गुरुवार, 6 जुलाई 2023

नार्सिसस


इको एक परी थी । जिसकी तकदीर में यह लिखा था कि, वह सिर्फ दूसरों की आवाजों और उनके आखिरी लफ़्ज़ों को दोहरा पायेगी। इसके अलावा वह खुद ब खुद कुछ बोल नहीं सकेगी। एक रोज उसने नार्सिसस को देखा और उसे मन ही मन में चाहने लगी । वह उसका पीछा करती रही । लेकिन जब तक नार्सिसस कोई बात बोलता नहीं, तब तक वह उसको दोहरा नहीं सकती थी । नार्सिसस का जन्म, नदी के देवता और लिरिओप नामक की परी के प्रणय संबंधों के दौरान हुआ था । लिरिओप को एक भविष्यवक्ता ने यह बता दिया था कि, जैसे ही नार्सिसस खुद को पहचानना भूल जाएगा । उसका बुढ़ापा आ जाएगा । बहरहाल बचपन बीता और नार्सिसस एक खूबसूरत युवक हो गया । उसे जो भी देखता, उससे मुहब्बत करने लगता, हालांकि नार्सिसस ने अभी तक, किसी के इश्क में मुब्तिला होने का कोई संकेत नहीं दिया था ।

एक रोज उसे यह अनुभूति हुई कि, कोई उसका पीछा कर रहा है । तब उसने उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन उसकी यह कोशिश बेनतीजा रही, क्योंकि इको सिर्फ नार्सिसस के लफ्जों को दोहरा सकती थी । वो अपनी तरफ से कुछ बोल नहीं सकती थी । इको ने एक दिन नार्सिसस को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन नार्सिसस ने, उसे स्वीकार नहीं किया और फिर दु:खी इको अदृश्य हो गई । उसका जिस्म, जैसे हवा में घुल गया हो । जब वह नार्सिसस को नहीं पा सकी, तो हमेशा हमेशा के लिए पहाड़ों और गुफाओं, जंगलों के दरमियान छुप गई, क्योंकि अब उसके पास कोई जिस्म नहीं था ।  उसकी हड्डियां गोया पहाड़ों की चट्टान बन गई हों । उसे पहाड़ों की चोटियों, घाटियों और गुफाओं में सुना जा सकता था । लेकिन उसके लिए नार्सिसस की मुहब्बत में नाकामी, सबसे बड़ा दंड था ।

देवताओं ने कहा था कि, नार्सिसस के पास ऐसा कुछ भी नहीं होगा, जिससे कोई इश्क करे, सो नार्सिसस के पास जो भी आता, उससे नाउम्मीद होकर लौटता । एक रोज नार्सिसस, शिकार करने निकला था और उसे प्यास लगी, तो वह तालाब में पानी पीने के लिए झुका, लेकिन पानी में अपनी ही छवि को पहचान नहीं सका । उसे अपनी छवि से इश्क हो गया । यह उस भविष्यवाणी के जैसा समय था, जो उसकी मां को भविष्यवक्ता ने बताया था । वह वहां से हिल भी नहीं पा रहा था और पानी में अपनी छवि को पकड़ भी नहीं पा रहा था । जिससे वह अत्यधिक प्रभावित था । उसने देवताओं को आवाज दी कि, उसे इश्क से वंचित क्यों किया जा रहा है जबकि वो उन दोनों के दरम्यान, मौजूद है । वह जिसे इश्क करता है । उसकी पकड़ में क्यों नहीं आ रहा है ?

वह अपनी छवि से बातें करने लगा । उसने तय किया कि, वह जिसकी मुहब्बत में गिरफ्तार हुआ है । उसे छोड़कर कहीं नहीं जाएगा।वह बिना नींद और खाने  के वहीं ठहर गया । खुद से मुहब्बत में पागल नार्सिसस बर्बाद हो गया । उसकी बर्बादी को देखकर, इको वापस आई।वह शोक करने लगी जैसे ही नार्सिसस ने अपनी छवि को आखिरी विदाई दी । इको ने उसके लफ़्ज़ों को दोहराया । इसके बाद नार्सिसस, जमीन की शैया पर लुढ़क गया । परियों ने उसकी मृत्यु पर शोक मनाया और मुर्दा जिस्म को, अपने बालों से ढक दिया ।  वो उसका अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हो चुकी थीं पर जैसे ही वापस मुडीं तो वहां पर कोई इंसान नहीं था, बल्कि एक फूल था, जिसे नार्सिसस कहते हैं ।

यह आख्यान प्रतीकात्मक रूप से बेहद दिलचस्प है, क्योंकि नार्सिसस, नदी के देवता और लिरिओप नाम की परी की संतान है । नदी, जो एक जल स्रोत है और सांकेतिक रूप से किसी अन्य जलस्रोत पर नार्सिसस की मृत्यु हुई । जल स्रोत जो उसके पिता का घर है । भविष्यवाणी यह थी कि, जब भी नार्सिसस अपने आप को पहचान नहीं पाएगा, तब उसका बुढ़ापा आ जाएगा यानि कि, उसकी मृत्यु हो जाएगी । शिकार के एक  दिन वह प्यासा है और जल स्रोत के किनारे अपनी ही छवि पर मुग्ध हो गया है । वह उससे दूर नहीं जाना चाहता, बल्कि उसकी मोहब्बत के नाम पर देवताओं से शिकवा करता है और उसी जगह पर अपनी ही छवि को अनाम प्रिया के रूप में पुकारते हुए मर जाता है ।

कथा कुछ इस तरह से आगे बढ़ती है कि, नार्सिसस  बेहद खूबसूरत युवा हो चुका है और सभी उससे मोहब्बत करने लगते हैं । लेकिन वह किसी की और की तरफ ध्यान नहीं देता और सभी की उन्सियत को ठुकरा देता है । हालांकि खुद से उन्सियत और अपने आप को ना पहचानने के हालात में, उसकी मौत यकीनी हो जाती है, जैसा कि, भविष्यवाणी की गई थी । आख्यान कहता है कि, इको नाम की परी, नार्सिसस से पहली ही भेंट में मोहब्बत करने लगती है । लेकिन नार्सिसस उसकी तरफ ध्यान नहीं देता और वह दु:खी होकर, अपना जिस्म को बैठती है, और पहाड़ों कंदराओं और जंगलों में छुपकर रहने लगती है, क्योंकि उसके पास, अब खुद का कोई जिस्म नहीं है ।

इको जो असल में किसी भी आवाज की प्रतिध्वनि है, एक नायिका परी के रूप में नार्सिसस से मोहब्बत करती है जोकि एक खूबसूरत युवा की जगह, अपनी मृत्यु के स्थान पर, एक शानदार फूल बन जाता है । यह आख्यान अद्भुत तरीके से एक युवती और एक युवक की असहमति से उपजी अफ़सोसनाक घटनाओं का विवरण देता है, जिसके मुताबिक, दोनों ही अपने जिस्म को त्याग कर कायांतरित हो जाते हैं  वो युवती केवल आवाज की प्रतिध्वनि बन जाती है,जबकि नार्सिसस  एक खुशबूदार फूल । यह कथा इंसानों और परियों के दरमियान मुहब्बत की नाकामी की कथा है। लेकिन उनका प्रेम, रूप बदल कर अमर हो जाता है। युवती, प्रतीकात्मक रूप से प्रतिध्वनि के रूप में और युवक, नार्सिसस के फूल के रूप में तब्दील हो जाता है ।

परियां युवक की मृत्यु का शोक करती हैं, लेकिन वे देह का अंतिम संस्कार करने से पहले देखती है कि, वह एक फूल में बदल चुका है।फूल जो अनंत काल तक धरती पर रहने वाला है और प्रतिध्वनि जो आवाजों के अमरत्व तक, इस दुनिया में जीवित रहेगी । इस कथा में कथित रूप से यह संकेत भी दिया गया है कि, नार्सिसस, किसी की मोहब्बत को क़ुबूल नहीं करता और एक रोज खुद से मोहब्बत करते हुए, अपने जिस्म को खो बैठता है । यह कहानी एक खास समय में असफल प्रेम की कहानी है, किंतु अनंत समय तक एक दूसरे के समानांतर जीवित रहने वाले, प्रेमी जोड़े के रूप में यह कथा भी हमेशा हमेशा के लिए जीवित रहेगी। लोग नार्सिसस से इश्क करेंगे और पहाड़ों में अपनी आवाजों की प्रतिध्वनि सुनकर खुश हुआ करेंगे...