मुद्दतों पहले की बात है जब फिओन मैक कमहेल, कवियों और
योद्धाओं के एक समूह फियाना का नेतृत्व करता था । एक दिन फिओन आखेट करने जंगल गया
हुआ था जहां उसने एक खूबसूरत हिरनी को घास चरते हुए देखा । उस वक्त फिओन के दोनों
वफादार कुत्ते ब्रैन और सेओलांग, उसके साथ थे
और जोकि एक ऐसी युवती से पैदा हुए थे जो श्वान योनि मे गर्भवती हुई थी । ब्रेन और
सेओलांग ने एक क्षण में इस हिरनी को पहचान
लिया कि वो हिरनी नहीं बल्कि एक सुंदर युवती है और जिसे ड्रयूड के काले जादू ने
हिरनी के रूप में परिवर्तित कर दिया था क्योंकि युवती ने जादूगर ड्रयूड से ब्याह
करने से इनकार कर दिया था और विवाह प्रस्ताव अस्वीकार होने से क्षुब्ध ड्रयूड ने
उसे काले जादू का प्रयोग करके हिरनी बना दिया था ।
फिओन ने फौरन हिरनी को पकड़ लिया और अपने घर ले आया, घर की दहलीज़
पार करते ही ड्रयूड का जादू टूट गया और वो हिरनी, खूबसूरत युवती के रूप में बदल गई
उसे मानव रूप में देख कर फिओन अपना दिल हार बैठा । युवती ने बताया कि उसका नाम
साधभ है और उसकी दुर्दशा के लिए ड्रयूड जिम्मेदार है । चूंकि वह फिओन की दया भावना
से प्रभावित थी तो उसने कहा कि जब तक वो फिओन के घर में है, मानव रूप में जिएगी और
एक सामान्य जीवन जीने लगी। कुछ अरसे के बाद उन दोनों ने ब्याह कर लिया । जिसके परिणाम
स्वरूप साधभ गर्भवती हो गई, यद्यपि नवविवाहित जोड़े के लिए इसे दुर्योग ही कहा
जाएगा जो फिओन को अपने समूह फियाना की ओर से युद्ध लड़ने के लिए बाहर जाना पड़ा और
एक दिन ड्रयूड ने साधभ को घर की दहलीज के बाहर देखते ही फिर से हिरनी के रूप में
बदल दिया । जब फियोन युद्ध से घर वापस लौटा, तो उसे उसकी पत्नी कहीं नहीं मिली ।
उसका दिल टूट गया था । वह सालों तक साधभ को ढूंढ़ता रहा पर
वो उसे कभी नहीं मिली । एक दिन फिओन अपने शिकारी कुत्तों के साथ पुनः आखेट करने
गया तो जंगल में नन्हा सा हिरन भटकता हुआ मिला जिसे उसके सहयोगी शिकारी कुत्तों ने
पहचान लिया कि वह मानव शिशु है । फिओन समझ गया कि नन्हा हिरन उसका और साधभ का
पुत्र है। वो उसे अपने घर वापस ले आया । घर के अंदर पहुंचते ही नन्हा हिरन मानव शिशु के रूप में बदल गया और फिओन ने उसका
नाम ऑइसिन रख दिया यानि कि नन्हा हिरन ।
आयरिश मूल का यह मिथक तत्कालीन समाज के बारे में जो संकेत
देता है । उसके अनुसार यह आखेटक युग था और फियाना समूह के लोग आखेट करके अपनी
क्षुधा को शांत करते थे, यानि कि विकास क्रम में उक्त समूह, प्रस्तुत कथा काल तक
कृषि युग में प्रविष्ट नहीं हुआ था हालांकि यह संकेत महत्वपूर्ण है कि यह समूह,
कवियों का अर्थात सृजन धर्मियों का समूह भी था, स्पष्ट कथनाशय यह कि वे लोग आखेट
और साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न लोग थे । कथा यह भी स्पष्ट करती है कि उन
लोगों ने पशु पालन भी सीख लिया था अन्यथा फिओन के पास सहयोगी शिकारी श्वान नहीं
होते। आख्यान को पढ़ते हुए स्व समूह के हितों के लिए युद्धों का उल्लेख भी मिलता
है ।
मिथक में कतिपय जादुई कृत्यों का उल्लेख भी मिलता है । कथा कहती
है कि ड्रयूड नामक कुख्यात काला जादूगर है जो मनुष्यों को पशु रूप में बदल सकता है
जैसे साधभ, एक सुंदर युवती केवल इसलिए हिरनी बना दी गई कि उसने ड्रयूड के विवाह प्रस्ताव
को ठुकराते हुए उसकी यौन संगिनी बनने से इन्कार कर दिया था जिससे आहत होकर ड्रयूड ने
उसे युवती से पशु के रूप में कायांतरित कर दिया था । संभव है कि फिओन के सहयोगी शिकारी
श्वानों की मां भी ऐसे ही किसी अभिशाप का शिकार हुई हो । ऐसा प्रतीत होता है कि मनुष्यों
के आवासीय ठिकानों में ड्रयूड के काले जादू का असर खत्म हो जाता है जैसा कि साधभ और
नन्हें हिरन के प्रकरण में हुआ था । आख्यान का यह अंश पढ़ते हुए स्पष्ट होता है कि कथा
कालीन समाज मूलतः अंधविश्वासी समाज था जो इस बात पर यकीन रखता था कि मनुष्यों को पशु
बनाया जा सकता है ।
कुल मिलाकर उक्त समूह आखेटक, निश्चित रूप से कविता उन्मुख सह मौखिक
साहित्यिक सृजन धर्मी और पशु पालक समूह था । अपने समूह के हितों के अनुरक्षण के लिए
युद्ध की अपरिहार्यता आख्यान का महत्वपूर्ण हिस्सा है । मनुष्यों का पशु रूप में मिलना
कदाचित इस बात का प्रतीक है कि आखेटक होकर भी समूह को पशुओं के प्रति सुहृदय, करुणामय
होना चाहिए । बहरहाल योनि अथवा काया परिवर्तन का विवरण उक्त समूह के वैचारिक दृष्टि
भ्रम का संकेत देता है जो उन्हें अपने प्रियजनों के मिल जाने और बिछड़ जाने के दोराहे
पर लाकर खड़ा कर देता है ।