रविवार, 2 जुलाई 2023

मोमल रानो


मोमल राठौर जैसलमेर के लोद्रवा नाम की रियासत की राजकुमारी थी जिसका शानदार महल काक नदी के किनारे निर्मित था उसके महल के बारे में यह मशहूर था कि, वहां पर जादुई शक्तियां वास करती हैं तब मोमल अपनी बहनों, सखियों और सेविकाओं के साथ उस महल में रहती थी उन्हीं दिनों राणा महेंद्र सोधा सिंध की एक रियासत अमरकोट के युवा महाराज थे जिनके साहस और शौर्य की प्रशंसा उनके शत्रु भी करते थे अमरकोट, लोद्रवा से लगभग 100 कोस की दूरी पर होगा कहते हैं कि, एक बार राणा महेंद्र सोधा अपने युवा बहनोई हमीर के साथ शिकार करते हुए भटक गए और वह काक नदी के किनारे खूबसूरत महल देखकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने सोचा कि, इस महल में आराम किया जा सकता है इसलिए इसे अन्दर जाकर देखना चाहिए, तभी महल के अन्दर से आवाज आई कि, एक समय में एक ही आदमी महल के अंदर आ सकता है चूंकि हमीर बड़े थे, तो अन्दर जाने का पहला अवसर उनके हिस्से आया जब वह महल में घुसे तो उन्होंने वहां पर एक बाघ और एक सांप को देखा और आशंकित होकर वापस लौट आए उन्हें लगा कि, महल में जादू है और अंदर चुड़ैलें रहती होंगी

इसके बाद राणा महेंद्र सोधा महल में घुसे और उन्होंने बाघ को देख कर, उस पर भाला चलाया तो उन्हें पता चला कि वह खाल में भूसा भर के तैयार किया हुआ नकली बाघ था और फिर राणा महल के अंदर जा पहुंचे, तथा खूबसूरत राजकुमारी मोमल को देखकर मुग्ध हो गए राणा खुद भी एक खूबसूरत युवा थे, तो उन्हें देखकर मोमल भी उन पर आसक्त हो गई और इस तरह से वो दोनों एक दूसरे के इश्क में मुब्तिला हो गए अब हुआ यह कि, हर शाम राणा एक तेज रफ्तार ऊंट पर बैठकर अमरकोट से लोद्रवा आया करते और रात भर मोमल के पास रहकर, बड़ी सुबह अमरकोट लौट जाया करते । राणा की पहले भी कई शादियां हो चुकी थीं जब उनकी रानियों को यह पता चला कि, राणा, रात भर मोमल के पास रहते हैं तो उन्होंने, ईर्ष्यावश उस ऊंट की पैर तोड़वा दिए, जिस पर बैठकर राणा, हर रात मोमल के पास पहुंचते थे उस शाम राणा ने ऊंट के विकल्प के तौर एक तेज रफ्तार ऊंटनी का प्रबंध किया, लेकिन ऊंटनी लोद्रवा के रास्ते से अपरिचित थी तो उसकी रफ़्तार काम नहीं आई और राणा बहुत देर तक भटकने के बाद ही मोमल के महल में पहुंच पाए

उस शाम मोमल और उसकी बहन, सखियां और सेविकायें, पुरुष वेश में एक दूसरे के साथ खेल रही थीं, अभिनय कर रही थीं । चूंकि राणा उस रात बहुत देर तक महल में पहुंचे ही नहीं थे तो मोमल की पुरुष वेशधारी बहन, मोमल के साथ ही सो गई और जैसे ही राणा वहां पहुंचे उन्होंने किसी पुरुष को मोमल के साथ सोते हुए देखा तो उन्हें गहरा आघात पहुंचा उन्हें लगा कि मोमल बेवफा है और वो वहां से वापस अमरकोट लौट गए मोमल को सुबह अंदाज हुआ कि, घटना किस तरह से घटी होगी तो वो राणा को मनाने के लिए लोद्रवा से अमरकोट पहुंच गई राणा को भी लगा कि, मोमल, मासूम हो सकती है, फिर भी वह अपने इश्क का इम्तहान लेना चाहते थे उन्होंने अपने नौकर के माध्यम से मोमल को ये सन्देश भेजा कि राणा को काले नाग ने डस लिया है और उनकी मृत्यु हो गई है यह खबर सुनते ही मोमल हृदयाघात से मर गई और मोमल की अयाचित मृत्यु का समाचार पाकर राणा महेंद्र, रेगिस्तान में पागलों की तरह भटकते हुए मर गए

यह कथा भारत में विभाजन की रेखा खींचे जाने से पहले के सिंध की रियासत अमरकोट के युवा महाराज और जैसलमेर की लोद्रवा रियासत की राजकुमारी मोमल के प्रेम की दु:खांत कथा है इस कथा को सिंध के सूफी कवि शाह अब्दुल लतीफ भिटाई ने लिखा था और इस कथा के अनुसार तब की छोटी छोटी रियासतों में या तो जमीन और स्त्रियों को लेकर युद्ध होते थे या संयोगवश ऐसे प्रेम जैसा राणा और मोमल के दरम्यान हुआ इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि, वह समय स्त्री बहुगामिता का समय था और राणा मोमल से प्रेम करने से पहले ही कई पत्नियों का पति था इसके बावजूद वह मोमल के प्रति आसक्त हुआ इसके बरक्स संभव है कि, मोमल को राणा की पूर्व पत्नियों का संज्ञान ना रहा हो हालांकि कथा कहती है कि, मोमल प्रथम दृष्टया ही राणा की मोहब्बत में गिरफ्तार हो गई थी यह अजीब बात है कि, राणा सैकड़ों कोस दूर से एक तेज रफ़्तार ऊंट के भरोसे मोमल के महल पहुंचता और रात भर मोमल के साथ रहता है  फिर अलसुबह, अमरकोट लौट जाया करता है

हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि, नायिका मोमल से उसका रात्रिकालीन सामीप्य, सानिध्य मनः प्रेम के साथ दैहिक भी था, जिसमें अपनी नई नवेली प्रिया के साथ रात बिताना राणा के लिए अपरिहार्य हो गया होगा, भले ही उसके पास पहले से ही कई रानियां थी जिनके साथ वो अपनी देह की मांग को पहले भी पूरी करता रहा होगा इसके बावजूद वह अपनी ब्याहता पत्नियों को छोड़कर, एक अन्य खूबसूरत युवती के मोहपाश में बंध गया था, जो कि उसकी ब्याहता पत्नी भी नहीं थी तो मोमल और राणा की प्रेम कथा, विवाहेत्तर प्रेम की कथा भी है, जहां नायक, नायिका से ब्याह किए, बगैर केवल रात के अंधेरे में उससे मिलता है और भोर होने से पहले अपनी रियासत लौट जाता है कुछ अर्थों में इस प्रेम को अनैतिक भी माना जा सकता है और नैतिक केवल इस अर्थ में कि, जिसके हाथ में शक्ति होती है, वह कितनी भी स्त्रियों से संबंध रख सकता है, चाहे ब्याह के माध्यम से या बिना ब्याह के इस कथा में एक आश्चर्यजनक घटना यह हुई कि, राणा अपनी पत्नियों की ईर्ष्या के कारण अपने ऊंट को खो बैठा है और ऊंटनी के माध्यम से लोद्रवा पहुंचने की उसकी कोशिश नाकाम तो नहीं हुई लेकिन भटकाव का शिकार जरूर हो गई । लोद्रवा में राजकुमारी मोमल, उसकी बहन, सखियां और सेविकायें हैं । जो मनोरंजन की गतिविधि के अंतर्गत पुरुषवेश धारण करते हैं अभिनय करते हैं चूंकि वे सब थक कर चूर हो गए हैं और राणा अपने भटकाव के चलते महल में पहुंचा ही नहीं है, तो मोमल और पुरुषवेश धारी युवती का एक साथ सोना, देर से पहुंचे राणा को खटक जाता है क्योंकि प्रेम ने उसकी सोच समझ और बुद्धि हर ली थी

उसे मोमल से बात करना चाहिए थी, किंतु वह एक दुर्बल मन: प्रेमी की तरह से अपनी प्रियतमा पर अविश्वास कर बैठा और वहां से लौट गया मोमल ने इस घटनाक्रम को समझ लिया था, इसीलिए वह अपने प्रेमी के राज्य में, उसे मनाने के लिए जा  पहुंचती है लेकिन राणा उसकी मोहब्बत का इंतिहान लेना चाहता है । वो अपने नौकर के माध्यम से मोमल को यह संदेश देता है कि, उसे सांप ने डस लिया है और वह मर गया है यह सुनकर पूर्ण रूपेण प्रेम समर्पिता, मोमल हृदयाघात से मर जाती है । कदाचित इसके बाद राणा को अपने कथित इम्तहान और शक के बेबुनियाद होने का एहसास हुआ होगा इसीलिए वह मोमल के लिए रेगिस्तान में भटका और अपने प्राण गंवा दिए कहते हैं कि, प्रेम को, एक दूसरे पर विश्वास होना चाहिए अन्यथा वह नायक नायिका को हमेशा हमेशा के लिए एक दूसरे से जुदा कर देता है इस घटना में मोमल तुलनात्मक रूप से निर्दोष प्रतीत होती है और नायक अपनी पुरुषवादी, एकाधिकारवादी शंकालु प्रवृत्ति का शिकार हो गया है अन्यथा वह अपनी प्रियतमा को खोकर स्वयं के लिए मृत्यु के द्वार नहीं खोलता...