सुक्कासेम, लान्ना साम्राज्य राजकुमार था। वो लान्ना के
अंतिम राजा काओ नवरात का पुत्र था, उसके पिता का राज्य उत्तरी थाइलैंड और दक्षिणी
म्यांमार के कुछ हिस्सों पर विस्तारित था, इसकी राजधानी दीवारों और गहरी खाईयों वाले
शहर चियांग माई में थी । काओ नवरात ने राजकुमार सुक्कासेम को म्यांमार के मौलमीन में
शिक्षा प्राप्त करने भेजा था जहां पर उसकी मुलाकात स्थानीय मोन, नृजातीय समूह की मध्यमवर्गीय युवती मा म्या से हुई । मा म्या
बला की खूबसूरत लड़की थी जोकि अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए बाजार में हाथ की बनाई
हुई सिगरेट बेचा करती थी । सुक्कासेम को मा म्या से प्रेम हो गया और वो फिर दोनों एक
दूसरे से लगातार मिलने लगे ।
बहरहाल इश्क की राह हमेशा आसान नहीं होती की तर्ज पर राजा काओ
नवरात को अपने पुत्र का प्रेम रास नहीं आया क्योंकि वो राजधानी के धनसंपन्न व्यक्ति
की लड़की से सुक्कासेम का ब्याह उन दिनों में तय कर चुका था जबकि सुक्कासेम और धनकुबेर
की पुत्री अबोध शिशु थे । उसने सुक्कासेम को मौलमीन से वापस बुलाया और उसकी प्रेमिका
मा म्या को भूल जाने का हुक्म दिया । इधर प्रेमी युगल ने तय किया कि मा म्या युवक का
वेश धारण कर राजधानी चियांग माई जाएगी और इस तरह से वो दोनों एक दूसरे के करीब रह पाएंगे हालांकि राजा काओ नवरात को जल्दी ही इस घटना क्रम
की जानकारी हो गई ।
उसने राजकुमार सुक्कासेम से कहा कि वो फौरन, मा म्या को मौलमीन वापस भेज दे, राजकुमार पिता के हुक्म के आगे मजबूर था और उसने ऐसा ही किया
। प्रेमी युगल ने विछोह के समय एक दूसरे के लिए वफादार रहने की कसम खाई । मा म्या आंसुओं
के समंदर में डूबे हुए कदमों के साथ वापस मौलमीन चली गई । उसे इंतजार था कि कभी तो
वक्त उस पर मेहरबान होगा और वो वापस अपने प्रेमी से मिल पाएगी लेकिन कुछ अरसे के बाद
उसे यह जानकार सदमा लगा कि उसका प्रेमी अपने पिता के दबाब मे राजधानी के धनपति की पुत्री से
विवाह करने के लिए राजी हो गया है और अपने पारिवारिक दायित्वों को पिता की मर्जी
के अनुसार स्वीकार कर चुका है ।
मा म्या ने प्रेम के अतीत कालीन बंधन और प्रेमी युगल द्वारा
ली गई कसमों को याद रखा, उसने किसी अन्य व्यक्ति से विवाह नहीं करने
का निर्णय लिया और वो धार्मिक अध्ययनों और धर्म प्रचार की पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन
गई । उसने एक तरह से भौतिक सांसारिक जीवन और व्यक्तिगत मोह माया का परित्याग कर दिया
था । इधर सुक्कासेम को अपनी पत्नि से प्रेम नहीं था अतः राजकुल के नवदम्पत्ति के घर, कभी भी कोई किलकारी नहीं गूंजी । वो अपने प्रथम प्रेम के लिए
तरसता रहा । उसे ये खबर हो गई थी कि उससे दुखी मा म्या अब केवल ईश्वर को समर्पित है
। मा म्या से बिछोह की पीड़ा से दग्ध उसका हृदय, उसके लिए काल बन गया और लगभग तीस बरस की अल्पायु में उसकी मृत्यु
हो गई ।
यह आख्यान मूलतः आर्थिक, राजतान्त्रिक, प्रशासनिक, कुलीनता भेद पर आधारित है । जहां युवती अपने परिवार के आर्थिक संकट के निवारण हेतु
स्थानीय बाजार में हाथों से बनी हुई सिग्रेट बेचने पर मजबूर है । उसका पेशा पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन के मद्दे
नज़र, तंबाकू जैसे मादक पदार्थ के विपणन से परहेज
नहीं करता । कथनाशय ये है कि निर्धनता, पेशे में आदर्शवाद की चिंता नहीं करती । युवा
राजकुमार उसके सौन्दर्य से अभिभूत है । उसे इस बात की परवाह नहीं कि लड़की निर्धन है
अथवा उसका पेशा क्या है ? उसका प्रेम, लड़की की पारिवारिक निर्धनता के इतर, उसकी युवावस्था अथवा किशोरवय की अनिवार्य मांग
को संबोधित है ।
लड़की भी, समवयस्क विद्यार्थी से प्रभावित है और कथा
का सार यह है कि दोनों एक दूसरे के प्रेम में वर्ग भेद भूल चुके हैं । एक राजा का पुत्र, दूसरी सामान्य प्रजाजन । अन्य प्रेमी जोड़ों की तरह से वो दोनों
भी एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खाते हैं किन्तु राजा का सूचना तंत्र प्रबल
है वो राजकुमार को राजधानी वापस बुलाता है और जल्द ही जान जाता है कि मा म्या भी पुरुष
वेश में राजधानी पहुंच चुकी है और राजकुमार के सतत संपर्क में है अस्तु वो पुत्र को
आदेश देकर, मा म्या को वापस मौलमीन भेजने का प्रबंध करता
है । बिछड़ते युवा प्रेमी एक बार पुनः वफ़ा की कसमें खाते हैं । उन्हें ये विश्वास है
कि भविष्य उन्हें पुनर्मिलन का अवसर जरूर देगा ।
कथा का महत्वपूर्ण पहलू ये है कि राजा, राजधानी के किसी धनाढ्य व्यक्ति की शिशु कन्या से अबोध राजकुमार
का ब्याह पहले ही तय कर चुका था । यह सत्तासीन व्यक्ति और धनिकों के गठजोड़ का उदाहरण
है जिसमें शिशु द्वय को यह याद भी नहीं कि उनका वैवाहिक जीवन अल्पवय में ही तय कर दिया
गया था । राजा को धनकुबेर के साथ अपने वादे का मान रखना था और इसके लिए उसे राजकुमार
की पसंद, नापसंद से कोई लेना देना नहीं था । पुत्र वधु
के तौर पर मा म्या का सौन्दर्य उसे प्रभावित नहीं करता, मा म्या की निर्धनता कदाचित उसकी सत्ता का उपहास करती हो ? बहरहाल राजकुमार सुक्कासेम पिता के दबाब में बिखर जाता है भले
ही वो उस युवती से अ-प्रेम करता है जिसे राजसत्ता के सरोकारों ने उसके माथे मढ़ दिया
था ।
राजकुमार के कोई संतान नहीं है और वो अब भी मा म्या से प्रेम करता है पर उसका ब्याह उसकी दुर्बलता तथा पारिवारिक दबाबों में स्वीकार की गई पराजय थी । मा म्या राजकुमार की इस पराजय से सदमे में थी लेकिन स्वयं के लिए कोई वर नहीं ढूंढती, वो अपने प्रेमी से किये गए वादों पर अटल थी। उसने आगत जीवन के लिए सांसारिकता का मार्ग नहीं चुना बल्कि स्वयं को, आध्यात्मिक, दैविक, पारलौकिक जीवन के प्रसार प्रचार में झोंक दिया । हम यह मान सकते हैं कि दुखी मा म्या भौतिक जीवन से पलायन कर गई जबकि राजकुमार सुक्कासेम, राज परिवार के दबाब में टूट गया सुक्कासेम, प्रेमिका को दिए गए वचनों से तात्कालिकरूप से मुकर गया सुक्कासेम, मा म्या के सदमे का एकमात्र कारण सुक्कासेम, असमय ही ईश्वर से जा मिला ।