शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

कटहदीन का ब्याह


उस रोज युवती, कटहदीन पहाड़ के पास जामुन इकट्ठे कर रही थी । उसने दोपहर की धूप में चमकते पर्वत को देखा उसकी चोटी भव्य सुफैद रंगत में चमक रही थी । युवती ठंडी सांस लेते हुए फुसफुसाई, काश तुम पुरुष होते और मैं तुमसे ब्याह कर पाती । वहां जामुन इकट्ठे कर रही, दूसरी स्त्रियों ने उसे उपहास की नज़र से देखा । युवती को लगा कि, पहाड़ ने उसकी बात अनसुनी कर दी है । तो वो और ऊंचाई की ओर बढ़ गयी । ऊंचे और ऊंचे । फिर उसे किसी ने देखा नहीं । अगले तीन साल तक उसके कुल, कबीले ने उसे पहाड़ पर मर खप गयी मान लिया । लेकिन एक दिन वो गांव वापस लौटी । उसकी गोद में एक खूबसूरत बच्चा था । जिसकी भौंहें पत्थर के जैसी थीं । उस बच्चे में अद्भुत शक्तियां थीं । अगर वो किसी परिंदे या जंगली जानवर की तरफ इशारा करता तो, वे वहीं पर बेसुध होकर गिर जाते और उसके कबीले के लोगों को, शिकार पर नहीं जाना पड़ता था, क्योंकि उनका शिकार उन्हें घर बैठे ही मिल रहा था । वो बच्चा असल में कटहदीन पहाड़ और उस युवती का पुत्र था । जिसे अपने पिता का नाम नहीं बताने का निर्देश दिया गया था । अगले कई सालों तक युवती और उसका पुत्र इस सवाल पर मौन साधे रहे ।

लोग ताने मारते, सवाल करते , बच्चे को चिढ़ाते कि, वो एक अनाम पिता की संतान है । लगातार सवालों से बेचैन होकर युवती ने कहा, कटहदीन इसका पिता है । इस बच्चे का जन्म, हमारे कबीले की आगत पीढ़ियों के सामर्थ्यशाली, गौरवशाली होने के लिए, संस्थापक बतौर हुआ है । आगे चल कर ये कबीला पूरी दुनियां में अपनी नस्ल बढ़ाएगा और राज करेगा । फिर एक दिन किसी बात पर नाराज युवती ने अपने कबीले को धिक्कारते हुए कहा, बेवकूफो जिन हाथों से तुम पानी में तैर सकते हो, उन पर नन्ही सी ततैया भी डंक मार देती है । क्या ये तुम्हें दिखता नहीं । ये सब जानते हुए भी तुम लोग मुझे परेशान करते हो । क्या तुम्हें बच्चे की भौंहों में कटहदीन के निशान दिखते नहीं ? तुम्हारा व्यवहार तुम पर अभिशाप है । अबसे तुम अपना ही अहित करोगे । अपने पालतू पशुओं का मांस खाओगे, जो जहर की तरह से तुम्हारी नस्लों को बर्बाद कर देगा । इसके बाद युवती, अपने बच्चे की अंगुली पकड़ कर, पहाड़ की दिशा में बढ़ी और गायब हो गयी। शानदार भविष्य के हकदार, कबीले के लोग,पहाड़ के प्रेम और आशीर्वाद के प्रति अहसानमंद होने के बजाय अपनी जुबानों पर काबू नहीं रख सके । वे महान  हो सकते थे । अब मुट्ठी भर शेष रह गए हैं ।

यह कथा सांकेतिक रूप से अद्भुत है । कथा में उद्धरित समाज, उत्तरी अमेरिका के अर्वाचीन समुदाय यानि कि, मूल निवासियों की, एक युवती के हवाले से प्रकृति और समाज के एक्य का विवरण देता है । हम सभी जानते हैं कि, आदिम समुदाय मूलतः आत्मावादी और प्रकृति पूजक होते हैं, सो युवती का कबीला भी इस विशिष्टता से मुक्त नहीं है । युवती खाद्य संग्राहक के रूप में अपनी सखियों, नातेदारों के साथ प्रकृति प्रदत्त उपहार, जामुन का संग्रहण कर रही है । वो कटहदीन पहाड़ का सौन्दर्य देखकर अभिभूत है और पति के रूप में उसकी कामना करती है । पहाड़, जोकि, आदिम कबीलों की मान्यताओं के अनुसार, प्रकृति के अन्य तत्वों की तरह से देव शक्ति है अथवा देव पुरुष या प्रातीतिक रूप से कोई सुदर्शन, सुगठित देहयष्टि वाला युवा । कथनाशय यह है कि, कथा की नायिका द्वारा, किसी देवता या सामर्थ्यवान युवक से ब्याह की कामना, अस्वाभाविक नहीं है । युवती, देवता के शीश को, चमकीली धूप में शुभ्र, धवल रूप में देखती है, गोया यह उस खूबसूरत युवा के सिर पर सुफैद पगड़ी हो । वह अपनी मनोकामना को फुसफुसा कर कहती है, जैसे कि, अन्यान्य लज्जावान युवतियां करती हैं ।

उसकी सखियां और सगे सम्बन्धी, कदाचित अपने खाद्यसंग्राहक कबीले जैसी  निर्धन अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि में, और युवती द्वारा जोड़ीदार के रूप में चिन्हित किये गए, देवता या कुलीन युवा की तुलनात्मकता पर उपहास करती हैं, पर युवती उनकी चिंता किये बगैर आगे बढ़ जाती है और अपने कबीले से पलायन कर जाती है । ज़ाहिर है कि, युवती को अपना वर चुनने का अधिकार था और उसने इसका इस्तेमाल किया । बहरहाल अपने प्रेमी को लेकर, सहपलायन कर गयी युवती, अगले तीन वर्षों तक अपने ही कबीले द्वारा लगभग विस्मृत कर दी गयी है और आकस्मिक रूप से एक दिन घर वापस लौटती है, एक पुत्र के साथ, जो अपने पिता के जैसा दिखता है । बच्चे की भौं के पिता जैसे होने का कथन दिलचस्प है क्योंकि यह तो जैविक सत्य है कि संतति, अपने अभिभावकों के शारीरिक लक्षणों से साम्य रखती हो । अल्पवय बच्चे में शिकार करने की विलक्षण शक्ति होने का कथन कबीले के दिव्य शक्तिमान जामाता या अप्रकट बने रहे युवा दामाद के स्तुतिगान जैसा है । हालांकि यह कथन इस बात का संकेत करता है कि, युवती के पुत्र के कारण से वो कबीला खाद्य संग्राहक अर्थव्यवस्था से इतर आखेटकों जैसे खाद्य उपहारों का सुख ले रहा है, वो भी बिना मेहनत किये ।

सामान्यतः यह प्रचलित जनविश्वास और मान्यता है कि, मुफ्तखोरी, काहिली, और अकर्मण्यता मनुष्यों के चरित्र में सकारात्मक ऊर्जा नहीं भरती बल्कि वे, अपने सुखकर भविष्य के बारे में सोचने समझने की शक्ति भी खो बैठते हैं । अब कबीले की फ़िक्र रोजी रोटी नहीं है, बल्कि युवती के पति और बच्चे के पिता की खोज परख, कानाफूसी, अफवाहों और उपहास उड़ाने जैसे कृत्यों तक सीमित हो गयी है । उन्हें किंचित भान भी नहीं कि, उनसे अथिक सामर्थ्यवान शक्ति, उनके साथ है और बच्चा दुनिया में, उनके गौरवशाली भविष्य का नायक है । वो युवती जो अपने कुल की उन्नति की आस लिये वापस आई थी । लेकिन नासमझ, निठल्ले, कुंठित समाज की फुसफुसाहटों से मुक्त होकर प्रियतम के घर वापस चली गयी और वो कबीला, जिसे पूरी दुनिया में छा जाना था । अपने करनी के दंड स्वरूप सिमटता जा रहा  है । विलुप्त होते समाज सा, जो, अपनी समृद्धि और ऐश्वर्यपूर्ण जीवन के सपने को, भोर होने से पहले ही विस्मृत कर गया हो । वहां उनके लिए प्रेम था, जो अब नहीं रहा...