सोमवार, 30 जुलाई 2018

किन्नर -36-10

गतांक से आगे...

किन्नरों के लिये रसोई प्रबंधन से हटकर एक अन्य भूमिका भी निर्धारित थी, जियोनमियुंग यानि कि शाही पत्राचार / डाक विभाग का प्रबंधन करना । यहां तक कि हरकारे / डाकिये का कार्य करना भी । सामान्यतः शाही महत्व की और गोपनीय चिट्ठियों के प्रसरण / वितरण का कार्य सियोंगजुनवान नामित विभाग करता था जिसमें किन्नरों की भूमिका नगण्य होती थी किन्तु सम्राट अक्सर अपने विश्वस्त और मुंह लगे किन्नरों को यह कार्य भी करने देते थे जिसका विरोध, नागरिक प्रशासन के सामान्य अधिकारीगण, सम्राटों से अक्सर किया करते, उनका मानना था कि किन्नरों को सामान्य डाक विभाग के अतिरिक्त महत्वपूर्ण शाही पत्राचार से पृथक रखा जाना चाहिए । वे यह भी मानते थे कि किन्नर लोग संदेशों को विरूपित कर सकते हैं जिसके कारण से राज शाही को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । बहरहाल तमाम विरोधों और समस्याओं के बावजूद किन्नर गण, राज शाही द्वारा सौंपे गये दायित्वों के  निर्वहन में लगे रहते यथा सुमुन नामित किन्नर शाही भवनों की सुरक्षा का कार्य देखा करते यानि कि वे गार्ड / पहरेदार की ड्यूटी के लिये तैनात किये जाते थे । सुरक्षा में कोताही दंड का करना बन सकती थी सो यह कार्य उन्हें सावधानी पूर्वक करना पड़ता था । सुमुन के बरक्स, सोजेई नामित किन्नर साफ़ सफाई और भारी भरकम सामानों की शिफ्टिंग का कार्य करने के लिये तैनात किये जाते थे । कोरियाई किन्नरों के अध्ययन के दौरान एक दिलचस्प तथ्य सामने आता है, वो ये कि 35 की आयु पूर्ण हो जाने पर किन्नरों को चार टेस्ट / परीक्षाएं उत्तीर्ण करना पड़तीं थीं, एक तोंग, दूसरा येक, तीसरा जोई और चौथा बुल तोंग । विविध विषयों से सम्बंधित ये परीक्षाएं बेहद कठिन हुआ करतीं थी और इनमें उतीर्ण किन्नर को बुद्धिमान मानते हुए पदोन्नतियों के मौके दिये जाते थे । गौर तलब है कि परीक्षण की इस कोरियाई पद्यति का माडल चीन में पहले से ही मौजूद था किन्तु उस माडल को ज्यादा सफलता नहीं मिली थी । प्रतीत होता है कि परीक्षण की इस व्यवस्था का उददेश्य, किन्नरों को पदोन्नति / उन्नयन के लिये प्रेरित करने के अतिरिक्त,गलतियों को सुधारने और पुनः सीख लेने के अवसर उपलब्ध कराना रहा होगा । 

चीन में किन्नरों के लिये शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार के रूप में लागू नहीं था  । ऐसा लगता है कि पढ़े लिखे किन्नरों द्वारा अपनी बौद्धिकता का इस्तेमाल, राज्य के विरुद्ध करने अथवा अन्य सामान्य नागरिक अधिकारियों के विरुद्ध करने या फिर संदेशों को विरूपित करने से, जो संकट उत्पन्न हो सकता था, उसे टालने के लिये चीनी सम्राटों ने किन्नरों को निरक्षर बनाए रखने की योजना बनाई होगी और इसीलिए उनसे शिक्षा का अधिकार छीन लिया गया होगा । हालांकि कोरियाई जोसियोन ने किन्नर शिक्षा के लिये स्कूल स्थापित नहीं किये किन्तु कोरियाई नागरिक अधिकारी किन्नरों को नियमित रूप से पढ़ाया करते थे। यहां पर किन्नर विशेष रूप से स्थानीय प्रशासन का अध्ययन करते और उन्हें कन्फ्यूसियस के शास्त्रीय सिद्धांतों के बारे में भी समझाया जाता था । यह सब उन्हें 35 वर्ष की आयु से पूर्व सीख लेने के आदेश प्रचलित थे । उन दिनों सामान्य किन्नरों को ठहरने की जगह और प्रतिदिन तीन समय के भोजन के अतिरिक्त अन्य कोई भुगतान नहीं दिया जाता था । सो इन किन्नरों की आर्थिक स्थिति निम्न सामाजिक स्तर की मानी जायेगी जबकि उच्च पदों पर जा पहुंचे किन्नरों को मासिक वेतन और कुछ भूमि का स्वामित्व भी दिया जाता था । हालांकि किन्नर की मृत्यु के उपरान्त यह भूमि पुनः राज्य के अधिकार में वापस चली जाती थी । बहरहाल कुछ किन्नर व्यवस्थागत खामियों के चलते अपने रिश्तेदारों के नाम भूमि उपलब्ध करा देते जिसके कारण से साम्राज्य में अवैध उत्तराधिकार की समस्या भी परिलक्षित होने लगी थी । मोटे तौर पर यह स्पष्ट है कि स्वयं किन्नरों में आर्थिक विभेद गहरा गया था ।  एक ओर थे विपन्न किन्नर तथा दूसरी ओर उच्च पदों पर जा पहुंचे अर्थ समृद्ध किन्नर । किन्नरों के विवाह, यदि राजाज्ञा / अनुमति से हो पाते तो बच्चे पैदा होने की सम्भावनायें शून्य होने के कारण उन्हें बच्चे गोद लेने की आवश्यकता पड़ती थी । समझा जा सकता है कि इस तरह के परिवार में पत्नि के यौन तोष का प्रश्न ही नहीं था और बच्चे भी किसी अन्य जैविक पिता के होते इसलिए समूहगत निवास के अतिरिक्त इसे परिवार की किसी सामान्य श्रेणी में स्वीकार करना उचित प्रतीत नहीं होता । 
...क्रमशः