शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

सुफैद घोड़ा और नीली हवा

 

गर्मियों की रुत में, शाम के ढलते ही ठंडक के अहसास के बाद या फिर सर्दियों के मौसम में, जब अलाव जल उठते हैं, तब रूटाबागा के लोग अपने बच्चों को कहानियां सुनाते हैं खासकर सुफैद घोड़े पर सवार लड़की और नीली हवा के मालिक लड़के की कहानी । कहते हैं कि, लड़की को घुड़सवारी का बेहद शौक था और वो, अक्सर पश्चिमी रूटाबागा की नदियों, झीलों के किनारे, पहाड़ों के इर्द गिर्द, घोड़े की लगाम को नर्म हाथों से थामे हुए घूमती रहती । उसके पास तीन घोड़े थे । एक बर्फ की तरह से सुफैद, दूसरा भेड़ की धुली हुई सुफैद ऊन की मानिंद और तीसरा चांदी सी शुभ्र रंगत वाला घोड़ा । लड़की के लिए यह तय करना मुश्किल था कि, इनमें से कौन सा घोड़ा उसे सबसे ज्यादा पसंद है । उसे सभी घोड़ों की सुफैद अयाल, सुफैद जिस्म और सुफैद पांव बेहद पसंद थे और वो कहती कि, तीनों घोड़ों के कानों के करीब से लटकती अयाल उसे बेहद खूबसूरत लगती है ।

लड़की के ही देश में, बेहद करीब रहने वाला लड़का, जो नीली हवाओं का दोस्त था और हवाओं की आवाजें सुनते हुए, घास और मिट्टी पर चहलकदमी करना पसंद करता । उसके ऊंचे जूते बेहद मज़बूत थे, इसलिए उसे रूटाबागा की नदियों , झीलों और पहाड़ों के आस पास पैदल चलने में कोई दिक्क़त नहीं होती थी । वो दूर दूर तक हवाओं की सोहबत में लम्बी लम्बी यात्राओं का शौक़ीन था।वहां गर्मियां सुबह छै बजे और सर्दियों की सुबह आठ बजे शुरू होती थी । उसे गर्मियों और सर्दियों की रात में चमकते सितारों वाली नीली हवा, फिर दिन और रात के दरम्यान, शाम को बहती नीली हवा, इसके अलावा भोर की नीली हवा, अच्छी लगती थी, पर वह यह तय नहीं कर पाता था कि, कौन सी हवा उसे ज्यादा पसंद है । वह सुबह की हवा पर यकीन करता, उसे याद करता, रात की हवा उसके अन्दर समा जाया करती और उसके सारे राज जानती थी । वो मानता था कि, शाम की हवा, उससे इंतजार करने को कहती है और उसे वो सब देने वाली है , जो वह चाहता है ।

बहरहाल एक दिन वो दोनों मिले, नदियों, झीलों और पहाड़ों के दरम्यान भटकते हुए, सुफैद घोड़े पर सवार लड़की और अपने मजबूत जूते पहने हुए पैदल घूमता हुआ लड़काआखिरकार वो दोनों पश्चिमी रूटाबागा के रहने वाले पड़ोसी तो खैर थे हीलड़की ने लड़के को अपने तीनों घोड़ों की रंगत के बारे में बताया, जिन पर सवार होकर वो घूमा करती थी और लड़के ने लड़की को तीनों नीली हवाओं के बारे में बताया, जिनकी सोहबत में वो था जिस पर यकीन करता, जो उसके राज जानती और जो उससे सवाल पूछती और इंतज़ार करने को कहती । इसके बाद एक दिन, एक साथ, वो दोनों चले गए । कोई नहीं जानता कि, दोनों कहां गए ? क्यों गए ?  यहां तक कि, रातों में कहानी कहने वाले, बड़े बूढों में से, किसी को कुछ पता नहीं वे आज तक हैरान हैं

यह आख्यान उत्तरी अमेरिका के प्रेयरी के मैदानों का है, जहां पर बुजुर्गवार अपने बच्चों को रात होते ही कथाएं सुनाते हैं, कभी अलाव के इर्द गिर्द और कभी गर्मियों के मौसम में बिना अलाव । इस कथा के नायक और नायिका रूटाबागा नामक देश के पश्चिमी हिस्से में रहते हैं और दोनों की रुचियां एक दूसरे से भिन्न हैं । नायक को पैदल घूमना पसंद है तो नायिका को घुड़सवारी का शौक है।नायक को नीली रंगत पसंद है तो नायिका को सुफैद। नायक को हवाओं की खुश्बू का ख्याल है तो, नायिका को घोड़ों की अयाल।बहरहाल उन दोनों को यायावरी समान रूप से प्रिय है और नदी, झीलें, पहाड़ भी ।

उनकी पसंद, प्रकृति से वाबस्ता है और दोनों ही प्रकृति को अपने भीतर तक महसूस करते हैं । नायिका प्राकृतिक पर्यावास के जीव विशेष पर आसक्त है तो नायक को जीवन दायिनी हवा से बातें करना पसंद है । चूंकि वे दोनों घास के मैदानों में कही गयी कथा के किरदार हैं , तो नायिका को ऊंची घास के दरम्यान घोड़ों के ऊपर बैठकर घूमना निरापद लगता होगा जबकि नायक घास में मौजूद ज़हरीले जीव जंतुओं से बचने के लिए मजबूत और ऊंचे जूते पहनता है । कथा में उन्हें प्रकृति मित्र बताया गया है जो पड़ोसी तो हैं पर मिले उम्र के खास मोड़ पर ।

बहरहाल नायक नायिका, मिलने के अवसर पर, एक दूसरे की रुचियों और ख्यालातों को साझा करते हैं । उनका साझापन बेहद निजी है, यानि कि, उन दोनों के अलावा कोई नहीं जानता कि, उनके सह पलायन के मायने क्या हैं और दोनों एक के साथ कहां चले गए हैं । उन बुजुर्गों से दूर जो उनकी कथाएं कहते हैं, उनके बारे में हरेक रात बयान बाजियां करते हैं । उनके साझापन कदाचित प्रेम को बच्चों तक से कह डालते हैं। सो हरेक प्रेमी की तरह से इस कथा के नायक,नायिका भी सचेत हैं।उन गल्पों से जो उनके लिए कही जाने वाली हैं। वे साथ जाते हैं पर उनका जाना कथा वाचकों के लिए रहस्यमयी है । निश्चय ही वो दोनों प्रेम में रहे होंगे । उनके दिलों में एक दूसरे के लिए थोड़ा बहुत मोह ज़रूर होगा । आसक्ति होगी । लेकिन उन्होंने गोपन को अगोपन नहीं किया । कथाकालीन समाज के बूढों के लिए वो दोनों दीर्घकालिक अनिश्चय छोड़ गए हैं । लेकिन उम्र के विशिष्ट काल खंड में उनका मिलना और यह कथा संकेत कि, उन्होंने एक दूसरे के साथ विचार विमर्श किया और फिर चले गए,कदाचित वहां,जहां अफवाहें नहीं होंगी। उनके साझापन के विरोध का संकट नहीं होगा । कोई उन पर ताने नहीं कस पायेगा और वे रह सकेंगे एक साथ प्रेम से, जी सकेंगे अपनी अनुभूतियों की दुनिया में बे-रोक टोक, प्रकृति के इशारों पर धड़कते दिलों की शाश्वत जुगलबंदी में...