उन दिनों आयरलैंड के चप्पे चप्पे पर तुआथा दे दानन समूह के लोग निवास करते थे । ये लोग देव
तुल्य, अमरत्व प्राप्त, पारलौकिक शक्तियों के स्वामी थे । कदाचित इन्हें अनश्वर
कहा जाना उचित होगा । यह समय ऐसा था जब नश्वर मनुष्य आयरलैंड मे निवास नहीं करते
थे । क्लीओना उस समूह की देवियों में से एक थी । वो बेहद खूबसूरत, बेमिसाल
हुस्न की मलिका थी और उसे अनिंद्य सुंदरी कहा जाना श्रेयस्कर
होगा । बतौर देवी बांसुरी पर उसका एकाधिकार था । उसका घर तीरतन नामित आयरिश द्वीप
पर था । जिसे वादे की भूमि कहा जाता था । क्लीओना ने तीन जादुई परिंदे पाल रखे थे
जो उसके आंगन के जादुई दरख्त के फल खाया करते थे । जादुई फल को खाने के बाद परिंदे
बेहद सुरीला और अद्भुत गायन किया करते थे कहते हैं कि उनकी गायकी की मिठास से हरेक
की बीमारी का इलाज मुमकिन था ।
किसी एक दिन क्लीओना की मुलाकात समुद्र पार रहने वाले साधारण से इंसान सीओबान
से हुई । उन दोनों को पहली नजर में एक दूसरे से प्यार हो गया । सीओबान नश्वर
मनुष्य था और क्लीओना अजर अमर देवी, पर प्रेम किसी बंधन में बंधता कहाँ है , होना
था सो हो गया । अनंत अशेष जीवन की आश्वस्ति के बावजूद क्लीओना अपने प्रियतम सीओबान
के लिए अमरत्व छोड़ कर नश्वर जीवन बिताने के संकल्पित थी । उसने तय किया कि वो
सीओबान के पास समुद्र पार जाएगी और अपना घर, अपना देवत्व अपना समूह छोड़ देगी ।
उसने अपने प्रेमी से मिलन की लालसा के साथ अपनी यात्रा शुरू कर दी और एक रात ग्लैंडोर
बंदरगाह में आराम करने के लिए रुकी । जहां उसे अनेकों वरिष्ठ आयरिश देवताओं ने
उसके अपराध की निंदा करते हुए कहा कि देवी होकर एक नश्वर मनुष्य के साथ जीवन
बिताने की सोचना अनुचित है, गुनाह है ।
क्लीओना को अगली सुबह समुद्र पार जाना था तभी समुद्र के देवता मानानन मैकलिर
ने अपने ख्यातनाम संगीतकार को राग रागनियां बजाने का आदेश दिया । संगीत का यह
आयोजन अत्यंत सम्मोहक था, जिसने क्लियोना को सोने के लिए प्रेरित किया और नींद में
बेसुध,
वो एक शक्तिशाली लहर में बह कर समुद्र में डूब गई और फिर कभी
भी सीओबान के पास नहीं पहुंच पाई । तब से आज तक हरेक दिन ग्लैंडोर बंदरगाह की ओर
बढ़ने वाली सबसे मजबूत लहर को, क्लियोना लहर के रूप में जाना जाता है,
यह प्रकृति के अत्यंत सामर्थ्यवान शक्ति अथवा तत्व को याद
करने का एक तरीका है, जिसने इन दोनों प्रेमियों को उनके मिलन से पूर्व ही सदा सर्वदा
के लिए अलग कर दिया है ।
आयरिश मूल का यह आख्यान प्रेम की दुखांत परिणति का
बयान करता है । मिथक कहता है कि मनुष्यों की
बसाहट से पूर्व आयरलैंड के समस्त भूभाग में तुआथा दे दानन समूह के लोग निवास करते थे, जिन्हे अमर होने
का आशीष प्राप्त था । यानि कि वे देवतुल्य लोग थे । कथा संकेत यह कि आयरलैण्ड,
स्वर्ग जैसी भूमि थी, जहां मनुष्यों से पहले देवता निवास करते थे । ज्यादातर आख्यानों
में पितृ भूमि को स्वर्ग तुल्य मानना, आश्चर्यचकित नहीं करता । बहरहाल उक्त भूखंड
के समस्त संसाधन उन देवी देवताओं के आधिपत्य में थे । प्रतीत होता है कि यह समूह
पुरुष प्रधान विशिष्टताओं वाला समूह था, जिसे स्त्रियों के प्रणय अधिकार स्वीकार्य
नहीं थे । कथाकालीन समूह में वर्ग भेद स्पष्टतः मौजूद है, ये देवता बनाम साधारण
मानुष, अनश्वर बनाम नश्वर, देश बनाम परदेश, अभिजात्य बनाम सामान्य के रूप में
परिलक्षित है ।
नायिका ने नश्वर प्रेमी से मिलन के लिए अपने देवत्व का परित्याग करने का संकल्प
लिया था । उसका समूह वस्तुतः बंद समूह है जिसे नायिका का मुक्त होना स्वीकार नहीं है
। वे भले ही देवता हैं पर रूढ़िवादी सोच के गुलाम हैं । उनकी संपन्नता, विपन्नता की
ओर नहीं जाती, उनका आशीष जनसामान्य की ओर प्रस्थान नहीं करता, भले ही उन्हें अपनी कुलीनता
के तोष और दैवत्व के लिए भक्तों और अनुयाइयों का समर्पण वांछित हो, पुरुष प्रधान
अभिजात्य वर्ग, सामान्य जनों से प्रणय संबंध स्थापित करने के विरुद्ध है । कह नहीं
सकते कि यह निषेध केवल स्त्रियों के लिए था याकि पुरुष स्वयं भी इसका पालन करते थे।स्पष्ट तथ्य ये कि यह समूह गैर-बराबरी मूलक है जिसे, बहिरसमूह से प्रणय / विवाह संबंध
स्वीकार्य नहीं है । यह अस्वीकार्यता, अपने ही समूह के सदस्य की मृत्यु की सीमा तक
जा सकती थी । कथनाशय ये कि कुलीनता कठोर होती है और वो प्रेम को उसके मुक्त और
स्वभाविक रूप में स्वीकार नहीं करती ।
कथा की नायिका बांसुरी वाद्ययंत्र की स्वामिनी है, उसके पास सुरीले परिंदे हैं
जिन्हें अपनी गायकी से बीमारों को स्वस्थ करने का करिश्माई हुनर आता है । प्रेमी
से मिलन की यात्रा के दौरान थकी हुई और विश्राम की आकांक्षिणी प्रेमिका को सांगीतिक
सम्मोहन / कदाचित छल से मृत्यु के मुख में धकेलने का यह कथन नायिका की सांगीतिक
दक्षता की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर किया गया है । उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ
देवताओं द्वारा नायिका की कथित मृत्यु से पूर्व, उसके सामाजिक अपराध के लिए लांछित
करने का विवरण भी इस आख्यान का महत्वपूर्ण अंश है । मिथक, शक्तिशाली लहर के उठने
का प्रातीतिक संकेत देता है , जिसे नायिका के नाम से संबोधित किया गया है किन्तु
जो समुद्र से कभी भी मुक्त नहीं होती, वो उद्दाम वेग से तट की ओर आती है और उसे वेग
से समुद्र द्वारा वापस खींच ली जाती है, तो क्या हम यह स्वीकार कर लें कि नायिका, अब
भी अमर है और उसकी मृत्यु नहीं हुई है बल्कि वो समुद्र के देवता की कैद में है । वो हरेक दिन मुक्ति के लिए अपनी सम्पूर्ण शक्ति
से प्रयत्न करती है किन्तु समुद्र का कारागृही प्रबंध तंत्र उसे उसी गति से वापसी
के लिए बाध्य कर देता है । कुल मिलाकर प्रेम की मुक्ति और बंदी होने का यह संघर्ष कभी
खत्म नहीं होता ।