रविवार, 2 जुलाई 2023

सस्सी पुन्नू


सस्सी के जन्म के बाद ज्योतिषियों ने कहा था कि सस्सी जवान होकर, अपने खानदान की इज्जत मिट्टी में मिला देगी । उस वक्त उसकी अजीब-ओ-गरीब मुहब्बत के किस्से से शाही खानदान शर्मसार हो जाएगा सस्सी के पिता भम्बूर के राजा थे, ज्योतिषियों के कथनानुसार सस्सी को अभिशापित मानकर, उन्होंने सोचा कि सस्सी को मार दिया जाए, बाद में अपने दरबारियों और परिवार के परामर्श से, सस्सी को सोने से भरे संदूक में रखकर सिन्धु नदी में बहा दिया संयोग से वो संदूक एक धोबी के हाथ लग गया और उसने, मौजूद खूबसूरत बच्ची को अपनी पुत्री की तरह से पालना तय किया । सस्सी जैसे जैसे जवान हुई उसके चन्द्र परी मानिंद हुस्न की ख्याति दूर दूर तक फ़ैल गयी । इसी दरम्यान किसी सौदागर ने भम्बूर के वृद्ध हो चले राजा को धोबी की पुत्री सस्सी की खूबसूरती के किस्से बताये तो उसने धोबी के घर सस्सी से खुद के ब्याह का प्रस्ताव भेज दिया ।

ब्याह की बातचीत के दौरान धोबी ने राजा को यह किस्सा बताया कि, वो उसे नदी में बहते हुए एक संदूक में मिली थी । उसने राजा को वो हार भी दिखाया जो, नन्हीं सस्सी ने उस वक्त पहना हुआ था । ताबीजनुमा उस हार को देखकर, राजा बेहद शर्मिन्दा हुआ, उसे याद आ गया कि सस्सी उसकी ही पुत्री है । अब राजा अपने ब्याह के प्रस्ताव को लेकर बहुत लज्जित था । वो अपने कलंकित व्यवहार के प्रायश्चित स्वरूप, अपनी पुत्री को महल वापस लाना चाहता था ।  लेकिन सस्सी ने महल जाने से साफ़ इनकार कर दिया । वो अपने पालक पिता के परिवार में ही रहना चाहती थी । उसे अपने बचपन में, जैविक पिता द्वारा किया गया व्यवहार अस्वीकार्य था । बहरहाल राजा ने धोबी के घर को ही एक महल में तब्दील कर दिया ताकि उसकी पुत्री उससे माफ़ कर दे और खुशहाल रहे । एक रोज वहां से गुज़र रहे काफिले में से किसी के पास पुन्नू की तस्वीर थी जिसे देखकर सस्सी अपना दिल हार बैठी वो पुन्नू को पाना चाहती थी ।

पुन्नू असल में बलोच था और उसके पिता मीर होथ खान मकरान की छोटी सी रियासत के राजा थे । पुन्नू ने सौदागरों से सस्सी की ख़ूबसूरती के किस्से सुने और वह सस्सी से मिलने उसके घर जा पहुंचा हालांकि उसे यह पता नहीं था कि, सस्सी भी उसे चाहती है । पुन्नू ने जैसे ही सस्सी को देखा । वो उसका दीवाना हो गया । उसने सस्सी से ब्याह के लिए धोबी से मनुहार की । पहले धोबी ने कहा कि पुन्नू को धोबी बनकर उसके ही घर पर रहना होगा । बाद में अपनी पुत्री सस्सी की चाहत का ख्याल कर वो इस रिश्ते के लिए सहमत हो गया । उधर पुन्नू के भाइयों को यह रिश्ता पसंद नहीं था वे शादी में शामिल तो हुए लेकिन उन्होंने पुन्नू को इतनी शराब पिला दी कि, वो बेसुध हो गया और वे लोग उसे लेकर अपने घर वापस चले गए । ये खबर सुनकर परेशान हाल, सस्सी किसी भी सूरत, पुन्नू को पाना चाहती थी सो वो अपने माता पिता के समझाने के बावजूद, पैदल ही पुन्नू को ढूंढने निकल पड़ी ।

 रेगिस्तान की तपिश में उसके पैर झुलस गए । उसके ओंठ खुश्क थे पर उन पर सिर्फ पुन्नू का नाम था । उसे पुन्नू के घर जाना था पर वो, रास्ता नहीं जानती थी । उसने भेड़ और ऊंट चराने वाले चरवाहे से मदद मांगी पर चरवाहे की नीयत ख़राब हो गयी, सस्सी बड़ी मुश्किल से उससे अपनी जान बचा कर भागी । उसके सामने रेगिस्तान था । आंधियां थीं । भयानक गर्मी थी और भटकाव था । अगर नहीं था तो पुन्नू । उसने ईश्वर से दुआ की कि, मेरा सब्र ख़त्म हुआ । अब और नहीं सह सकती, मेरी जान ले लो । फिर रेगिस्तान उसे लील गया । उधर पुन्नू जब शराब के नशे से आज़ाद हुआ तो पागलों की तरह से सस्सी के गांव की तरफ भागा रास्ते में उसे चरवाहा मिला, उसने पुन्नू को बताया कि, सस्सी रेगिस्तान में दफन हो गयी है । शोकाकुल पुन्नू वहीं ठहर गया, उसकी ज़िन्दगी में अब कोई आस बाकी नहीं थी । उसने विलाप किया और रेगिस्तान की गर्म रेतीली आंधी उसे भी उसी जगह  दफ़न कर गयी ।

यह कथा सिंध और बलूचिस्तान की रियासतों की दूरियों को नापती एक दुखांत प्रेम कथा है जिसे सिंध के सूफी कवि शाह अब्दुल लतीफ भिटाई ने कहा है कथा के अनुसार सिंध की छोटी सी रियासत भम्बूर का राज परिवार, अंधविश्वास का शिकार है और वह ज्योतिषियों की कथित भविष्यवाणी से परेशान है । वो अपनी नवजात पुत्री को जान से मार देने  और नदी में बहा देने में से दूसरा विकल्प चुनता है संदूक में, सोने के साथ, नन्ही सी पुत्री भी है, जो सिंध नदी में बहती हुई, एक धोबी को मिल जाती है बच्ची बेहद खूबसूरत है और धोबी उसे पालना चाहता है विकल्प के तौर पर उसे संदूक में सोना भी मिल गया है अगर हम सांकेतिक रूप से सोचें तो कथा का पालक पिता, धोबी, धोता है कदाचित  पाप दूसरों के मैल दूसरों का यहां भी उसने धोया, अंधविश्वास भम्बूर के राजा का ।  यह एक अजीब सी कथा है, जिसमें बच्ची का नाम सस्सी यानि कि शशि रखा जाता है अर्थात चांद जैसी वह बच्ची धोबी के घर में पाली जाती है और जवान होते होते,उसके सौंदर्य के चर्चे दूर-दूर तक फैल जाते हैं

सस्सी के युवा होने तक भम्बूर का राजा जो प्रौढ़ावस्था को पार कर, वृद्धावस्था की दहलीज पर है, लेकिन उसकी यौन पिपासा, उसमें अब भी शेष है वह धोबी के घर, अपने विवाह का प्रस्ताव भेजता है । चर्चा के दौरान यह जानकर कि, सस्सी उसकी अपनी पुत्री है, जिसे उसने, बचपन में त्याग दिया था वह शर्मिंदा है खासकर अपने विवाह के प्रस्ताव को लेकर वह अपनी पुत्री को वापस भम्बूर ले जाना चाहता है, लेकिन सस्सी अपने पिता के व्यवहार से क्षुब्ध है और शर्मिंदा भी वह इस प्रस्ताव को ठुकरा देती है और अपने जैविक पिता के बजाये अपने पालक पिता के यहां रहना पसंद करती है चूंकि भम्बूर का राजा करनी का प्रायश्चित करना चाहता है, तो वह धोबी के घर को एक शानदार महल के रूप में तब्दील कर देता है, ताकि उसकी पुत्री सुख चैन से रह सके । फिर ये कथा कुछ इस तरह से आगे बढ़ती है कि, धोबी के महल के सामने से सौदागरों के काफिले गुजरते हैं और उनके पास पुन्नू की तस्वीर है, जिसे देखकर सस्सी मुग्ध हो जाती है, वह पुन्नू को पाना चाहती है पुन्नू जोकि मकरान की रियासत और बलोच मूल का सुंदर युवा है

पुन्नू को सस्सी के बारे में उड़ती उड़ती खबरें मिली हैं कि, वह बहुत खूबसूरत है । ऐन परियों के जैसी वह सस्सी को  देखने के मकसद से अपनी रियासत से सस्सी के घर जा पहुंचता है और उसे देखकर हतप्रभ रह जाता है उसके प्यार में सम्मोहित सा सस्सी, पन्नू से पहले ही प्रेम कर बैठी थी अतः उसे इस रिश्ते से इंकार नहीं था, लेकिन पुन्नू की राजसी पृष्ठभूमि से आशंकित धोबी पुन्नू के ब्याह के प्रस्ताव को स्वीकार करने की शर्त रखता है कि, पुन्नू को धोबी की तरह जीवन व्यतीत करना होगा, लेकिन बाद में वह मान जाता है हालांकि पुन्नू के भाई इस रिश्ते से नाखुश है कि, पुन्नू एक राजसी परिवार को छोड़कर, एक साधारण से धोबी की पुत्री से ब्याह करे, लेकिन उनके सामने कोई विकल्प नहीं था, तो वे,  ब्याह की रस्मों में शामिल होकर पुन्नू को इतनी शराब पिलाते हैं कि, पुन्नू बेसुध हो जाता है और वे मदहोश पुन्नू को वापस मकरान ले जाते हैं, जिससे दुखी सस्सी, पुन्नू को पाने के ख्याल से, उसकी रियासत में जाना चाहती है वो पुन्नू को ढूंढना चाहती है

उसके पालक माता-पिता उसे समझाते हैं कि, रास्ते में रेगिस्तान है और बेपनाह कठिनाइयां है लेकिन सस्सी प्रेम के लिए सारी कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार है वह रेगिस्तान में झुलसती है वह प्यासी है भटकती है किसी चरवाहे से सहायता की कामना करती है, लेकिन चरवाहा अंततः मर्द है जो भटकती हुई युवती के साथ अपनी यौन लिप्सा को शांत करना चाहता है सस्सी उससे बचकर तो भाग निकलती है पर, रेगिस्तान उसका नसीब है वह भटकते भटकते अपना धीरज खो बैठती है और ईश्वर से प्रार्थना करती है कि, उसके भटकाव का अंत कर दे । अब  ईश्वर ने उसकी दुआ सुनी या नहीं, कह नहीं सकते पर रेगिस्तान उसकी गुहार सुन लेता है उधर पन्नू शराब के नशे से जैसे ही होश में आता है वह सस्सी की तलाश में उसके गांव की तरफ भागता है उसे राह में मिला एक चरवाहा कहता है कि, सस्सी को रेगिस्तान निगल गया है । हताश और स्तब्ध, पुन्नू अपनी प्रियतमा की रेतीली समाधि में स्वयं भी समाधिस्थ  होने निश्चय कर लेता है

अंततः पुन्नू भी अपने प्रेम को, जलते हुए रेगिस्तान में पा लेता है गर्म और रेतीली आंधियां उसे, सस्सी के पास दफन कर देती हैं कथा का सार यह है कि, लड़कियां चाहे कितनी भी खूबसूरत हों, अंधविश्वास उनका जीवन दूभर कर देता है  अगर वे साधारण परिवार की हों, तो कुलीन परिवार उनके रिश्तो को सहज ही स्वीकार नहीं करते प्रेम के मार्ग में रेत की आंधियां आती है और कदाचित आती ही रहेंगी इस कथा के इश्क की तपिश, रेगिस्तान की तपिश के इतर, आज दिन तक, चाहने वालों को हौसले देती है,भले ही यह कथा दुःख पर समाप्त हुई हो