देवी अफ़रोडाइट की पुजारी के रूप में हीरो, ऊंची पहाडी पर
स्थित अफरोडाइट के मंदिर में रहती थी और देवी अफरोडाइट की पूजा अर्चना किया करती
थी । चूंकि यह मंदिर समुद्री खाड़ी, गलियारे के ऊपर की पहाड़ी पर था, जहां से, रात
के अंधियारे में भटके हुए समुद्र यात्रियों के लिए मंदिर की रौशनी, सही रास्ता, दिखाने
के काम आया करती । अफ़रोडाइट की पुजारी होने
के नाते हीरो, किसी पुरुष के साथ प्रेम संबंध नहीं रख सकती थी । पुरुषों से
सम्बन्ध उसके लिए वर्जित था । उस मंदिर के निकट के समुद्री गलियारे के दूसरे छोर पर
लिएंडर नाम का सुदर्शन युवक रहता था । उसने एक दिन हीरो को देखा और उसके प्रेम में
मुब्तिला हो गया । उसने अपने वाक् चातुर्य से हीरो के हृदय में अपने प्रेम के बीज
बो दिए ।
लिएंडर की मुहब्बत में गिरफ्तार पुजारिन हीरो, हर रात में
रोशनी किया करती ताकि उसका प्रियतम लिएंडर, खाड़ी में तैर कर उसके पास रात गुजारने
के लिए आ जाए, किंतु एक रात बहुत भयंकर तूफान आया । तेज हवाओं ने मंदिर की रोशनी को बुझा दिया । लिएंडर
उस रात हीरो तक पहुंचा ही नहीं । क्योंकि समुद्र की प्रचंड लहरों और तेज हवाओं के
कारण, रास्ता भटक गया और डूब कर मर गया गया । अगली सुबह हीरो ने अपने प्रेमी को
समुद्र में मृत देखा तो वह अवसाद में घिर गई । उसने ऊंची पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या
कर ली और बाद में उन दोनों के मृत शरीर एक दूसरे के आलिंगन में पाए गए, इसके बाद उन्हें
एक साथ दफना दिया गया ।
यह कथा अजीब है, जहां देवी अफ़रोडाइट, अपने प्रेम और सहवास के
एक से अधिक प्रकरणों के लिए कुख्यात या विख्यात रही है । वहीं उसकी पुजारिन हीरो
को पुरुषों के सानिध्य से वंचित किया गया । हीरो को देवी के मंदिर में केवल देवी
की पूजा अर्चना करना थी । मंदिर पहाड़ की ऊंचाई पर बना हुआ था, जिसके नीचे,
समुद्री खाड़ी थी । रात के समय में मंदिर की रोशनी से, समुद्र में भटके हुए
मुसाफिर अपनी मंजिलें पा जाते, लेकिन हीरो को अपनी आराध्य देवी की तरह से प्रेम
करने या पुरुष के सानिध्य में रहने की वर्जना थी । हमें इस तरह के निषेध, अन्य
परम्परागत रूढ़ीवादी धार्मिक समुदायों में भी देखने को मिलते हैं और कोई आश्चर्य
नहीं कि, इन समुदायों में यौन कुंठाओं के कारण यौन अपराधों की भरमार दिखाई देती है
। यौन जीवन मनुष्य की दिन प्रति दिन की अपरिहार्यता है, यदि उसका निषेध किया जाए
तो उसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं ।
स्त्रियों तथा बच्चों के विरुद्ध यौन हिंसा में लिप्त, धार्मिक
नेतृत्व कर्ताओं के हजारों प्रकरण, आज भी हमें, पूरी दुनिया में देखने को मिलते
हैं । जहां सुधारवादी धार्मिक संप्रदायों की तुलना में परंपरागत धार्मिक संप्रदाय
में लागू की गयी, कथित यौन वर्जनाओं के अधिकतर परिणाम यौन अपराधों के रूप में
परिलक्षित होते हैं । इस कथा में पुजारी महिला है और उसे खाड़ी के उस पार रहने
वाले सुदर्शन युवक से मोहब्बत हो गई है, किंतु वह दिन के समय, इस मोहब्बत को सार्वजानिक
रूप से स्वीकार नहीं कर सकती, क्योंकि उस पर वर्जनायें आरोपित हैं कि, वह पुरुषों
के सानिध्य में नहीं रहेगी, अस्तु हीरो रात के समय में अपने प्रेमी को मंदिर की
रोशनी के माध्यम से रास्ता दिखाती है और प्रेमी उस समुद्री गलियारे को तैर कर पार
करने का जोखिम उठाता है और अपनी प्रेयसी तक पहुंचता है । वो रात अपनी प्रेमिका के
साथ गुजारता है और भोर होते ही अपने निवास स्थान में वापस चला जाता है ।
बहरहाल जिस तरह से मनुष्यों में प्रेम और यौन संबंध,
अपरिहार्य होते हैं, उसी तरह से विशाल समुद्रों और धरती में शान्ति तथा तूफानों का
आना भी अपरिहार्यता है । हीरो का प्रेमी लिएंडर इस अपरिहार्यता के चलते, उस रात मंदिर
तक नहीं पहुंच पाता और प्रकृति के कोप का शिकार हो जाता है । उसकी प्रेमिका अगली सुबह,
समुद्री गलियारे में उसकी लाश देखकर, स्वयं भी आत्महत्या कर लेती है । उन्हें बाद
में एक ही कब्र में दफन कर दिया जाता है । कथा से यह तथ्य भी स्पष्ट होता है कि,
अंधकार और वर्जनायें अक्सर, समुदायों को, मनुष्यों को, प्रेमियों को, सहज जीवन
जीने नहीं देती...