गतांक से आगे...
परंपरागत कोरियाई समाज में, यह विश्वास किया जाता है कि गोरियो (1392) राजवंश के समय में, नेजी कहे जाते थे और जोसियोन साम्राज्य में उनके लिये नेजी विभाग बनाया गया था जहां सेंग्जियान उच्च स्तरीय किन्नर अधिकारी होते तथा नेग्वान सामान्य दर्जे के किन्नर कर्मचारी हुआ करते थे। इतना ही नहीं कोरिया में पहरेदारी / गार्ड का काम करने वाले किन्नरों को सुमुन तथा महलों / घरों की सफाई करने वाले किन्नरों को सोजेई कहा जाता था।युआन राजवंश के समय में किन्नरों को उपहार बतौर सौंपे जाने का चलन बढ़ गया था तब कोरियाई सामंत / राजा, आक्रामक पड़ोसियों यानि कि मंगोलियाई सम्राट को नियमित रूप से मानव उपहार भेजा करते थे।चीन के युआन राजवंश को संतुष्ट करने के लिये कोरियाई क्षत्रप, सैकड़ों लड़कियों को बतौर उपहार भेजते थे । एन उसी समय सैकड़ों कोरियाई बालक / किशोर बंध्याकृत करने के उपरान्त उपहार की शक्ल में युआन सम्राट को सौंपे जाते थे।उल्लेखनीय है कि ये किन्नर किशोर, चीनी दरबार की सेवा में लगभग तीन वर्षों के नियमित अंतराल में पहुंचाए जाते थे। हम मान सकते हैं कि कोरिया के सामंत अपने समीपवर्ती देशों के मंगोलियाई और चीनी सम्राटों को नजराने के तौर पर लड़कियों और किशोर किन्नरों का तोहफा भेजा करते थे। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इन लड़कियों और किशोर किन्नरों का उपयोग, विषम अथवा समलैंगिक / यौन लालसाओं की पूर्ति के लिये किया जाता था।इसके अतिरिक्त इनका स्वामित्व धारी दरबार इनसे जो चाहे काम ले सकता था।साधारण सैनिक बतौर, साधारण पहरेदार बतौर, साधारण दास बतौर सेवा करते हुए किन्नरों में से कई किन्नर अक्सर अपनी योग्यता के बल पर तथा कई, स्वामी की निकटता का लाभ उठाकर सामाजिक / आर्थिक / सैनिक संस्तरण की उच्च श्रेणियों में जा पहुँचते । किन्नरों को लेकर कोरियाई समाज यह विश्वास करता था कि इनकी औसत आयु 70 वर्ष से अधिक हो सकती है जबकि सामान्य पुरुष इनसे 14-15 वर्ष कम जीवन जी पाता है ।
परंपरागत कोरियाई समाज में, यह विश्वास किया जाता है कि गोरियो (1392) राजवंश के समय में, नेजी कहे जाते थे और जोसियोन साम्राज्य में उनके लिये नेजी विभाग बनाया गया था जहां सेंग्जियान उच्च स्तरीय किन्नर अधिकारी होते तथा नेग्वान सामान्य दर्जे के किन्नर कर्मचारी हुआ करते थे। इतना ही नहीं कोरिया में पहरेदारी / गार्ड का काम करने वाले किन्नरों को सुमुन तथा महलों / घरों की सफाई करने वाले किन्नरों को सोजेई कहा जाता था।युआन राजवंश के समय में किन्नरों को उपहार बतौर सौंपे जाने का चलन बढ़ गया था तब कोरियाई सामंत / राजा, आक्रामक पड़ोसियों यानि कि मंगोलियाई सम्राट को नियमित रूप से मानव उपहार भेजा करते थे।चीन के युआन राजवंश को संतुष्ट करने के लिये कोरियाई क्षत्रप, सैकड़ों लड़कियों को बतौर उपहार भेजते थे । एन उसी समय सैकड़ों कोरियाई बालक / किशोर बंध्याकृत करने के उपरान्त उपहार की शक्ल में युआन सम्राट को सौंपे जाते थे।उल्लेखनीय है कि ये किन्नर किशोर, चीनी दरबार की सेवा में लगभग तीन वर्षों के नियमित अंतराल में पहुंचाए जाते थे। हम मान सकते हैं कि कोरिया के सामंत अपने समीपवर्ती देशों के मंगोलियाई और चीनी सम्राटों को नजराने के तौर पर लड़कियों और किशोर किन्नरों का तोहफा भेजा करते थे। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इन लड़कियों और किशोर किन्नरों का उपयोग, विषम अथवा समलैंगिक / यौन लालसाओं की पूर्ति के लिये किया जाता था।इसके अतिरिक्त इनका स्वामित्व धारी दरबार इनसे जो चाहे काम ले सकता था।साधारण सैनिक बतौर, साधारण पहरेदार बतौर, साधारण दास बतौर सेवा करते हुए किन्नरों में से कई किन्नर अक्सर अपनी योग्यता के बल पर तथा कई, स्वामी की निकटता का लाभ उठाकर सामाजिक / आर्थिक / सैनिक संस्तरण की उच्च श्रेणियों में जा पहुँचते । किन्नरों को लेकर कोरियाई समाज यह विश्वास करता था कि इनकी औसत आयु 70 वर्ष से अधिक हो सकती है जबकि सामान्य पुरुष इनसे 14-15 वर्ष कम जीवन जी पाता है ।
अगर
हम गौर करें तो पायेंगे कि दुनिया में किन्नरों की संख्या का सबसे बड़ा हिस्सा चीन
में था, जहां किन्नरों के अस्तित्व और उनकी भूमिकाओं को चीनी सम्राटों से पृथक कर
के समझना संभव नहीं हो सकता । सम्राटों के
बदलने के काल खंड और उनके क्षेत्राधिकार में, किन्नरों की संख्या में, विविधता हो
सकती है पर किन्नरों की अनुपस्थिति की कल्पना भी नहीं की जा सकती । बस ऐसे ही, कोरिया ने भी किन्नरों की उपस्थिति
के आंकड़ों की कल्पना की जा सकती है, क्योंकि उक्त दौर में प्रभुत्वशाली चीन की
अपेक्षा, कोरिया की स्थिति प्रभाव ग्रहण करने वाले देश के जैसी थी । सो हम कह सकते
हैं कि कोरिया में किन्नरों का अस्तित्व, चीन के पद चिन्हों पर चलने, चीनी ब्रांड
की किन्नरीयत के अनुसर्ता होने पर आधारित रहा होगा । चूंकि चीन और मंगोलिया,
कोरिया की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली थे तो, कमसिन युवतियों, किशोर किन्नरों को नजराने / उपहार बतौर
प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी भी कोरिया के हिस्से में आयी थी, इसलिए चीन और
मंगोलिया की आबादी में, किन्नरों की उपलब्धता का आनुपातिक प्रतिशत भी कोरियाई मूल
के किन्नरों पर निर्भर था । स्पष्ट कथन ये कि जेता क्षेत्र से बनाये गये किन्नरों की तुलना में पराजित / निर्बल क्षेत्र
के किन्नरों की संख्या का अधिक स्वभाविक ही था, अस्तु कोरियाई आबादी, चीन और
मंगोलिया की तुलना में कहीं ज्यादा अभिशापित मानी जायेगी,जो उसे, दूसरे देशों को नजराने
देने के लिये इस्तेमाल किया गया! वहाँ के अबोध बच्चे बलपूर्वक बंध्याकरण का शिकार
हुए । उनका विषम लैंगिक / समलैंगिक यौन शोषण हुआ । उन पर अवांछित दासत्व थोपा गया
। यद्यपि कोरिया में किन्नरों की मौजूदगी की कोई स्पष्ट तिथि नहीं है पर यह माना
जाता है कि ई.पू. 57 से सामान्य काल 935 तक की अवधि में वहाँ पर
किन्नरों का उद्भव हुआ होगा ।
...क्रमशः