मंगलवार, 4 जुलाई 2023

आइसिस और ओसिरिस


ओसिरिस और देवी आईसिस ने सम्राट, साम्राज्ञी  के रूप में मिस्र में हुकूमत की थी । ओसिरिस और देवी आईसिस दोनों ही, पृथ्वी के देवता गेब और आकाश की देवी नेट की संतान होने के नाते परस्पर भाई बहन थे, किंतु उन्होंने आपस में ब्याह किया था । हालांकि अपने ही भाई सेठ के साथ कट्टर दुश्मनी के चलते ओसिरिस मारा गया । प्रचलित जनविश्वास कहता है कि, ओसिरिस के सेठ की पत्नी नेफथिस के साथ अनैतिक संबंध थे । नेफथिस जोकि, ओसिरिस की पत्नी देवी आईसिस की बहन थी और इस नाते उसकी भी बहन हुई । इस झगडे का अंत ये हुआ कि, सेठ ने ओसिरिस की हत्या करके, उसके शरीर को टुकड़ों में बांट कर पूरे मिस्र में बिखेर दिया और स्वयं मिस्र का सम्राट बन गया । ओसिरिस की मृत्यु के बाद आईसिस व्याकुल हो गई थी और वह अपने परिवार में, उत्तराधिकारी की कमी को महसूस कर रही थी । ओसिरिस के वारिस की तलाश में आईसिस को सूझा कि, वो देवताओं से प्रार्थना करेगी कि, उसे कम से कम एक संतान होना चाहिए । अपने इस अभियान की सफलता के लिए, वह मिस्र की सेना में शामिल हो गयी और पूरे देश में ओसिरिस  की मृत देह के टुकड़े ढूंढती रही । कहते हैं कि, ओसिरिस का लिंग छोड़कर, शरीर के पूरे टुकड़े आईसिस को मिल गए थे ।

ओरिसिस के शरीर के टुकड़ों को लेकर आईसिस, मिस्र के देवता अनुबीस और थोथ पास गई, जिन्होंने सभी टुकड़ों को जोड़ दिया और फिर ओसिरिस की लगभग ममीकृत देह  से लिपटकर, आईसिस ने देवताओं से यह कामना की कि, उसके और ओरिसिस के एक संतान होना चाहिए । देवताओं के आशीष से इस असंभव तरह की जोड़े बंदी से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम होरस रखा गया और जिसने सेठ से अपने पिता की हत्या का बदला लिया तथा सेठ की हत्या के बाद, मिस्र का सम्राट बन कर सफलता पूर्वक शासन किया । कहते हैं कि, वास्तव में ओसिरिस, उर्वरता और पुनर्जीवन का देवता था । उसकी मृत्यु के पश्चात भी यह मान्यता प्रचलित रही कि, वह पाताल लोक और वहां के मृतकों का शासक था। जिसने नील नदी की बाढ़ और मिस्र की प्रकृति को नवजीवन दिया था । जनधारणा यह भी है कि, मिस्र का हर एक व्यक्ति ओसिरिस से जुड़ा हुआ था, क्योंकि मान्यता यह थी कि, ओसिरिस से जुड़कर, पुनर्जीवन पाया जा सकता है, अतः ओसिरिस ना केवल मृतकों का राजा था, बल्कि उसे जीवित लोग भी मृत्यु उपरांत जीवन के लिए पूजते रहे...

सामान्यतः भाई बहन के ब्याह को हम अनैतिक मानते हैं, किंतु ओसिरिस और आईसिस जोकि, धरती और आकाश के देवता और देवी की संतान होने के नाते, सगे भाई बहन थे।  उन्होंने प्राथमिकता के साथ परस्पर विवाह किया । देवी और देवता की संतान होने के नाते, वे दोनों ना केवल सगे भाई बहन थे, बल्कि देवता और देवी तुल्य भी थे, जैसा कि, कथा के अंत में यह पता चलता है कि, ओसिरिस अपनी मृत्यु के पश्चात् पाताल लोक के देवता के रूप में विख्यात हुआ । उसकी मृत्यु वास्तव में अनैतिक यौन संबंधों के कारण हुई थी । सेठ ओरिसिस का निकट संबंधी था लेकिन उसकी पत्नी से यौनाचार की सजा ओसिरिस को मिली । उसके लिए सेठ के मन में अत्यधिक घृणा थी, इसलिए उसने ओसिरिस के क्षत-विक्षत शरीर के टुकड़े करते हुए पूरे मिस्र में बिखेर दिया था और उसने मिस्र की  सत्ता पर अधिकार भी कर लिया था ।

दिवंगत ओसिरिस देव पुत्र था, किंतु उसकी मृत्यु हुई, अतः यह मानना कठिन नहीं है कि, अमर कहे जाने वाले देवताओं की हत्या भी हो सकती है, अगर यह कृत्य किसी अन्य देवता के द्वारा किया जाए तो । कथा से स्पष्ट होता है कि, सेठ भी, उसका भाई था । एक तरह से देवपुत्र । जिसके पास ओसिरिस की हत्या करने के लिए, दो कारण मौजूद थे । एक ओसिरिस का, उसकी पत्नी के साथ अनैतिक संबंध होना और दूसरा मिस्र के शासन पर खुद का कब्जा कायम कर लेना ।उसने ओसिरिस की हत्या के पश्चात, उसके अंग, मिस्र के हर छोर पर में बिखेर दिए थे । बदले की आग में झुलस रही, संतानहीन,आईसिस सेना में भर्ती होने के बाद, मृत ओसिरिस की देह के टुकड़े ढूंढती रही। लेकिन उसे, ओसिरिस का लिंग मिला ही नहीं । अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि, सेठ ने शरीर के अन्य अंगों की तरह से मिस्र की धरती पर ओसिरिस का लिंग फेंका ही नहीं होगा, क्योंकि वह अपनी पत्नी के साथ ओसिरिस के यौन संबंधों से अत्यधिक क्रुद्ध था ।

संभवत इसीलिए उसने, दूसरे अंगों की तरह से, लिंग को फेंका ही नहीं और वह आईसिस को मिला भी नहीं । आगे की कथा यह है कि, ओसिरिस को देवताओं के आशीर्वाद से, टुकड़े टुकड़े हुए शरीर की जगह में, एक ममीकृत शरीर मिलता है, जिसके साथ लिपटकर, आईसिस एक पुत्र की कामना करती है और देवताओं से यह आशीष मांगती है कि, उसे ओसिरिस से ऐसा पुत्र मिले जोकि उसकी हत्या का बदला चुका सके । यह कथन अजीब है कि, मृत देह के संसर्ग से कोई बच्चा पैदा हो जाए । लेकिन यह विश्वास स्वभाविक है कि, ईश्वर की कृपा से सब संभव हो सकता है । बहरहाल आईसिस को पुत्र के रूप में होरस का मिलना और उसका युवा होना, फिर अपने पिता के हत्यारे सेठ की हत्या करना और स्वयं मिस्र का सम्राट बन बैठना, बदले की आग में जलती हुई, आईसिस के संतोष का विषय हो सकता है । ओसिरिस की मृत्यु के पश्चात प्रचलित यह मान्यता है कि, वह पाताल लोक का देवता हुआ और मृतकों का आराध्य होने के साथ ही साथ मिस्र की जीवित जनता का भी आराध्य रहा, क्योंकि वह उर्वरता और पुनर्जीवन का प्रतीक था ।

अतः जीवित जनसामान्य अपनी मृत्यु के उपरांत पाताल लोक या मृत्यु लोक में अपने बेहतर जीवन की कामना के अधीन ओसिरिस की पूजा करते थे। यह विचार कि, मृत्यु के उपरांत कोई जीवन है । भारतीय परंपरा और जनविश्वास से साम्य  रखता है । हम यह मान सकते हैं कि, भाई बहनों के अनैतिक संबंध की कल्पना और मान्यता हमारी नहीं है, किंतु मिस्र में इस तरह के संबंधों का प्रचलन सामान्य और सहज था । संतानों की, उत्पत्ति, जीवन और पुनर्जीवन, देवताओं की कृपा पर भी निर्भर होता है, भले ही पति पत्नी दैहिक संसर्ग में लीन ना भी हुए हों तो । यह धारणा हमारे चिंतन और हमारी मान्यताओं के बेहद निकट है । अतः इस कथा को दु:खद कथा मानते हुए, हम हत्या के बदले हत्या और देवताओं की पूजा की अनिवार्यता के तत्व को स्वीकार करते हैं और यह भी मानते हैं कि, ओसिरिस, पुनर्जीवन, उर्वरता और मृत्यु लोक का देवता था, जिसकी संतान ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लिया और सिंहासन पर उसका, उत्तराधिकारी बन बैठा, जैसा कि देवी आईसिस यानि, उसकी मां की कामना थी...

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