मुद्दतों पहले की बात है जब साइके अपनी दो बहनों की तुलना में छोटी थी लेकिन
वह बेहद खूबसूरत थी और नश्वर मनुष्यों के दरम्यान ऐसे दिखाई देती जैसे कोई देवी । लोग
उसकी ख़ूबसूरती को देखने महल में आया करते और उसकी प्रशंसा यहां तक की, पूजा भी
करते । वे लोग कहते कि, प्रेम और सौंदर्य
की देवी अफ़रोडाइट भी साइके की तुलना में कुछ नहीं है । उन्होंने अफ़रोडाइट के
मंदिरों के बजाय साइके के महल के चक्कर लगाना शुरू कर दिए थे, अतः अफ़रोडाइट के
मंदिरों की वेदियों की राख ठंडी पड़ने लगी थी तथा कोई भी मूर्तिकार अफ़रोडाइट की
मूर्ति नहीं बनाना चाहता था और सभी लोग यह विश्वास करने लगे थे कि, राजा की बेटी साइके
अद्भुत है । देवी अफ़रोडाइट इस स्थिति से नाराज थी और उन्होंने अपने पुत्र इरोस से
कहा, तुम जाओ और अपनी शक्ति के प्रयोग से उस छोटी, तुच्छ लड़की से प्रेम करो, इरोस
अपनी मां के कहने से ऐसा करने के लिए तैयार तो हो गया, लेकिन वह स्वयं भी साइके की
मोहब्बत में गिरफ्तार हो गया और उसने तय किया कि, वह अपनी मां को कुछ नहीं बताएगा ।
इधर साइके को आश्चर्य होता कि, सभी पुरुष उससे प्यार करने के बजाय, उसकी प्रशंसा और पूजा करने में ही प्रसन्न बने रहते हैं । वे साइके को देखने आते और किसी अन्य लड़की से विवाह कर लेते , यहां तक कि, साइके की दोनों बड़ी बहनों का विवाह भी शानदार तरीके से संपन्न हुआ जबकि, वो दोनों साइके की तुलना में साधारण शक्ल सूरत की मालिक थीं । साइके हमेशा उदास और अकेली रहती, उसे लगता कि, कोई भी पुरुष उसे पत्नी के रूप में नहीं चाहेगा, बल्कि केवल उसकी तारीफ ही करता रहेगा । साइके की इस मनः स्थिति से उसके माता-पिता अत्यंत चिंतित हो गए थे । साइके के पिता, देवता अपोलो से परामर्श करना चाहते थे कि, उन्हें साइके के लिए अच्छे पति की खोज के लिए, क्या क्या करना चाहिए । उस समय हुई आकाशवाणी के अनुसार अपोलो ने कहा कि, साइके को पहाड़ की चोटी पर ले जाकर अकेला छोड़ दिया जाए । जहां वह रहे और फिर उसके लिए पति स्वरूप चुना गया, पंखों वाला भयानक सांप जो देवताओं से भी अधिक शक्तिशाली था, आकर साइके को अपनी पत्नी बतौर ले जाए ।
साइके के पिता के लिए यह अत्यंत निराशाजनक स्थिति थी और वह
दु:खी मन से, रोती हुई साइके को पहाड़ की चोटी पर ले गए, जहां उसे असहाय और भाग्य
के भरोसे छोड़ दिया और स्वयं अपने महल में शोक संतप्त कैदी के समान रहने लगे। साइके
ठंडी सर्द काली रात में रोते हुए प्रतीक्षा करती रही, तभी हवा का एक नरम झोंका, उस
तक पहुंचा उसे लगा कि कोई उसे हवा में उड़ा कर ले जा रहा है, पहाड़ी चट्टान के ऊपर
से, फूलों भरे घास के मैदान में तब साइके ने अपना दर्द भुलाने और सोने की पूरी
कोशिश की । तभी वह झरने में बहते हुए पानी की आवाज सुनकर सतर्क हो गई और उसने अपनी
आंखें खोलीं तो देखा कि, वह एक शानदार महल
में है । जिसमें सोने चांदी के स्तंभ और बड़े कीमती पत्थरों वाला फर्श है । जिसे देखने
से यह लग रहा था कि, वह देवताओं के लिए निर्मित किसी भवन में है, तभी साइके को
सुनाई दिया महल में तुम्हारा स्वागत है । अंदर आओ डरो मत, स्नान करो । हम तुम्हारे
लिए रात्रि कालीन भोजन का प्रबंध करेंगे साइके ने इतने स्वादिष्ट व्यंजनों का
स्वाद कभी नहीं चखा था । उसे अपने चारों तरफ मधुर संगीत सुनाई दे रहा था । वह सारा
दिन अकेली थी, लेकिन उसे अंदाज़ था कि, उसका पति रात को उसके पास आएगा, रात में उसने
महसूस किया कि, उसका पति उसके कानों में फुसफुसा रहा है । उसे यह विश्वास हो गया
कि, यह कोई सांप या राक्षस नहीं बल्कि उसे प्यार करने वाला पति है, जिसकी उसे
हमेशा से कामना थी ।
अगले कई दिन आनंदमय थे लेकिन साइके को इस बात का दुख था कि,
वो रात में अपने पति को देख नहीं पाती और दिन भर अकेली रहते हुए, उकताने लगती, उसे
अपने परिवार की याद आती कि, वे लोग उसका शोक मना रहे होंगे जबकि वह जीवित है और
खुश है । वो चाहती थी कि, कम से कम उसकी
सगी बहनें इस महल में आयें और लौटकर उसके
माता-पिता को बताएं कि, साइके बहुत प्रसन्न है, उसने अपने पति से अपनी इच्छा प्रकट
की, तो उसने कहा कि, मैं तुम्हारी बहनों को यहां आने तो दूंगा लेकिन तुम्हें
सावधान कर रहा हूं कि, उन्हें अपने ऊपर हावी मत होने देना । अगर वे लोग तुम पर हाबी
हो जाएंगी तो मेरे और तुम्हारे संबंधों को खत्म कर देंगी । साइके ने कहा मैं ध्यान
रखूंगी । अगले दिन उसकी दोनों बहनें हवा के झोंके के साथ उसके पास आई और वे एक
दूसरे को देख कर बहुत खुश हुईं । उसकी दोनों बहने महल के खजाने को देखकर
आश्चर्यचकित थी और रात के समय अद्भुत संगीत और मदिरा का आनंद लेते हुए वह अपनी
छोटी बहन के भाग्य से ईर्ष्या करने लगी । उन्हें जिज्ञासा थी कि, साइके का पति
कैसा होगा ? उन्होंने उसके व्यवसाय और रंग रूप के बारे में जानना चाहा तो साइके ने कहा कि, वह एक शिकारी है ।
लेकिन साइके की दोनों बहनों को यह विश्वास नहीं हुआ कि, एक
साधारण शिकारी इतना अमीर भी हो सकता है । उन्होंने सोचा कि, वह या तो राजकुमार
होगा अथवा देवता । वे दोनों जानती थीं कि साइके
की तुलना में उनके पास धन संपदा और सुख आदि कुछ भी नहीं है अतः ईर्ष्यालु होकर
उन्होंने साइके को बर्बाद करने की एक योजना बनाई । उन्होंने विदाई के दिन साइके से
कहा कि, उसका पति निश्चित रूप से एक भयानक सांप होगा जैसा कि, आकाशवाणी में बताया
गया था । उन्होंने कहा वह तुम्हें इसलिए नहीं दिखाई देता कि, तुम उसे देखोगी तो
तुम्हें उससे घृणा हो जाएगी । प्यारी साइके, तुम उस भयानक सांप के साथ कैसे सो
सकती हो ? उस दिन के बाद साइके हमेशा सोचती कि, उसका पति उसे दिखता क्यों नहीं है ?
उसका रहस्य क्या है ? उसने अपने जीवन के बारे में मुझे क्यों नहीं बताया ? अगर वह
दिन के उजाले में नहीं दिखना चाहता तो जब रात में वह गहरी नींद में होगा तो मैं
उसे देखने के लिए एक मोमबत्ती जला दूंगी और अगर वह सांप हुआ तो उसे मार डालूंगी और
अगर इंसान हुआ तो मैं खुशी से उसके साथ सो जाऊंगी।
एक रात जब उसका पति सुकून की नींद सो रहा था तो उसने हिम्मत
करके मोमबत्ती जलाई और उसके पैर की उंगलियों की ओर से उसके चेहरे के पास जा पहुंची
। उसे एक गहरी राहत हुई, क्योंकि वह बेहद खूबसूरत आदमी था, जिसे देखकर साइके अपने पागलपन
पर लज्जित होकर अपने घुटनों पर गिर गई और उसने देवताओं को धन्यवाद दिया, लेकिन
झुकते समय मोमबत्ती की एक बूंद उस खूबसूरत युवक की पीठ पर जा गिरी और वह दर्द से
कराहते हुए उठा । उसने रोशनी देखी और वह साइके के अविश्वास का सामना करते हुए, एक
भी शब्द बोले बिना अपने शयन कक्ष से बाहर चला गया साइके उसके पीछे भागी, लेकिन वह उसे
देख नहीं सकती थी और उसके दिल की आवाज सुनकर दुखी थी कि, प्यार भरोसे के बिना
जीवित नहीं रहता । वह अगले कई दिनों तक रोती रही वह चाहती थी कि, पति के लिए अपने प्रेम
को सिद्ध करे ।
चूंकि साइके को कुछ पता नहीं था, तो यह जानने के लिए कि,
क्या करना उचित होगा, वो अफरोडाइट के मंदिर जा पहुंची और उसने प्रार्थना की कि, अफरोडाइट
साइके के पति को साइके के पास वापस लाने में, उसकी मदद करें, अफ़रोडाइट के मन में साइके
के प्रति ईर्ष्या अभी भी शेष थी और वह उसका बदला चाहती थीं, इसलिए उसने साइके से
कहा कि, उसे पूरी तरह से विश्वास होना चाहिए कि, साइके उसके पुत्र के लिए उपयुक्त
पत्नी है । इसके लिए साइके को तीन चुनौतियां पूरी करनी होंगी, यदि वो इनमें से
किसी एक में भी विफल रही तो इरोस हमेशा हमेशा के लिए उससे दूर हो जाएगा । साइके इस
बात पर सहमत हो गई, तो अफरोडाइट उसे एक पहाड़ी पर ले गई और उसने गेहूं ,खसखस,
बाजरा और अन्य कई छोटे-बड़े बीजों का एक ढेर दिखाया और कहा कि, अगर तुम दोपहर तक
इन बीजों को अलग अलग कर दोगी तो ठीक है ,वरना मैं तुम्हें इरोस को फिर कभी देखने
नहीं दूंगी ।
यह एक कठिन काम था जिसे देखकर साइके की आंखों में आंसू भर
आए, उसी समय चीटियों का एक समूह वहां से गुजर रहा था, उन्होंने साइके को निराश
देखकर कहा, चलो उसकी मदद करते हैं और चीटियों ने कड़ी मेहनत के बाद सारे बीजों को
अलग-अलग करके छोटे-छोटे ढेर बना दिए हालांकि अफ़रोडाइट यह देखकर बहुत नाराज हुई और
उसने कहा कि तुमने यह काम खुद नहीं किया है, इसलिए तुम बिना खाना खाए सख्त जमीन पर
अपना समय गुज़ारो । अफ़रोडाइट यह सोच रही
थी कि, अगर साइके लंबे समय तक मेहनत करती रहेगी तो अफ़रोडाइट की सुंदरता को चुनौती
देने वाला कोई नहीं होगा और उसने यही करने का निर्णय लिया । इस दरम्यान उसने अपने
पुत्र इरोस को उसके कक्ष से बाहर नहीं आने दिया, जहां वह साइके के विश्वासघात का
शोक मना रहा था ।
अगली सुबह अफ़रोडाइट साइके के लिए एक नया काम लाई, अब साइके
को एक झरने का गन्दा और काला पानी, एक बोतल में भरना था । साइके ने महसूस किया कि झरने की सभी चट्टाने
फिसलन भरी थी और वहां बहुत तेज पानी बहता था इसलिए उस जगह पर पैदल नहीं जाया जा
सकता । उसे निराश और दुखी देखकर एक चील ने साइके की मदद की और झरने का काला पानी
भरकर बोतल साइके को वापस दे दिया । इस पर अफरोडाइट फिर से नाराज हुई और उसने कहा
कि, तुमने यह काम किसी और की मदद से किया है । इसलिए मैं तुम्हें एक मौका और दूंगी
कि, तुम अपने आप को सिद्ध कर सको । अबकी बार अफरोडाइट ने साइके को एक संदूक दिया,
जिसे उसे पाताल लोक में ले जाना पड़ा जहां मृतकों की रानी पर्सेफोन,संदूक में अपनी
सुन्दरता का एक अंश डाल देती।
साइके पाताल लोक की ओर गई, जहां उसे नाव से एक किनारे से
दूसरे किनारे की ओर जाना था तो घनघोर अंधेरे में नाविक में उसकी मदद की और साइके जल्द
ही पर्सेफोन के सामने मौजूद थी, जिसने संदूक में अपनी सुंदरता एक अंश डाल दिया और साइके
संदूक को लेकर अफरोडाइट के पास वापस आ गई, जिसे देखकर अफरोडाइट बहुत गुस्सा हुई और
उसने चिल्लाते हुए कहा कि, वह हमेशा साइके को अपना गुलाम बना कर रखेगी और कभी यहां
से जाने नहीं देगी । इसी समय उन सारे देवताओं को जो अफ़रोडाइट की गलत कार्यवाही को
देख रहे थे, बहुत बुरा लगा और उन्होंने साइके की मदद करने की गरज से, इरोस को सब
कुछ बताने के लिए हेर्मेस देव को भेजा ।
हेर्मेस देव ने इरोस को बताया कि, उसकी पत्नी ने कौन-कौन से
कष्ट सहे हैं यह सुनकर, इरोस के मन में पत्नी के विश्वासघात का जो दुःख था वह दूर हुआ और उसने अपने कमरे से बाहर आकर
देखा कि साइके अफ़रोडाइट के बागीचे में निढ़ाल पड़ी हुई थी । इसके बाद इरोस और साइके
अपने प्यारे से महल में एक साथ रहते हैं । जहां रंगीन और खुशबूदार फूलों की क्यारियां
हैं हालांकि साइके ने इरोस को इस बात के लिए राजी किया कि, वह अपनी मां अफरोडाइट
को इस बात के लिए क्षमा कर दे कि, उसने साइके को प्रताड़ित किया और दुःख दिए , कालांतर
में उन दोनों की शादी के समय देवता जियूस ने साइके को अमृत पिला कर अमर बना दिया,
अब अफ़रोडाइट भी खुश थी कि, साइके अपने पति के साथ स्वर्ग में रह रही थी और पृथ्वी
के सारे पुरुष साइके को भूलकर फिर से देवी अफ़रोडाइट की पूजा कर रहे थे...
यह आख्यान प्रथम दृष्टयः भारत के कामदेव और रति जैसे युगल का
बोध कराता है । इस आख्यान में इरोस एक देवी पुत्र हैं और साइके नश्वर देह धारी
राजा की पुत्री है, जो तीनों बहनों में सबसे छोटी है । उसकी दोनों बहने सौंदर्य के
मुकाबले में साइके का पासंग भी नहीं है । लेकिन राजा को उनका विवाह करने में कोई
असुविधा नहीं होती, असल में साइके बेहद खूबसूरत है और उस राज्य के अधिकांश युवा, महल
आकर उसके सौंदर्य की प्रशंसा करते हैं किन्तु उनके व्यवहार से उपासना जैसे भाव प्रकटित
होते हैं । यही तथ्य साइके को असुविधा में डालता है कि, उसके प्रशंसक उसके पास आते
हैं किंतु उससे प्रेम के बजाए उपासना या स्तुति जैसा भाव प्रकट कर लौट जाते हैं ।
इसलिए साइके का ख्याल है कि, उसे बेहतर पति जो कि उसे अटूट प्रेम करे, कैसे
प्राप्त होगा ? वह उदास रहती है और उसके माता-पिता भी उसकी चिंता में घुले रहते
हैं ।
साइके के माता पिता, देवता अपोलो से मिलकर साइके के ब्याह
की चिंता करते हैं, किंतु आकाशवाणी से यह तथ्य प्रकट होता है कि, साइके जैसी परम
सुंदरी का ब्याह, किसी उड़ने वाले भयानक सर्प से होना सुनिश्चित है । अगर हम गौर
करें तो भारतीय कथाओं में भी आकाशवाणी का उल्लेख अक्सर भविष्य कथन के लिए किया
जाता है , जैसा कि साइके के संदर्भ में दिखाई देता है । देवता अपोलो की सलाह के अनुसार माता पिता साइके के
ब्याह की चिंता करते हुए उसे पहाड़ की चोटी पर छोड़ देते हैं, ताकि उसका
राक्षसनुमा सर्प पति, जोकि देवताओं से भी अधिक शक्तिशाली है, उसे अपनी पत्नी बनाकर
ले जाए । यहां पर यह विषयान्तर करना उचित होगा कि, मनुष्य और देवताओं में, नश्वरता
और अमरता का बोध, असल में यथार्थ परक ना भी हो, तो भी यह संकेत देता है कि, कथित देवताओं
का जन्मदाता स्वयं कल्पनाशील मनुष्य है और
वो ही स्वयं की नश्वरता का उदघोष भी करता है ।
इस कथा में साइके नश्वर युवती है । भूलोक में लोग उसके
सौंदर्य की ख्याति के चलते प्रेम और सौंदर्य की देवी अफ़रोडाइट की उपासना करना भूल
जाते हैं, यहां तक कि, अफ़रोडाइट के मंदिर में यज्ञ की वेदियां सूनी हो गईं लगती
हैं और मूर्तिकार साइके की तुलना में देवी अफ़रोडाइट की मूर्तियां बनाना बंद कर देते
हैं । बस यह तथ्य देवी अफ़रोडाइट को नागवार गुजरता है कि, धरती की तुच्छ प्राणी साइके
अपनी खूबसूरती के कारण देवी अफरोडाइट पर भारी पड़ जाए और धरती के लोग देवी
अफरोडाइट की उपासना बंद कर दें, साइके को सबक सिखाने की गरज से अफ़रोडाइट अपने
पुत्र इरोस को धरती पर भेजती है किंतु वह स्वयं ही साइके के मोहपाश में बंध जाता
है और अपनी मां को इस तथ्य से अनभिज्ञ रखना तय करता है । कहना उचित होगा कि, देवी
पुत्र इरोस, अमर देवता, इरोस, नश्वर युवती साइके के प्रेम में विवश हो जाता है ।
इस कथा में देवी अफरोडाइट का व्यक्तित्व साधारण मनुष्य के जैसा
है, वह साइके से ईर्ष्या करती है और उसे समाप्त करने या नीचा दिखाने का कोई अवसर
नहीं छोड़ती, जबकि उसका यह कृत्य, देवताओं की गरिमा अथवा महिमा के अनुरूप नहीं है ।
भले ही कथा के अंत में यह ज्ञात होता है कि, अफ़रोडाइट, साइके को अपनी बहू के रूप
में स्वीकार कर लेती है । क्योंकि साइके, देवता जियूस की कृपा से अमरत्व प्राप्त
कर लेती है । असल में यह अमरत्व, साइके के कष्टों और देवी अफरोडाइट के गरिमाहीन
व्यवहार का प्रतिसाद है, जिसे ब्याह के तोहफे की शक्ल में दिया गया है, अमर हो गई साइके
को धरती के लोग भूलकर पुनः अफ़रोडाइट की उपासना करने लगते हैं । किंतु कथा का यह
अंश अजीब और विरोधाभासी है कि, अफ़रोडाइट प्रेम और सौंदर्य की देवी है, किन्तु वह
साइके से घृणा करती है, ईर्ष्या रखती है ।
इस आख्यान में अफ़रोडाइट का व्यवहार कमोबेश साइके की बड़ी
बहनों जैसा है जोकि, अपनी छोटी बहन के सुखी और प्रेम पूर्ण जीवन से ईर्ष्यालु होकर
साइके और इरोस के बीच संबंध टूटने का कारण बनती हैं । अगर हम चाहें तो यह भी मान
सकते हैं कि नश्वर देह धारी स्त्री या पुरुष अगर अपना धैर्य ना खोयें तो वे भी
अमरत्व को प्राप्त कर सकते हैं । अफ़रोडाइट और साइके के प्रकरण में अफ़रोडाइट एक
क्रूर स्त्री के तौर पर नजर आती है किंतु साइके एक आज्ञाकारिणी और धीरज ना खोने
वाली युवती का उद्धरण पेश करती है । इसी दरम्यान
साइके की मदद चीटियां, चील और नाविक करते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि, बेहतर
इंसान की मदद चीटियों जैसे तुच्छ जीव, चील जैसे उड़न दक्ष परिंदे और नदी में
गंतव्य तक पहुंचाने वाले नाविक अपरिहार्य रूप से करते हैं ।
असल में इरोस, जोकि प्रेम और लालसा का देवता है, प्रेम में नि:शर्त पारस्परिक विश्वास की कामना करता है और उसकी यह कामना, बड़ी बहनों के द्वारा उकसाई गई साइके के व्यवहार से आहत हो जाती है , अतः वह साइके से मुंह फेर लेता है, भले ही बाद में देवताओं की कृपा से उसे सत्य का ज्ञान हो जाता है और वह पुनः साइके के साथ प्रेमासक्त जीवन व्यतीत करने लगता है। जहां वह और साइके दोनों ही देव तुल्य है ।