हमें लगता है कि नागरिक अधिकारों की
पक्षधरता आधुनिक समय की धारणा है, ज्ञान
बोध के पहले, दुनिया को अनेकों तानाशाहों / सम्राटों द्वारा
शासित किया गया है, हालांकि हमें यह भी ज्ञात है कि लोकतंत्र,
प्राचीन ग्रीक समाज का अविष्कार है, बहरहाल
भारत के गण राज्य इसके समानान्तर देखे जाने चाहिए । रोमन प्रजातंत्र की मूल धारणा
यह है कि जनगण, राज्य पर शासन करें लेकिन रोमनों को इस
व्यवस्था के साथ ही सम्राटों की आवश्यकता भी थी । स्पष्टतः यह वैचारिक, व्यवहारिक द्वैध था, जिसके चलते नागरिक अधिकारों के
पक्षधर हाशिए पर चले गये थे, जिनमें से एक फ्लेवियस एयरीनस
भी था । उसका जन्म ग्रीस में हुआ था, उसे बाल्यावस्था में ही
बंध्याकृत कर के रोम लाया गया । जहां उसे सम्राट डोमिशियन (सामान्य काल 81-96) के
प्याला वाहक का कार्य सौंपा गया । ये कहना कठिन है कि उन दोनों के मध्य और किस तरह
के सम्बन्ध थे । यद्यपि उनके समलैंगिक यौन संबंधों की कल्पना असामान्य भी नहीं है
। क्योंकि ग्रीकों की तरह से रोमन भी किशोरों / बालकों के साथ यौन सम्बन्ध बनाना
पसंद करते थे तथा इसे बढते हुए बच्चों की शिक्षा का अनिवार्य अंग माना जाता था ।
यदि कोई रोमन किसी लड़के को पसंद कर लेता तो उसे पूर्ण पुरुष रूप में विकसित होने
देने से पहले ही उसका बंध्याकरण कर दिया जाता ।
सम्राट डोमिशियन और बालक फ्लेवियस
एयरीनस के मध्य सत्ता और शक्ति का बेमेल संतुलन होने के बावजूद सम्राट अपने सेवक
को बहुत पसंद करता था सो उसने किशोर एयरीनस को अत्यधिक आजादी दे रखी थी । इस
स्वतंत्रता का फायदा उठाते हुए एयरीनस ने विलक्षण कार्य कर दिया । उसने सार्वजानिक
रूप से अपने केश काटने का आयोजन किया जिस पर सम्राट ने अपने राज्य कवि, मार्शल और स्टेटियस को निर्देश दिया कि वे इस
उपलक्ष्य में कविता / वर्सेस लिखें । रोमनों में केश काटने का आयोजन बढ़ती उम्र
बालकों का प्रतीक हुआ करता था । उस दिन किन्नर होने के बावजूद एयरीनस ने स्पष्ट
घोषणा की, कि मैं पुरुष हूं । एयरीनस द्वारा साम्राज्य में,
अपनी अस्मिता / आत्म पहचान की घोषणा महत्वपूर्ण है जबकि उन दिनों
अनेकों तरह के किन्नर रोम में मौजूद थे, कुछेक युद्ध बंदी
विदेशी जो जबरदस्ती बंध्याकृत किये गये फिर दास बनाए गये, कुछ
मनोरंजन कर्ता, कुछ आपेरा गायक, कुछ
संगीतकार और देवी सायबेले के पुरोहित गल्ली, सब के सब किन्नर
। एयरीनस को उन प्राचीन दिनों का नागरिक अधिकार वादी माना जाना अहम है क्योंकि उसे
बंध्याकृत कर रोम लाये जाने के बाद सम्राट डोमिशियन ने उसे स्वतंत्रता दी थी और
रोमन साम्राज्य में बच्चों का बंध्याकरण प्रतिबंधित कर दिया था ।
बहरहाल विद्वानों में इस विषय में
मतभेद है कि सम्राट द्वारा बंध्याकरण को प्रतिबंधित करने का वास्तविक मंतव्य क्या
था ? कुछ विद्वानों का मानना है कि सम्राट ने यह कदम
इसलिए उठाया क्योंकि वो अपने बड़े भाई पूर्ववर्ती कुख्यात सम्राट टायटस और अपने
लालची पिता वेस्पेसियन की छाया से मुक्त होना चाहता था और स्वयं को नैतिक मानदंडों
का पालनकर्ता घोषित करना चाहता था सो किन्नर दास एयरीनस के प्रति उदार होते जाने
का कारण अस्पष्ट ही लगता है संभवतः ऐसा एयरीनस के प्रति उसके अनुरक्त होने के कारण
हुआ हो । बालक से पुरुष वय होने के बाद एयरीनस का नाम इतिहास के पन्नों से छुप सा
गया किन्तु बंध्याकरण के विरुद्ध मुहिम ज़ारी रही । सम्राट डोमिशियन के बाद सम्राट
नेरवा ने बाल बंध्याकरण पर रोक ज़ारी रखी इसके बाद सम्राट हैड्रीयान ने सभी तरह के
बंध्याकरण पर प्रतिबन्ध लगा दिया हालांकि उसने एच्छिक बंध्याकरण को छूट भी प्रदान
की । सम्राट डोमिशियन और बालक फ्लेवियस एयरीनस के मध्य सम्बन्ध जो भी रहे हों पर
यह स्पष्ट है कि बच्चों के बंध्याकरण पर प्रतिबन्ध की पृष्ठभूमि में कहीं ना कहीं
फ्लेवियस एयरीनस था जो कि बाल्य काल से किन्नरत्व और दासत्व को भुगत रहा था और
जिसने स्वयं के पुरुष अस्तित्व की सार्वजानिक घोषणा की थी । उसके कारण से रोमन
समाज में बंध्याकरण स्वैच्छिक हुआ । ग्रीक भाषा में एयरीनस के मायने हैं, वसंत से
सम्बंधित । जिसके कारण अनेकों पौरुष खिलते, खिलखिलाते रहे।