गतांक से आगे...
ग्रीक शब्द यूनोखोस (εὐνοῦχος) यानि कि पुरुष, जिसका बंध्याकरण कर दिया गया हो । इसके बरक्स लैटिन भाषाई शब्द यूनक (eunuchus), स्पेडो (spado) और ग्रीक शब्द स्पेडोन (σπάδων) तथा कैस्ट्राटस (castratus) एवं तुर्की शब्द हरम अगासी से नपुंसकत्व / क्लैव्यता / किन्नर का अर्थ ध्वनित होता है । ग्रीक शब्द यूनिखोस से स्पष्ट आशय है एक बंध्याकृत पुरुष, जिसके अंडकोष कुचल दिये गये हों या फिर अंडकोष निकाल दिये गये हों अथवा लिंग उन्मूलित कर दिया गया हो । कथनाशय ये है कि अंडकोष या शिश्न विहीन व्यक्ति शुक्राणु पैदा करने में असमर्थ होकर प्रजनन का सामर्थ्य खो देता है । हालांकि इस शब्द का एक अर्थ यह भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति जन्मना नपुंसक हो सकता है, भले ही उसके जीवन काल में उसका अंडकोष और लिंग उन्मूलन नहीं किया गया हो । यद्यपि उसे समलैंगिक व्यक्ति माना जा सकता है । कई बार यूनक शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिये भी किया जाता है जिन्होंने धार्मिक आध्यात्मिक श्रेष्ठता हासिल करने के लिये विवाह का परित्याग कर दिया हो और यह भी संभव है कि ऐसे व्यक्ति को बंध्याकृत नहीं किया गया हो । हालांकि तृतीय लिंग श्रेणी के लोगों के लिये ग्रीक-ओ-रोमन-ओ-मिस्री समाजों में गल्लुस (Gallus) गाला / गल्ली संबोधन ज्यादा प्रचलित रहा है । इसी तरह से हीब्रू / अर्मैक भाषाई शब्द सारीस, का संबोधन भी इसी वर्ग के लिये प्रयुक्त होता आया है । हीब्रू शब्द सारीस का शाब्दिक अर्थ भी बंध्याकृत हो सकता है पर जीसस ने ऐसे व्यक्तियों को जन्मना नपुंसक माना है जोकि स्वर्ग के राज्य के लिये विवाह का परित्याग कर सकते हैं यानि कि सभी किन्नर बंध्याकृत हों, ऐसा आवश्यक नहीं है । ग्रीक-ओ- रोमन, गल्ली के सम्बन्ध में, बहुश्रुत एवं बहु-प्रचलित मिथक कहता है कि देवी सायबेले का पुरोहित गल्ली एक बार तूफ़ान से बचने के लिये किसी गुफा में शरणागत हुआ जोकि किसी शेर की गुफा थी । शेर को देख कर गल्ली पुरोहित ने उन्मत्त अनुष्ठानिक नृत्य करना प्रारम्भ कर दिया जिससे कि शेर भी डर गया था ।
ग्रीक शब्द यूनोखोस (εὐνοῦχος) यानि कि पुरुष, जिसका बंध्याकरण कर दिया गया हो । इसके बरक्स लैटिन भाषाई शब्द यूनक (eunuchus), स्पेडो (spado) और ग्रीक शब्द स्पेडोन (σπάδων) तथा कैस्ट्राटस (castratus) एवं तुर्की शब्द हरम अगासी से नपुंसकत्व / क्लैव्यता / किन्नर का अर्थ ध्वनित होता है । ग्रीक शब्द यूनिखोस से स्पष्ट आशय है एक बंध्याकृत पुरुष, जिसके अंडकोष कुचल दिये गये हों या फिर अंडकोष निकाल दिये गये हों अथवा लिंग उन्मूलित कर दिया गया हो । कथनाशय ये है कि अंडकोष या शिश्न विहीन व्यक्ति शुक्राणु पैदा करने में असमर्थ होकर प्रजनन का सामर्थ्य खो देता है । हालांकि इस शब्द का एक अर्थ यह भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति जन्मना नपुंसक हो सकता है, भले ही उसके जीवन काल में उसका अंडकोष और लिंग उन्मूलन नहीं किया गया हो । यद्यपि उसे समलैंगिक व्यक्ति माना जा सकता है । कई बार यूनक शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिये भी किया जाता है जिन्होंने धार्मिक आध्यात्मिक श्रेष्ठता हासिल करने के लिये विवाह का परित्याग कर दिया हो और यह भी संभव है कि ऐसे व्यक्ति को बंध्याकृत नहीं किया गया हो । हालांकि तृतीय लिंग श्रेणी के लोगों के लिये ग्रीक-ओ-रोमन-ओ-मिस्री समाजों में गल्लुस (Gallus) गाला / गल्ली संबोधन ज्यादा प्रचलित रहा है । इसी तरह से हीब्रू / अर्मैक भाषाई शब्द सारीस, का संबोधन भी इसी वर्ग के लिये प्रयुक्त होता आया है । हीब्रू शब्द सारीस का शाब्दिक अर्थ भी बंध्याकृत हो सकता है पर जीसस ने ऐसे व्यक्तियों को जन्मना नपुंसक माना है जोकि स्वर्ग के राज्य के लिये विवाह का परित्याग कर सकते हैं यानि कि सभी किन्नर बंध्याकृत हों, ऐसा आवश्यक नहीं है । ग्रीक-ओ- रोमन, गल्ली के सम्बन्ध में, बहुश्रुत एवं बहु-प्रचलित मिथक कहता है कि देवी सायबेले का पुरोहित गल्ली एक बार तूफ़ान से बचने के लिये किसी गुफा में शरणागत हुआ जोकि किसी शेर की गुफा थी । शेर को देख कर गल्ली पुरोहित ने उन्मत्त अनुष्ठानिक नृत्य करना प्रारम्भ कर दिया जिससे कि शेर भी डर गया था ।
वास्तव में इतिहास
में किन्नरों के बंध्याकरण और अधुनातन विश्व में पौरुष / अपौरुष को लेकर हमारी
समझ, बहुत स्पष्ट नहीं है, कहीं पर किन्नर, पौरुष के विपरीत प्रतीक माने जाकर
उपहास का पात्र दिखाई देते हैं और कहीं पर उन्हें बेहद सम्मानजनक पद प्राप्त हैं । अर्वाचीन इतिहासकार पियरे ब्रायंट कहता
है कि ग्रीक उन्हें अंडकोष उन्मूलित / लिंग उन्मूलित देह रचना की तरह से देखते हैं
जबकि पर्सियन दरबार इस तरह की शारीरिक स्थिति का कोई उल्लेख ही नहीं करता । ऐसा
प्रतीत होता है कि किन्नर शब्द जानबूझकर बंध्याकृत किये गये पुरुषों के लिये प्रयुक्त
होता है । संभव है कि बंध्याकरण दंड का एक स्वरुप हो, मसलन चीन में चाकू से लिंग
काट देना, अंडकोष निकाल देना प्रमुख दंड था । सुई साम्राज्य में, ये पांच प्रमुख दंडों में से एक था भारतीय मिथकों के इतर इस अवधारणा को एशिया, असीरिया और चीन की
प्रारम्भिक सभ्यताओं से जोड़ कर देखा जाना चाहिए । मिस्र, अरेबिक खलीफाओं, ओट्टोमन
साम्राज्य, फारस, रोमन साम्राज्य तथा बाईजेंटाइन / कुस्तुनतुनियाई कालखंडों में
किन्नरों के महत्त्वपूर्ण होने के हवाले मिलते हैं । ओट्टोमन साम्राज्य के गोरे
काले किन्नर । बाईजेंटाइन साम्राज्ञी आइरिन के (797-802) दरबार में स्टाउराक्योस
और एटीयोस किन्नर । चीनी साम्राज्ञी साई जी (1861-1908) के लीलियांग, यानि कि केश
विन्यासक किन्नर ऐसे ही महत्वपूर्ण नाम हैं । राजतान्त्रिक कोरियन समाज में
किन्नरों को नेजी (Naesi) कहते थे जिनमें से सामान्य किन्नर नेग्वान (Naegwan) कहे
जाते थे जबकि प्रमुख किन्नर को सेंग्जियान (Sangseon) के नाम से जाना जाता था । वहाँ
किन्नरों के लिये सुमुन (Sumun)
सोजेई (sojae) जैसी संज्ञाएँ भी प्रचलित थीं ।
...क्रमशः