गतांक से आगे...
चीन द्वारा उपयोग में लाई गई कष्टप्रद बंध्याकरण प्रविधियों / उपकरणों का
इस्तेमाल वियतनाम द्वारा भी किया जाता था । वे धातु के ब्लेड अथवा चाकू से व्यक्ति
के सम्पूर्ण जननांग का उन्मूलन कर देते थे यानि कि अंडकोष और लिंग को एक साथ काट
दिया जाता था । सबसे पहले बंध्याकृत किये जाने वाले व्यक्ति को एक समान सतह /
टेबिल पर लिटा दिया जाता, फिर कुछ लोग उसके पेट और जांघों को कस कर पकड़ लेते / या
कस कर बाँध दिया जाता । इसके बाद सम्बंधित व्यक्ति के जननांग को काली मिर्च के
पानी से धोया जाता और लिंग सह अंडकोष को काट दिया जाता था । जननांग उन्मूलन के बाद
उसकी मूत्रनली के शेष रह गये छेड़ में एक पाइप घुसा दिया जाता ताकि जख्म भरने के
दिनों में बंध्याकृत व्यक्ति पेशाब कर सके । वियतनामी किन्नरों को महलों / सामंतों
की कोठियों में स्थित हरम / रनिवास / स्त्रियों के रहने के स्थान पदस्थ किया जाता
था जहां वे रानियों / राजकुमारियों अथवा उनकी सेविकाओं की सुरक्षा और सेवा का
कार्य किया करते थे । कहने का मंतव्य यह है कि रनिवास में सम्राट के अतिरिक्त अन्य
कोई पुरुष प्रवेश नहीं कर सकता था । चूंकि किन्नरों के पौरुष का हरण किया जा चुका
होता था अतः वे सम्राट की ढ़ेरों रानियों की अतृप्त कामनाओं की पूर्ति / सहवास के
योग्य नहीं रह जाते थे अतः उस स्थान पर उनकी तैनाती निरापद मानी जाती थी । ली साम्राज्य
(1009-1225) के दौरान ली थु ओंग किएट एक प्रमुख किन्नर था जिसे वियतनामी इतिहास का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी / योद्धा
माना जाता था । ट्रान साम्राज्य के समय में किशोर किन्नरों को धन के बदले विनिमय
किये जाने के उल्लेख मिलते हैं ।
सामान्य काल 1383 -1385 के मध्य अनेकों वियतनामी किन्नर चीनी
साम्राज्य को बतौर नजराना / उपहार सौंपे गये जिनमें से न्गुयेन दाओ, न्गुयेन तोआन,
ट्रू का, न्गो टिन नामित किन्नर महत्वपूर्ण है । वियतनाम द्वारा चीन में मिंग
साम्राज्य के समय में भेजे गये किन्नरों में से न्गुयेन एन, न्गुयेन लेंग का नाम
प्रमुख है जोकि अभियंता / आर्कीटैक्ट थे । उन दिनों बंध्याकरण हेतु चयनित किये
जाने की दो शर्ते अहम थीं, एक तो यह कि वह कमसिन हो और दूसरी यह कि वह हसीन भी हो
। कथनाशय यह है किन्नर बनाया जाने वाला व्यक्ति, विशिष्ट गुण धर्म वाला हो /
शिक्षित हो / दक्ष हो अथवा कमसिन और खूबसूरत । हम ये मान सकते हैं कि दक्षता या
फिर शिक्षा के आधार पर किन्नर बनाये गये व्यक्ति से, साम्राज्य को व्यावसायिक लाभ
पहुंचता था / साम्राज्य की उन्नति होती थी किन्तु कम उम्र और ख़ूबसूरती के आधार पर
बंध्याकृत किये जाने का एक मात्र उद्देश्य समलैंगिक लालसाओं की पूर्ति ही हो सकता
है । हालांकि चीन में वियतनामी किन्नर सेना के निचले पदों पर भी तैनात किये जाते
थे और कुछेक किन्नर अन्य देशों से आये किन्नरों की तरह से शाही दरबार की सेवा में
तैनात किये जाते । बहरहाल दिलचस्प बात यह
है कि ली थु ओंग किएट की आक्रामक सैन्य कार्यवाहियों के बाद वियतनाम से चीनी
साम्राज्य का दबाब हट गया था सो वियतनामियों ने अनेकों चीनी जहाजों को पकड़ कर
उनमें मौजूद सभी पुरुषों / सैनिकों का बंध्याकरण करते हुए, उन्हें वियतनाम की सेवा
में यानि कि किन्नर दासों के बतौर तैनात कर दिया था । निश्चित ही यह बदले की
कार्यवाही थी / शताब्दियों के दासत्व का प्रतिरोध था । इतना ही नहीं वियतनामी
साम्राज्य ने, मलाया की सल्तनत के अनेकों दूतों, जोकि चीन से मलय वापस लौट रहे थे,
को बंदी बना लिया और उन सभी का बंध्याकरण कर दिया गया । उल्लेख मिलता है कि उन्हें
भी वियतनाम के किन्नर दासों में सम्मिलित कर दिया गया । इन घटनाओं के बाद, चीन ने
अपने नागरिकों और सैनिकों के बाहरी देशों के प्रवास पर रोक लगा दी थी । बल्कि यह
कहना समीचीन होगा कि यह कालखंड चीन और वियतनाम द्वारा बंदी बनाये गये सैनिकों और
आम नागरिकों के लिये अभिशापित समय था क्यों कि दोनों देश बदले की कार्यवाही के तौर
पर पराजितों / बंदी बनाये गये लोगों के बलात बंध्याकरण की नीति अपनाए हुए थे ।
...क्रमशः