मंगलवार, 4 जुलाई 2023

तूतनखामन और अनखेसेनामुन


मिस्र में, फिरौनो का युग था जब कि, अनखेसेनामुन के पिता की मृत्यु हो गई थी और उसे अपने पिता से की गयी वचनबद्धता के अनुसार, तूतनखामन से ब्याह करना पड़ा । वो मिस्र की शाही परंपरा में, सबसे बड़ी शहजादी थी और तूतनखामन, उससे उम्र में लगभग दो साल छोटा था । ब्याह के बाद, अनखेसेनामुन के दो बेटियां असयय ही मर गईं ।  तूतनखामन का शासन काल बेहद संक्षित रहा । उसके शासन का अधिकांश समय, उससे पहले के फिरौन अखनातन के कार्यकाल में लिए गए फैसलों को सुधारने में बीता ।  खास तौर पर धार्मिक सुधार और केवल, सूर्य देव एटन की पूजा जैसे फैसले से निपटने में, उन दिनों, मिस्र में लगभग अस्थिरता के हालात थे ।  जनसामान्य और पुजारीगण, मिस्र की पुरानी धार्मिक परम्पराओं की पुनर्बहाली चाहते थे और तूतनखामन को यह करना पड़ा ।  कहते हैं कि, देवता आमुन की पूजा की पुनर्बहाली के समय में, उसकी पत्नी ने अपना नाम बदल कर अनखेसेनामुन किया था जबकि, पहले उसका नाम अनखेसेनपाटन था ।   

बहरहाल वो अट्ठारह साल जैसी कम उम्र में स्वर्ग सिधार गया ।  जिससे अनखेसेनामुन को अत्यंत शोक हुआ, किन्तु उसने वैधव्य को स्वीकार कर लिया और दूसरा ब्याह नहीं किया । उन दिनों में, फिरौन शासकों की अनेकों पत्नियां होना सहज बात थी, लेकिन तूतनखामन ने सिर्फ अनखेसेनामुन से ब्याह किया, जोकि शासकीय परम्परा से इतर बात थी, लेकिन इससे यह भी पता चलता है कि, तूतनखामन, अनखेसेनामुन से बेइंतिहा मुहब्बत करता था । उसके जीवन में किसी अन्य स्त्री, पत्नी के लिए कोई स्थान नहीं था । विवाह के बाद, अपनी दो पुत्रियों को खो चुका, तूतनखामन, अपनी मृत्यु के समय तक, अनखेसेनामुन के प्रेम से कभी भी विरक्त नहीं हुआ । उसने किसी अन्य पत्नी की कामना नहीं की । अपने शादी शुदा जीवन में, तूतनखामन और अनखेसेनामुन एक साथ शिकार पर जाते, एक दूसरे को उपहार देते ।  उनका आपसी समर्पण बे-मिसाल था ।

उन दोनों का दिल एक दूसरे की मुहब्बत में धड़कता ।  वो मानते कि, वे अभिन्न हैं, उनका कोई और नहीं, दूजा कोई ठौर नहीं । उन्हें एक दूसरे की फ़िक्र है, तो वे सेहतमंद हैं, खुशहाल हैं । उनका युवापन, उनका सामर्थ्य, एक साथ होने में है ।    उन्हें इश्क है, तो कोई दुःख नहीं, किंचित भी मनःताप नहीं ।        

इस आख्यान में तूतनखामन ना केवल अल्पवय पति था बल्कि अल्पवय फिरौन भी था उसका शासनकाल अत्यंत संक्षिप्त था उसके शासनकाल में अधिकांश समय, उसके पूर्ववर्ती फिरौन अखनातन द्वारा लिए गए, धार्मिक फैसलों को बदलने में निकल गया यह अत्यंत महत्वपूर्ण सत्य है कि, प्रत्येक सम्राट, जनगण पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए धार्मिक सम्मोहन का इस्तेमाल करता है तूतनखामन ने भी अपने पूर्ववर्ती फिरौन के समय में लिए गए इस फैसले पर, पुनर्विचार किया कि, राजशाही और मिस्री प्रजाजन, एकेश्वरवादी होंगे उसके पहले के फिरौन के निर्णय से असंतुष्ट जनता और रूढ़ीवादी पुजारीगण, अल्पवय तूतनखामन पर दबाव बनाने लगे, जिसके कारण से उसे सूर्य देव की पूजा की एकेश्वरवादी व्यवस्था को बदलकर, आमुन को फिर से मिस्र का महत्वपूर्ण देवता घोषित करना पड़ा, उसकी पूजा बहाल करना पड़ी, जोकि बहुदेववादी धार्मिक व्यवस्था का नायक है हम यह मान सकते हैं कि, पुजारियों के निजी स्वार्थ, इस मामले में प्रबल रहे होंगे, इसीलिये उन्होंने तूतनखामन पर एकेश्वरवाद के स्थान पर बहुदेवतावाद लाने के लिए अपनी आवाज उठाई होगी 

यह स्पष्ट है कि, उस समय के सम्राट के रूप में उसके पास, बहुदेववादी, धार्मिक आस्थाओं की पुनर्बहाली के अलावा कोई अन्य विकल्प शेष नहीं था उसके पूर्ववर्ती फिरौन के बाद मिस्र में अस्थिरता थी, और तूतनखामन का ज्यादातर समय, इस अस्थिरता को दूर करने में बीत गया  संभव है कि, इसी तरह दबाब में, उसकी मृत्यु भी हुई हो यह स्पष्ट है कि, धर्म, राजसत्ता पर पकड़ बनाए रखता है और धर्म के माध्यम से राजसत्ता, राज्य पर अपना आधिपत्य कायम रखती है  बहरहाल, तूतनखामन  के समय को मिस्री साम्राज्य में धार्मिक अतीत की पुनर्बहाली का समय  माना जाएगा गौरतलब है कि, उसकी पत्नी ने देवता आमुन, के लिए अपना नाम तक बदल लिया था, तो यह स्वीकार करने में कोई हर्ज़ नहीं कि, देश की स्थिरता और सत्ता पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए तूतनखामन और उसकी पत्नी ने धर्म का इस्तेमाल किया, हालांकि वे सत्ता के सुख को अधिक समय तक भोग नहीं सके

तूतनखामन अपनी पत्नी से आयु में छोटा था और अट्ठारह वर्ष की अल्पायु में स्वर्ग सिधार गया उसका अपनी पत्नी से प्रेम प्रगाढ़ था संभव है कि, उसने पत्नी से मोह आधिक्य के चलते, अन्य स्त्रियों से विवाह नहीं किया होगा, जबकि मिस्री समाज, फिरौनों और राजपुरुषों को, एक से अधिक पत्नी रखने के लिए सामाजिक स्वीकृति देता था, किंतु तूतनखामन,  अपनी पत्नी के अतिरिक्त अन्य किसी स्त्री के संपर्क में नहीं आया स्पष्टत:  वह, अपनी पत्नी के इतर, किसी अन्य स्त्री बारे में नहीं सोचता था, जबकि वह ऐसा कर सकता थासंभव है कि, उसकी दोनों पुत्रियां, कदाचित जन्म लेने से पहले अथवा तत्काल बाद मर गईं थीं, उनकी मृत्यु का कारण, यह हो कि वह स्वयं अल्पवय, ब्याह का भागीदार था और उसका शरीर, अत्यधिक प्रेम, विशेषकर सहवास के लिए तैयार नहीं था

वह अपनी पत्नी से छोटा था और पत्नी से पहले, मात्र अट्ठारह वर्ष की आयु में मर गया था, इस स्थिति में हम केवल कल्पना कर सकते हैं कि, उसकी पुत्रियों का मरना, उसकी शारीरिक अल्पवयस्कता अथवा दौर्बल्य का परिणाम रहा होगाउसकी पत्नी ने उसकी मृत्यु के बाद, किसी अन्य पुरुष अथवा राजपुरुष से विवाह नहीं किया, क्योंकि वह अपने पति के प्रति मोहासक्त थी, जैसा कि, उसका पति स्वयं भी उसके प्रति तूतनखामन यह मानता था कि, वे दोनों अभिन्न हैंएक दूसरे के लिए ठौर हैं, आश्रय तुल्य हैं वह यह भी मानता था कि, उन दोनों को एक दूसरे की फिक्र है, इसलिए वो दोनों खुशहाल हैं उनका एक साथ रहना, उनके यौवन और सामर्थ्य की श्रीवृद्धि का कारण है यदि उन दोनों के मध्य इश्क है तो, मनःताप, संताप की कोई गुंजाइश नहीं बहरहाल अपनी पत्नी अनखेसेनामुन अपनी प्रेयसी अनखेसेनामुन के प्रति बेहद रूमानियत भरे ख्याल लिए, तूतनखामन, दो दशक से भी कम समय में, दुनिया के लिए एक ख्याल बनकर रह गया...


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