मुद्दतों
पहले कनाडा के अंध महासागरीय तट पर एक महान योद्धा रहता था ।
जिसके पास अद्भुत शक्तियां थीं, मसलन खुद को अदृश्य बना लेना, शत्रुओं की साजिशों
को गुप्त रूप से जान पाना वगैरह वगैरह । उसकी बहन जोकि तेज हवाओं
की मलिका थी, समुद्र तट पर खेमा बना कर रहती थी । वो अपने भाई के कामों में मदद
करती । वो उन लड़कियों का इम्तहान लेती जो उसके पराक्रमी भाई से ब्याह करना चाहतीं
थीं । लेकिन लम्बे समय तक कोई लड़की मलिका के इम्तहान की कसौटी पर खरी नहीं उतरी ।
चूंकि उसका भाई अक्सर अदृश्य बना रहता तो वो ब्याह के लिए इच्छुक लड़की के साथ
समुद्र तट पर टहलते हुए पूछती, क्या तुमने मेरे भाई को देखा है ? लड़कियां मलिका का
दिल जीतने के लिए झूठ बोल देतीं हां हमने उसे देखा है । मलिका पूछ्ती तो बताओ वो
अपनी स्लेज कैसे खींचता है ? कोई लड़की कहती बड़ी डोरी से, कोई कहती डंडे से और कोई
कहती मूस की खाल से । मलिका जानती थी कि, ये कपोल कल्पित जबाब हैं तो वो उन्हें अस्वीकृत कर देती । संयोग
से उसी गांव में एक मुखिया के तीन लड़कियां थीं जिनमें से सबसे छोटी लड़की बेहद
खूबसूरत और नर्म दिल थी । उसकी दोनों बड़ी बहने उससे ईर्ष्या करती थीं और उसके
प्रति क्रूर व्यवहार भी किया करतीं ।
वे अपनी बहन को फटे पुराने बदरंग कपडे पहनने देतीं । उसके बाल काट देतीं, इतना ही नहीं, उन्होंने उसके चेहरे को आग में झुलसा दिया ताकि वो बदसूरत दिखे । वो दोनों अपने पिता से कह देतीं कि, छोटी बहन ने यह सब खुद ब खुद किया है, हालांकि छोटी बहन सब्र करती और अपने काम में व्यस्त रहती । उसकी दोनों बड़ी बहने योद्धा से ब्याह करना चाहतीं थीं तो वो दोनों एक शाम को, मलिका के साथ समुद्र के किनारे टहलने पहुंच गईं ताकि उसे बेवकूफ बना कर अपनी तमन्ना पूरी कर लें । मलिका ने सबसे बड़ी से पूछा क्या तुमने योद्धा को देखा है ? उसने कहा हां, तब मलिका ने कहा कि योद्धा के कंधे का पट्टा कैसा है ? उसने कहा वो चमड़े का है सो योद्धा उसे अपने पास नहीं रखता । यह झूठ था तो मलिका ने उससे कहा तुमने झूठ बोला है । जाओ यहां से । इसके बाद दूसरी बहन ने भी झूठ बोला, उसने कहा कि, मैंने योद्धा को देखा है । उसके कंधे का पट्टा घास से बुना गया है । मलिका ने उसे भी अस्वीकार कर दिया । इसी दरम्यान सबसे छोटी बहन ने अपने फटे हुए कपड़ों, जले हुए चेहरे के साथ, इस इम्तहान में शामिल होने का फैसला किया ।
उसने
अपने कपड़ों को बर्च की छाल से ढंक दिया और अपने साधारण से गहने पहन कर वो योद्धा
को ढूंढने जा पहुंची। गांव की अन्य युवतियां और उसकी बड़ी बहने उसकी इस कोशिश को
बेवकूफी मानकर बहुत हंसीं । लेकिन वो चुपचाप अपने रास्ते पर आगे बढ़ती गई । शाम का
समय था । मलिका ने उससे पूछा क्या तुमने मेरी स्लेज को देखा, उसने कहा नहीं मैंने
आपकी स्लेज को नहीं देखा । मलिका हैरान हुई इससे पहले कभी, किसी युवती ने सच नहीं
बोला था । उसने पूछा क्या, तुमने मेरे योद्धा भाई को देखा है, वो अपनी बे-पहिया
स्लेज को कैसे खींचता है ? छोटी बहन ने कहा योद्धा अपनी स्लेज इन्द्रधनुष के साथ
खींचता है । मलिका ने फिर पूछा उस धनुष की डोरी क्या है ? छोटी बहन ने कहा, आकाश
गंगा उसकी डोरी है। ये सच था, मलिका उसे अपने साथ घर ले गयी।उसे नहलाया, उसके
चेहरे के दाग गायब हो गए । उसके बाल कौव्वे के पंखों की तरह से काले हो गए, फिर
मलिका ने उसे शानदार कपड़े और गहने दिए । तभी योद्धा प्रकट हुआ उसने कहा हां , यही
मेरी पत्नी है । यह झूठ नहीं बोलती ।
उनका
ब्याह हो गया और वे प्रेम से जिन्दगी गुजारने लगे । बहरहाल इस घटना से उसकी दोनों
बड़ी बहने हैरान रह गईं । उनका गुस्सा चरम पर था और वे उसने नुकसान पहुंचाने के
बारे में सोचने लगीं । आदिम योद्धा उनकी क्रूरता से वाकिफ था, वो नहीं चाहता था कि,
उसकी प्यारी पत्नी को कोई नुकसान या दुःख हो । उसने अपनी दिव्य ताकतों से दोनों
बड़ी बहनों को एस्पन वृक्ष में बदल दिया और धरती पर रोप दिया तबसे लेकर आज तक हवा
के डर से, एस्पन की पत्तियां थर थर कांपती हैं, चाहे वो तेजी से आये या आहिस्ता से
। वो अपनी क्रूरता और झूठ के लिए अब भी दिव्य आदिम योद्धा के कोप को याद करती हैं ।
यह
आख्यान, अंध महासागर के तटीय कनाडा में रहने वाले
जनजातीय समुदाय का आख्यान है । जिसमें सांकेतिक रूप से तेज हवा, जो दिखती नहीं है,
वो अपने योद्धा भाई की बहन है । योद्धा भी तेज हवाओं की शक्तियों और अन्यान्य शक्तियों का मालिक है । जिसमें वह अदृश्य रहकर
दुश्मनों से निपट सकता है, किंतु वो अविवाहित है और उसकी बहन को उसके ब्याह की
चिंता है । हम यह मान सकते हैं कि, ये अमेरिका के मूल निवासियों का जीवन कथन है,
जिसकी साम्यता, सिंड्रेला की कथा से की जा सकती है । कथा की नायिका, सबसे छोटी बहन, अपनी बड़ी बहनों
से खूबसूरत है, और कोमल हृदय भी । उसकी बड़ी बहने उसे बदसूरत दिखाने के तमाम जतन
करती हैं । उसे फटे कपड़े पहनाती हैं । उसका चेहरा उन्होंने जला दिया है और उसके लम्बे बाल
काटकर छोटे कर दिए हैं । यही नहीं उन्होंने अपने पिता से यह भी कहा कि, छोटी बहन
ने स्वयं ही यह सब कुछ कर लिया है ।
बहरहाल इस कथा में, दिव्य आदिम योद्धा के ब्याह के लिए तत्पर, उसकी बहन है,
जो समुद्र के किनारे एक ठिकाना बनाकर रहती है । यह अद्भुत कथन है कि, हवा समद्र के
किनारे ठिकाना बना कर रहे । उसे हम इस कथा में, कहन की सुविधा के लिए, मलिका के
नाम से संबोधित कर रहे हैं क्योंकि वह हवा की मलिका है ।
वह
अपने भाई के लिए सुयोग्य पत्नी की तलाश में है और इच्छुक युवतियों के इम्तिहान
लेती है । खासकर शाम के समय समुद्र के तट पर । ज्यादातर युवतियां झूठ बोलकर दिव्य योद्धा
को अपना पति बनाना चाहती हैं, लेकिन योद्धा की बहन ऐसी तमाम युवतियों को अस्वीकृत करती
जाती है, यद्यपि वह सांकेतिक रूप से बदसूरत दिख रही, छोटी बहन का स्वागत भी करती
है, जिसने अपने फटे कपड़ों में बर्च की छाल का पैबंद सा लगा लिया है और साधारण से
गहने भी पहन रखे हैं । हम यह मान सकते हैं कि, मलिका हर युवती में अपने भाई की अच्छी
पत्नी की संभावनाएं खोजती है, जो भी उसकी कसौटियों
पर खरी उतर जाए । वह केवल देखकर छोटी बहन को ठुकराती नहीं बल्कि उससे सवाल पूछती
है और वाजिब जवाब मिल जाने पर उसे अपने योद्धा भाई की पत्नी के रूप में स्वीकार कर
लेती है । उसका भाई भी युवती के लिए दृश्यमान
हो जाता है । वह मान लेता है कि लड़की, उसकी पत्नी बनने के योग्य है । कथा से
स्पष्ट होता है कि, बर्फीले इलाके में निवासरत आदिम कबीले में बेहतर जीवन संगिनी
खोजने के लिए किये गए सवाल, उस पर्यावास के अनुकूल हैं, मिसाल के तौर पर स्लेज और प्रातितिक रूप से,
अदृश्य शक्तियों का अस्तित्व में होना, ऐन इन्द्रधनुष के जैसा या आकाश गंगा के
जैसा ।
बहरहाल
उनकी दिव्य शक्तियां, लड़की के चेहरे के दागों को मिटा देती हैं और उसकी केश रचना
पहले की तरह से खूबसूरत कर देती है । यहां केशों की रंगत काले कौव्वे के जैसी होने
का कथन, पर्यावास के अनुकूल और अद्भुत कथन है । मलिका, युवती को शानदार कपड़े और
गहने देती हैं और फिर आदिम योद्धा तथा युवती का ब्याह हो जाता है । ब्याह के बाद
दिव्य आदिम योद्धा और युवती सुख पूर्वक, प्रेम पूर्वक रहते हैं , किंतु युवती की
बड़ी बहनें अब भी, ईर्ष्यावश युवती को नुकसान पहुंचाने की सोचती हैं । इस स्थिति
में आख्यान में एक अद्भुत सांकेतिक विवरण मिलता है कि, युवती का का पति । उन्हें एस्पन के दरख़्त में तब्दील कर देता है । जिसकी पत्तियां हमेशा
कांपती रहती हैं । चाहे हवा तेज हो या मद्धम । इंसानों के बरअक्स पत्तियों का भय
से कांपना, शानदार प्रतीकात्मक कथन है ये । वे अपनी करतूतों का फल पा रही हैं, पता
नहीं शर्मिंदा है अथवा नहीं । लेकिन कथा से यह संकेत अवश्य मिलता है कि, अगर आप सच
बोलते हों तो आपको उसका सुखकर परिणाम ही मिलता है और अगर आप क्रूर हृदय हैं तो
आपकी आशंकाएं हमेशा जीवित रहती है । यह कथा प्रेम से विवाह की कथा नहीं है, बल्कि
विवाह के पश्चात प्रेम की कथा है, जहां पर पति अपनी पत्नी के दु:खद अतीत को सुखद
भविष्य में बदलने की कोशिश करता है, क्योंकि उसकी पत्नी ही उसकी प्रिया है, जिसका सुख
स्वयं पति का भी सुख है...