुम हमसे महीनों दूर रहो, तब भी हम दुखी नहीं होंगे बल्कि हमें प्रसन्नता होगी । पुरुषों ने कहा कि हम दस चन्द्र मास से भी अधिक तुमसे दूर रह सकते हैं और खुश रहेंगे। वे लोग 3 दिन तक झगड़ते रहे चौथे दिन देवी ति'अमोनी की मध्यस्थता में यह तय हुआ कि पुरुष और बालिग़ लड़के यह गांव छोड़कर महान नदी के उस पार जाकर बस जाएंगे और महिलाएं इस गांव में पुरुषों के बिना रहेंगी ।
पत्नियों ने कहा यह ठीक है, हम इनके बिना खुश रहेंगे और
पुरुषों ने कहा कि हम वह सभी काम कर सकते हैं जो महिलाएं करती हैं । उन्होंने महिलाओं से कहा कि हम तुम्हें एक या दो साल या उससे ज्यादा अवधि के
लिए छोड़ने के लिए तैयार हैं क्योंकि हम तुम्हारे जितने कामुक नहीं है । नदी बहुत चौड़ी थी और उसे पार करने में पुरुषों को अधिक समय लगता, तो इस पूरे
समय तक देवी ति'अमोनी ने पुरुषों का नेतृत्व किया और उन्हें नदी के उस पार
पहुंचाया । अगले दो चंद्रमास तक स्त्री और पुरुष बहुत खुश थे । पुरुष शिकार में व्यस्त रहते जो उनके बाएं हाथ का खेल था । लेकिन पत्नियों के पास खाना तक नहीं था । उधर पति खा खाकर मोटे हो रहे थे जबकि इधर युवतियां
पतली होती जा रही थीं, दुबली होती जा रही थीं । जैसे-जैसे एक साल बीता पत्नियां, पतियों के दूर जाने से दुखी होने लगीं ।
दूसरा साल बीतते बीतते पत्नियां, पुरुषों की घर वापसी चाहती थी, हालांकि पुरुष संतुष्ट नजर आ रहे थे । तीसरे साल के बाद पत्नियों को पुरुषों की अधिक से अधिक कामना होने लगी, लेकिन पुरुषों में यह कामना तुलनात्मक रूप से कम थी । जब चौथा साल भी आधा बीत गया तो पत्नियों ने देवी ति'अमोनी को यह कहते हुए बुलाया कि, हम चाहते हैं कि, हमारे पति हमारे पास वापस लौट आएं । हमारी लड़कियां बड़ी हो गई है लेकिन उनके शरीर पर मांस नहीं है । उन्होंने ति'अमोनी से याचना की, जिस के बाद ति'अमोनी ने महिलाओं के साथ नदी पार की और पुरुषों से घर वापसी के लिए कहा । पुरुषों की घर वापसी के पश्चात पत्नियों को उनके हिस्से का मांस मिलने लगा...
यह आख्यान सिया कबीले से संबंधित है जहां एक आदि देवी इस कबीले की छै युवतियों को छै भिन्न दिशाओं में बसने का निर्देश देने के पश्चात धरती को त्याग देती है । यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि, आदि देवी उक्त समुदाय के किसी पुरुष को कोई निर्देश नहीं देती हैं, अतः यह स्पष्ट होता है कि सिया कबीला मूलतः मातृवंशीय रहा होगा । क्योंकि आदि देवी भी कबीले की युवतियों को ही प्राथमिकता देती हैं हालांकि उस कबीले की केवल एक युवती ही आदि देवी के निर्देशों का पालन करती हैं । वे सफ़ेद पत्थरों वाले एक गांव में जाकर बसती है, जहां की, स्थानीय देवी ति'अमोनी है और जिसे इस कबीले में जनसंख्या की वृद्धि की दर पर आपत्ति है, अतः वह स्त्रियों के परिवारों में से बच्चों का मार डालती है । जिससे परिवारों को अपार दु:ख होता है । कहने का आशय यह है कि स्थानीय देवी जनाधिक्य के विरुद्ध है और वह चाहती है कि सिया कबीला, जनसंख्या को नियंत्रित रखे ।
आदि देवी के निर्देश से यह स्पष्ट होता है कि, इस समुदाय में मेघों के देवताओं की पूजा करने का प्रावधान किया गया है । संभवतः इस का कारण पानी की उपलब्धता या पर्याप्तता हो सकता है, अतः हमें यह मानने में कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए कि, मेघों के देवता की पूजा को छोड़कर जनजाति की सभी देवियां स्त्री कुल से हैं । बहरहाल संतानों की अकाल मृत्यु से आहत कबीले के सम्मुख एक और संकट है कि वह यौनाचार के परिणामस्वरूप अधिक संख्या में संतानों की उत्पत्ति के लिए स्थानीय देवी के कोप का शिकार हैं, अर्थात देवी ति'अमोनी बहु-संतानोत्पत्ति के विरुद्ध है । कथा से यह स्पष्ट होता है कि युवतियां सदैव गृह कार्य में लिप्त रहती हैं, जबकि पुरुष दिन भर घर में नहीं रहते और शाम को ही घर वापस आते हैं, अतः पत्नियाँ यह मानती हैं कि पुरुषों को रात्रि काल में उनके सानिध्य की लालसा ही घर वापस लाती है, अन्यथा पुरुष घर के बाहर ही बने रहते ।
उन्हें इस संदर्भ में देवी ति'अमोनी के कोप का भी ख्याल है । वे अपने पतियों से कहती हैं कि उन्हें सप्ताह में चार दिन ही युवतियों के पास आना चाहिए और इस तरह से युवतियों के सानिध्य की अवधि को लेकर पति, पत्नियों में अत्यधिक विवाद होता है और यह विवाद अगले 3 दिन तक चलता रहता है । जिसे ति'अमोनी के मार्गदर्शन में निराकृत किया जाता है। पत्नी और पतियों के दरमियान अलग अलग रहने की अवधि दिनों से बढ़ते हुए अनेकों माह तक जा पहुंचती है, अतः ति'अमोनी पुरुषों को युवतियों से पृथक रहने की एक व्यवस्था करती है और उन्हें नदी के उस पार ले जाकर छोड़ देती है । पुरुष इस स्वतंत्रता से प्रसन्न हैं क्योंकि अपने परिवारों में रहकर वे लोग अपने अपने परिवारों के जीवन अस्तित्व का रक्षण ही करते थे और अब वे केवल स्वयं के लिए उत्तरदाई हैं, अतः आखेट करते हैं और मोटे होते जाते हैं जबकि उनके बरअक्स उनकी पत्नियां खाद्य सामग्री के अभाव में दुबली होती जाती है ।
इस स्त्री प्रधान समुदाय में स्त्रियों और पुरुषों के अलग-अलग रहने और पृथक पृथक जीवन यापन की व्यवस्था से पुरुषों के हट्टे कट्टे होते जाने और स्त्रियों के दुबले बने रहने का कथन यह स्पष्ट करता है कि, पुरुष अपने परिवारों के लिए खाद्य सामग्री जुटाया करते थे जोकि बिछड़ गए परिवारों को उपलब्ध नहीं है । कथा से यह भी स्पष्ट होता है कि, सिया समुदाय आखेट और कंदमूल फल एकत्रित करने वाले युग का समुदाय है, और उन्होंने अभी तक कृषि कार्य नहीं सीखा है अन्यथा स्त्रियां भी कृषि का कार्य करके अपना भरण पोषण कर सकती थी और उन्हें पुरुषों की आवश्यकता ही नहीं पड़ती, लेकिन जीवन संकट के इस दौर में उन्हें पुरुषों की आवश्यकता होती है तथा जैसे-जैसे समय बीतता है, स्त्रियों के लिए कठिनाइयां बढ़ती जाती हैं और वे सभी अंततः देवी ति'अमोनी की सहायता से पुरुषों को वापस अपने घर लेकर आती हैं ।
इस आख्यान को पढ़ते हुए प्रथम दृष्टया यह लगता है कि, स्त्रियां पुरुषों की तुलना में पराजित हुई है किंतु वास्तव में ऐसा नहीं है वे स्त्री प्रधानता के युग की निवासी हैं और उन्हें अपनी संतानों और स्वयं के लिए भोजन का प्रबंध करना आवश्यक प्रतीत हुआ, अतः उन्होंने स्वयं के सानिध्य से दूर गए पुरुषों को इसलिए वापस बुलाया क्योंकि वे लोग घर से बाहर की व्यवस्था संभालते थे, आखेट करते थे । अतः पुरुषों की घर वापसी के स्त्रियों के प्रयास को समाज को जीवित रहने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए ।