सोमवार, 3 जुलाई 2023

अखनातन और नेफरटीटी

 

अखनातन मिस्र के फिरौन शासकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण किंतु विवादित सम्राट था । उसने अपने समय की सबसे खूबसूरत युवती नेफरटीटी से विवाह किया था । अखनातन और नेफरटीटी के दरम्यान बेहद रूमानियत भरे ताल्लुकात  थे । उनके पारस्परिक प्रेम और दैहिक नैकट्य का परिणाम था कि, नेफरटीटी से उसकी छै पुत्रियों का जन्म हुआ । नेफरटीटी और अखनातन में, मिस्र के राजकाज और पदानुक्रम की दृष्टि से लगभग समता का भाव था । अखनातन और नेफरटीटी, मिस्र के सर्वोच्च शासक होते हुए भी, अपने घरेलू कार्य स्वयं करते थे, जैसे भोजन बनाना । इसके इतर उनके शौक में गायन और नृत्य भी सम्मिलित था । कहते हैं कि, अखनातन पर नेफरटीटी का प्रेम सिर चढ़ कर बोलता था ।  नेफरटीटी मिस्र की सबसे प्रसिद्ध रानी थी । ऐसा लगता है कि, अखनातन अपनी पत्नी को अत्यधिक प्रेम करता था और उसकी पत्नी नेफरटीटी अपनी छै पुत्रियों के ऊपर अत्यधिक अनुरक्त बनी रहती थी ।

उसने अपने शासन काल में  मिस्र के प्रचलित धर्म में अभूतपूर्व परिवर्तन किया और तत्कालीन देवताओं को हाशिये पर रखते हुए, अपना ध्यान सूर्य देव एटन पर केंद्रित किया और इस धार्मिक सुधार को मिस्र की जनता पर भी लागू कर दिया, जिससे नील नदी के इस  देश में खलबली मच गई । अक्सर देखा जाता कि, अखनातन के दिन प्रतिदिन के जीवन में नेफरटीटी को इतनी अधिक स्वायत्तता प्राप्त थी कि, कभी कभी वह सूर्य देव एटन की पूजा के बिना भी, अखनातन को प्रसाद दे दिया करती थी । अखनातन ने तय किया कि, सूर्य देव एटन की पूजा, मिस्र की भावी पीढ़ी की प्रजनन क्षमता और नवजीवन की अवधारणा है । उसके धार्मिक विचारों से एकेश्वरवाद की झलक मिलती है । अखनातन का मानना था कि, वह राजा के रूप में धरती पर एटन का प्रतिनिधि है और एटन के लिए कार्य करता है । इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि, उसके इस विचार को नेफरटीटी का समर्थन प्राप्त था ।

मुमकिन है कि, अखनातन ने मिस्र में प्रचलित धार्मिक मान्यताओं को इसलिए बदला हो कि, वो शाही परिवार में अपनी प्रिय पत्नी की सर्वोच्चता स्थापित कर सके और उसे अपने समतुल्य होने का दर्जा दे सके क्योंकि, प्राचीन धार्मिक मान्यताओं के साथ चलते हुए ऐसा करना संभव नहीं रहा होगा । बहरहाल इस प्रेम की उम्र अधिक लम्बी नहीं रही क्योंकि अखनातन ने केवल सोलह साल राज किया और अल्पायु में ही उसकी मृत्यु हो गयी । उसकी मृत्यु के बाद, नेफरटीटी को महिला शासक बतौर फिरौन का दर्जा हासिल हो सकता था । लेकिन वह भी जल्द ही अपने पति, अपने प्रेमी अखनातन से जा मिली । नि:संदेह इस कथा का नायक अखनातन अपनी पत्नी को अत्यधिक सम्मान देता था और यही सफल दाम्पत्य जीवन का मूल मन्त्र है ।

मिस्र की बागडोर संभालते समय अखनातन और नेफरटीटी की उम्र ज्यादा नहीं थी, लेकिन अखनातन, नेफरटीटी से अत्यधिक प्रेम करता था और उसने अपनी प्रेयसी से ही विवाह किया । वह अपनी पत्नी को इतना ज्यादा प्यार करता था कि, उसके अल्पकालिक राजकाज के दौरान ही उसकी छै पुत्रियों का जन्म हुआ । नि:संदेह अखनातन के इस व्यवहार में प्रेम भी है और कामुकता भी । नेफरटीटी, अखनातन से उत्पन्न हुई संतानों के प्रति अनुरक्त थी और वह उसके द्वारा किये जा रहे,  धार्मिक क्रिया कलापों  में सुधार की सशक्त समर्थक भी । उन दोनों में पहले अखनातन और बाद में मिस्र की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रानी नेफरटीटी की मृत्यु हुई । संभव है कि, नेफरटीटी अगर चाहती तो मिस्र की महिला फिरौन के रूप में राजपाट संभाल सकती थी । उन दोनों प्रेमियों में सहजता और सरलता का समावेश था । वह अपने दैनिक कार्य स्वयं करते यथा रसोइयों के बजाय अपना भोजन स्वयं तैयार करते । इसी प्रकार से दरबारी संगीत के स्थान पर अपने ही गीत और नृत्य से लुत्फंदोज़ हुआ करते ।

एक सामान्य विचार यह है कि अखनातन, नेफरटीटी से प्यार करता था, वह उसे राजप्रसाद में सर्वोच्च स्थान देकर मिस्र की जनता के मध्य, यह संकेत देना चाहता था कि, नेफरटीटी, उसकी प्रेमिका ही नहीं बल्कि उसकी वैचारिक मान्यताओं की सशक्त समर्थक भी है । कहते हैं कि, उसने नेफरटीटी को सम्मान दिया, प्रेम दिया, जिसकी वह हकदार थी और मुमकिन है कि, इसी धारणा के अंतर्गत उसने प्राचीन मिस्र के प्राचीन धर्म तथा देवी-देवताओं और पुजारियों को हाशिये पर डालते हुए, धार्मिक मान्यताओं में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया । उसने स्वयं को एकेश्वरवादी धर्म का उपासक माना, जोकि सूर्य देव एटन की पूजा को प्रधानता देता था । सूर्य देव जो मिस्र की जनता की प्रजनन क्षमता और नवजीवन के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण और एकमेव देवता है और अखनातन स्वयं धरती पर सूर्य देव का प्रतिनिधि है ।

उसकी इस धारणा को उसकी पत्नी का समर्थन प्राप्त था और प्रतीत होता है कि, प्राचीनतम धार्मिक मान्यताओं को चोट पहुंचाए बिना तथा लम्बी परंपरा से मौजूद पुजारियों को हाशिये में डाले बिना, वह अपनी पत्नी को राजप्रमुख के समतुल्य सम्मान नहीं दे पाता और ना ही राजसभा में उसकी उपस्थिति को स्थापित कर पाता । अतः उसने अपने प्रेम के लिए, पुरानी धार्मिक मान्यताओं और उसके रूढ़िवादी समर्थकों को किनारे कर दिया ताकि उसकी पत्नी स्वतंत्र रूप से उसके समकक्ष सम्मान पाए । बहरहाल उनका प्रणय जीवन और उनकी सत्ता भले ही अल्पकालिक थी लेकिन प्रेम, अमर हो गया क्योंकि वे एक दूसरे के लिए समादृत और वचनबद्ध थे ।