शनिवार, 8 जुलाई 2023
नेरिविक
मुद्दतों पहले की बात है जब एक जादूगर परिंदे को ख्याल आया कि, उसे पत्नी
के रूप में एक युवती चाहिए, तो उसने खुद को पुरुष के रूप में बदल लिया । उसकी
आंखें कमज़ोर थीं तो उसने वालरस के दांतों से अपने लिए चश्मा बनवाया और सील की खाल
का कोट सिलवाया । उसने हर मुमकिन कोशिश की, कि वो खूबसूरत दिखे । ब्याह के इरादे
से वो इंसानों की बस्ती में जा पहुंचा । जहां उसे एक युवती पसंद आई और फिर वो उसे
पत्नी बना कर अपने घर ले आया । उसकी पत्नी अमूमन घर में रहती और वो, हरेक दिन सील
के शिकार के लिए घर से बाहर जाया करता था । घर वापस लौटने पर, शिकार में हासिल सील
को अपनी पत्नी को सौंप देता ताकि वो उसे खाने के लिए तैयार कर सके । एक रोज हड़बड़ी
में उसका चश्मा खो गया और उसकी पत्नी ने उसकी आंखों को देखा । वो इंसानों जैसी
खूबसूरत नहीं थीं और बगैर चश्मे के वो बेहद बदसूरत दिख रहा था । उसकी पत्नी ये देख
कर रोने लगी ।
हिचकोले खाती नाव कभी भी पलट सकती थी । नाव में बैठे लोगों को शक हुआ कि,
यह सब उस युवती के कारण हो रहा होगा? तो उन्होंने उसे उठाकर समुद्र में फेंक दिया
और जैसे ही युवती ने बचने के लिए नाव का किनारा पकड़ने की कोशिश की,उन्होंने उसका
हाथ काट दिया । वो पानी में डूब गयी और समुद्र के तल से जा लगी, तथा नेरिविक बन
गयी । यानि कि समुद्र के सभी जीवों की शासक हो गयी । धरती पर लोग जब सील का शिकार करने
में असफल हो जाते हैं, तो वे लोग नेरिविक के पास जाते हैं, चूंकि उसका एक हाथ है
ही नहीं, तो वे लोग उसे खुश करने के लिए उसकी कंघी कर देते हैं और वो, इसके बदले
धरती पर सील और अन्य प्राणियों को भेजती है, ताकि इंसान उन्हें खाकर जीवित रहें ।
यह आख्यान एस्किमों समुदायों की वाचिक परंपरा का हिस्सा है । जीवन की
बर्फीली दुरुहता के दरम्यान उन लोगों में इस तरह के जादुई तत्वों वाली कहानियों का
चलन कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है । उनकी वेशभूषा में जानवरों की खालें और यदाकदा
मिलने वाले परिंदों के पंख सम्मिलित होते हैं, तो कहानी भी किसी बदसूरत आदमी को
लेकर कही गयी है, जिसे ब्याह की इच्छा है तो वो अपनी बदसूरती छुपाने के लिए सील की
खाल का कोट पहनता है और कमजोर नजर वाली कदाचित बेढब आंखों पर वालरस के दांतों का
चश्मा लगता है । कहानी से यह स्पष्ट होता है कि, अपने पर्यावास में जो मिले उसे
खाओ, उसे पहनो और सुन्दर दिखने के लिए उसका इस्तेमाल करो । तो सील की खाल के कोट,
वालरस के दांतों के चश्मे और संभवतः परिंदों के पंखों की सजधज के साथ वो युवक
बदसूरत दिखने के बजाये, थोड़ा आकर्षक या सामान्य व्यक्तित्व का पुरुष दिखाई देता होगा
।
उसे परिंदा कहने की सांकेतिकता में, शायद उसकी वेशभूषा में शामिल परिंदों
के पंखों का आधिक्य हो सकता है । अन्यथा वो सील का शिकारी है और उसे ब्याह के लिए
युवती की तलाश है, ना कि, किसी मादा परिंदे की। कठिन पर्यावासों में रहने वाले
इंसानों में जादुई और रहस्यमयी वृत्तांतों की भरमार होना अस्वाभाविक बात नहीं है ।
मुमकिन है, कथा में उल्लिखित युवा को ऐसे ही कारणों से जादुई शक्तियों वाला परिंदा
कहा गया हो। बहरहाल एक बात तो तय है कि, वो परिंदे के तौर पर संबोधित है और जादुई
शक्तियों का मालिक है या देह बदल सकता है,यह नितांत कल्पनाशीलता है । कदाचित वो,
ओझा, गुनिया नुमा कोई व्यक्ति है जोकि, युवती के समाज में कहीं और से आता है । अतः
उसके विजातीय होने की सम्भावना बनती है । उसे पत्नी की चाहत है और पत्नी उसे मिल
भी जाती है । वो सील का शिकार करके हरेक दिन भोजन की व्यवस्था करता है और प्रेम
पूर्वक अपने गांव में रहता है।
उसे स्मृति लोप होता होगा तभी वो अपना चश्मा भूल जाता है और पत्नी को यह
देख कर बहुत दुःख होता है कि, उसका पति उतना सुन्दर नहीं है जितना वो सज धज कर
दिखता है । एक सुन्दर सुदर्शन युवा के स्थान पर बदसूरत युवा की उपस्थिति उसे आघात
पहुंचाती है । इसके बरअक्स पति अपना रहस्य खुलने पर भी हंसता है क्योंकि वो जो
चाहता था, उसे पा चुका है । पत्नी के मायके वाले उसे देखने के लिए उसकी ससुराल पहुंचते
हैं संयोगवश पति घर पर नहीं है । वो आखेट पर निकला है । चूंकि अपने पति के
वास्तविक रूप को देख कर, पत्नी का मोहभंग हुआ है तो वो अपने मायके पक्ष के लोगों
के साथ घर से भाग निकलती है । समुद्र में नाव पर यात्रा का उल्लेख, यह स्पष्ट करता
है कि, पति का गांव, समुद्र तटीय इलाके में अवस्थित था । तूफ़ान एक संयोग हो सकता
है और युवती के साथ गए लोगों का अपने जीवन के प्रति मोह या स्वार्थ कि, नाव पर बोझ
कम करने के लिए युवती को समुद्र में फेंक दिया जाता है । उसका अंग भंग कर दिया
जाता है ।
वो डूब जाती है और कथित रूप से समुद्र की शासक या देवी तुल्य भी हो जाती
है, जिसे धरती के लोग पूजते हैं और इसके बदले वो, उन्हें समुद्री जीव देती है,
ताकि वे लोग जीवित रहें । जीते जी, उसे अपने पति के सौन्दर्य से प्रेम है पर मरने
के बाद वो सबके जीवन से प्रेम करती है ।
लेबल:
अली एम सैयद,
उम्मतें,
प्रेम,
लोक आख्यान