गतांक से आगे...
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि मिंग साम्राज्य (1368-1644) के समय में विश्व इतिहास के सर्वाधिक किन्नर मौजूद थे, उनमें से अधिकांश ने किन्नरत्व इसलिए स्वीकार किया था कि वे, यथा शीघ्र धन समृद्धि प्राप्त कर सकें । उस समय राज महल को केवल तीन हज़ार किन्नरों की आवश्यकता थी, किन्तु बीस हज़ार लोगों ने इस कार्य / पद के लिये आवेदन पत्र दिये सो, राज शाही के प्रशासकों द्वारा सत्रह हज़ार किन्नरों के आवेदन पत्र ठुकराए गये । बाद में पन्द्रह सौ किन्नरों को अतिरिक्त मौका दिया गया लेकिन इससे समस्या का समाधान संभव नहीं हो सका । हजारों किन्नर फिर भी निराश बने रहे । राज महल द्वारा नियुक्त किये गये किन्नरों के अतिरिक्त जितने भी किन्नर बेरोजगार रह गये थे, उन्होंने कालांतर में, साम्राज्य के सामने अनेकों समस्याएं खड़ी कर दीं, क्योंकि वे केवल पुरुषों के तौर पर रोजगार पाने की स्थिति में नहीं रह गये थे इसलिए उनके समक्ष एक ही विकल्प शेष रह गया था कि वे आपराधिक दुनिया में प्रवेश कर जायें । अंतत यही हुआ भी, तब साम्राज्य में चोरी / डकैती की घटनाओं में अप्रत्याशित बढोत्तरी देखी गई । उन दिनों रोजगार और समृद्धि की अपेक्षा में स्वेच्छा से किन्नर बने लोगों की बाढ़ सी आ गई थी। चूंकि साम्राज्य के पास इन सभी किन्नरों के लिये पर्याप्त काम नहीं था । तो बेरोजगार रह गये किन्नरों से अराजक हो जाने के अलावा अन्य कोई अपेक्षा भी कैसे की जा सकती है ? वास्तव में राजतान्त्रिक समाज में संसाधनों के चुनिन्दा हाथों में केंद्रित हो जाने के बाद, बहुसंख्य लोगों के हिस्से में आई निर्धनता से, किन्हीं सुखद सकारात्मक परिणामों की अपेक्षा को कोरी मूर्खता ही माना जाएगा । यह सामाजिक आर्थिक विषमता जनित समाज में हुए अपराधीकरण का ज्वलंत उदाहरण है । इसे वैषम्य के अपराध से उद्भूत अपराधीकरण माना जाना चाहिए । वैषम्य जिसने अनेकों निर्धन पुरुषों को न्यूनतम आय / धनार्जन की लालसा ने अपना पौरुष खोने के लिये प्रेरित किया / कदाचित बाध्य किया । यह निर्धनता / आर्थिक गैर बराबरी का क्रूरतम पक्ष था कि, जीवन अवसरों की गारंटी के लिये मनुष्य अपनी मूल प्रवृत्ति / यौन सुखों का स्वैच्छिक परित्याग कर दे और उसे हासिल आये शून्य ।
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि मिंग साम्राज्य (1368-1644) के समय में विश्व इतिहास के सर्वाधिक किन्नर मौजूद थे, उनमें से अधिकांश ने किन्नरत्व इसलिए स्वीकार किया था कि वे, यथा शीघ्र धन समृद्धि प्राप्त कर सकें । उस समय राज महल को केवल तीन हज़ार किन्नरों की आवश्यकता थी, किन्तु बीस हज़ार लोगों ने इस कार्य / पद के लिये आवेदन पत्र दिये सो, राज शाही के प्रशासकों द्वारा सत्रह हज़ार किन्नरों के आवेदन पत्र ठुकराए गये । बाद में पन्द्रह सौ किन्नरों को अतिरिक्त मौका दिया गया लेकिन इससे समस्या का समाधान संभव नहीं हो सका । हजारों किन्नर फिर भी निराश बने रहे । राज महल द्वारा नियुक्त किये गये किन्नरों के अतिरिक्त जितने भी किन्नर बेरोजगार रह गये थे, उन्होंने कालांतर में, साम्राज्य के सामने अनेकों समस्याएं खड़ी कर दीं, क्योंकि वे केवल पुरुषों के तौर पर रोजगार पाने की स्थिति में नहीं रह गये थे इसलिए उनके समक्ष एक ही विकल्प शेष रह गया था कि वे आपराधिक दुनिया में प्रवेश कर जायें । अंतत यही हुआ भी, तब साम्राज्य में चोरी / डकैती की घटनाओं में अप्रत्याशित बढोत्तरी देखी गई । उन दिनों रोजगार और समृद्धि की अपेक्षा में स्वेच्छा से किन्नर बने लोगों की बाढ़ सी आ गई थी। चूंकि साम्राज्य के पास इन सभी किन्नरों के लिये पर्याप्त काम नहीं था । तो बेरोजगार रह गये किन्नरों से अराजक हो जाने के अलावा अन्य कोई अपेक्षा भी कैसे की जा सकती है ? वास्तव में राजतान्त्रिक समाज में संसाधनों के चुनिन्दा हाथों में केंद्रित हो जाने के बाद, बहुसंख्य लोगों के हिस्से में आई निर्धनता से, किन्हीं सुखद सकारात्मक परिणामों की अपेक्षा को कोरी मूर्खता ही माना जाएगा । यह सामाजिक आर्थिक विषमता जनित समाज में हुए अपराधीकरण का ज्वलंत उदाहरण है । इसे वैषम्य के अपराध से उद्भूत अपराधीकरण माना जाना चाहिए । वैषम्य जिसने अनेकों निर्धन पुरुषों को न्यूनतम आय / धनार्जन की लालसा ने अपना पौरुष खोने के लिये प्रेरित किया / कदाचित बाध्य किया । यह निर्धनता / आर्थिक गैर बराबरी का क्रूरतम पक्ष था कि, जीवन अवसरों की गारंटी के लिये मनुष्य अपनी मूल प्रवृत्ति / यौन सुखों का स्वैच्छिक परित्याग कर दे और उसे हासिल आये शून्य ।
मिंग का राजप्रासाद बहुत विशाल था था सो उसकी देख रेख के लिये किन्नरों को
12 जियान, 4 सी, 8 जू, 24 यामेन में बांट
दिया गया था । कुछ प्रमुख जियानों के नाम और काम, क्रमशः इस तरह से थे । नेई गुआन
जियान, राज प्रासाद में निर्माण कार्य, यू योंग जियान, सम्राट की आवश्यकताओं से
सम्बंधित प्रबंध, सी शोऊ जियान, सम्राट की अनुष्ठानिक आवश्यकताओं से सम्बंधित
कार्य, यू-मा जियान, हाथियों और घोड़ों की देखभाल, शेन-गोंग जियान, कब्रों की सफाई
और वहाँ प्रकाश व्यवस्था का कार्य (किन्तु ये लोग कुत्ते नहीं पाल सकते थे वर्ना
दण्डित किये जाते), शेंग-शान जियान, शाही भोज और दावतों का प्रबंधन करते, शेंग-यी
जियान, सम्राट के कपड़ों, जूतों और औपचारिक वस्त्रों का प्रबंधन, दोउ-झी जियान,
पुलिस का कार्य तथा शाही जुलूस का स्वच्छ पथ प्रबंधन, करना था । इसके अतिरिक्त
अन्य जियान, समस्त जियानों के किन्नर मुखिया तेई जियान के निर्देशानुसार कार्य
करते, स्मरण रहे कि तेई जियान का पद राजशाही के सर्वोच्च पदों में से एक था । 4 सी क्रमशः जी-जिन सी, झोंग-गू सी, बाओ-मियाओ
सी और हुन-देंग सी के नाम से जाने जाते थे । ये लोग, उन्हें सौंपे गये विविध कार्य
करते यथा लकड़ियों का प्रबंधन, संतरी का कार्य आदि । इसी तरह से 8 जू विभाग के
किन्नर युद्ध के लिये हथियार , गन पाउडर बनाते और शाही कारागार की सुरक्षा का
प्रबंधन करते । यामे विभाग के किन्नरों का कोई निर्धारित कार्य नहीं था पर वे
उच्चाधिकारियों द्वारा निर्दिष्ट कार्य किया करते । इसके अतिरिक्त किन साम्राज्य
के भ्रष्ट किन्नर झाओ गाओ, हान साम्राज्य के मशहूर इतिहासकार किन्नर सीमां कियान,
कागज के निर्मितिकर्ता किन्नर काई लुन, तेंग साम्राज्य के शक्तिशाली किन्नर गाओ
लिशी, मिंग सम्राट झेंग हे के विशिष्ट
किन्नर सहायक, मशहूर समुद्र यात्री झेंग हे, आदि किन्नर अपनी उपलब्धियों अथवा
दुष्कृत्यों के लिये चीन के इतिहास के नामचीन किन्नर माने जायेंगे ।
...क्रमशः