गतांक से आगे...
स्वामी आप्सू, मैं इतने सारे जानवर उस जगह पर रखूंगा कैसे ?
इनमें से हर एक हिंसक और लड़ाकू है । मैं
एक साधारण किन्नर पुरोहित हूं, इन्हें आपसी सौहार्द्य के साथ कैसे रख पाऊंगा ? ना
तो मुझे युद्ध का ज्ञान है और ना ही मैं शिकार करने में समर्थ मनुष्य हूं, मैं यह
सब बिना सहायता के कैसे कर पाऊंगा ? हीबानी ने कहा । आप्सू ने कहा, तुम चिंता ना करो, ये सारे जानवर
तुम्हें देखते ही पहचान लेंगे कि तुम आप्सू के पास होकर आये हो, वे सभी तुम्हारा
नेतृत्व स्वीकार कर लेंगे । तुम जो टीला /
किला बनाओगे, उसका आकार कम से कम 60*60 लाठी होना चाहिए, तब इसमें सारे जानवर आराम
से रह जायेंगे । इसके बाद तुम पक्षियों के
पंखों से शाही कंठा बनाना, जिसे अपने गले में पहन लेना, बालों से एक जाल बनाना, जिससे
अपने बाल बाँध लेना, पंखों से एक मुकुट बनाना और अपने सिर में धारण कर लेना इसके
बाद कहना-
राज घराने के सारे प्रतीक नोच कर आग में फेंक
दिये गये हैं, सो मेरा बदला, मेरे दुःख दर्द और कठिनाई, मेरे शरीर की निर्बलता /
व्याधि पूर्णतः समाप्त हो जाए
और ऐसा कहते हुए सारे प्रतीक उतार कर आग में झोंक देना । यह कार्य पूर्ण होने के बाद धीरज के साथ मेरे
आने की प्रतीक्षा करना । मैं लंबे समय तक
वहाँ नहीं रहूंगा पर सारे संकेत तुम्हें स्पष्ट दिखाई देंगे, कालान्तर में
सुमेरियन गल्पों में कहा जायेगा, हीबानी,
जो देवता आप्सू के सामने अकेला जीवित खडा रहा...और फिर आप्सू अपने सरीसृप रूप में
भयावह फुफकार मारते हुए समुद्र में लौट गया । हीबानी के वापस लौटते समय मूल निवासियों ने,
उसका मजाक नहीं उड़ाया, हीबानी चिल्लाया कुत्ते के समान मुख वालो, आओ मेरा मजाक
उड़ाओ । उरुक लौट कर हीबानी ने वैसा ही
किया जैसा कि देवता आप्सू ने कहा था । मिट्टी का निर्माण कार्य पूर्ण होते ही, हीबानी
सूकर ढूँढने जंगल गया जो उसे देखते ही उसका अनुगमन करने लगे, ठीक ऐसे ही कुत्ते और
कलहंस भी हीबानी के पीछे हो लिये ।
हीबानी ने इसके बाद राजघराने के प्रतीकों की निर्मिति की और
उन्हें निर्धारित कथन के साथ आग्नि में झोंक दिया । इसके बाद केवल प्याज और पानी को खाद्य सामग्री
मान कर वो आप्सू का इंतज़ार करने लगा । प्रतीक्षा
में दिन, हफ्ते, महीने गुज़रे, अंततः आप्सू आया । एक दिन नाराम-सिन् देवी इन्नाना के मंदिर आया वो
किन्नर किशोरों की हत्या के बाद भी उदास था क्योंकि उन्होंने उसके ढ़ोलों को बर्बाद
कर दिया था, उसकी सुरक्षा टुकड़ी बड़ी थी । वह अगले तीन दिन, इन्नाना मंदिर परिसर में रहने
वाला था । तभी गहरे काले बादल आसमान पर छा
गये, एक सैनिक ने कहा, यह अपशगुन है, हम वापस उरुक चलें, किसी अन्य शुभ समय में
आकर देवी इन्नाना को बलियाँ प्रस्तुत कर देंगे । राजा ने कहा, ये साधारण बादल हैं, पानी बरसेगा
तो धरती उर्वर हो जायेगी । अपने मिट्टी के
टीले से हिबानी ने देखा कि पूरी धरती में काले बादल छा गये हैं... ...क्रमशः