बुधवार, 4 जुलाई 2018

किन्नर - 32 (5)

गतांक से आगे...

हीबानी की आंखों में आंसू थे उसने कहा जीवन मृत्यु की चिंता नहीं, मुझे मेरी परवाह नहीं । मैं केवल, मेरे नन्हों का बदला चाहता हूं । उसने, धरती की आयु जितने पुराने, उन दोनों सरीसृपों को अपनी व्यथा कथा सुनाई, जिसे सुनकर उन्हें हीबानी पर दया आ गई । उन्होंने कहा, तुम खुद को खजूर, ताड़ के भूसे की नीचे छिपा लो, जब आप्सू दिलमुन समुद्र से वापस आएगा तो उसकी दृष्टि भयावह होगी । अगर उसे तुम्हारी गंध आ जाए तो बाहर आकर सपाट शब्दों में अपना कष्ट उसे सुना देना यदि उसे तुम पर दया आ गई तो तुम्हारे आयोजन की सफलता सुनिश्चित है । उन्होंने कहा, महाकाय लहरों को ध्यान से गिनना आठवीं लहर के साथ ही देवता आप्सू यहां आ जाएगा ।

ऐसा ही हुआ ठीक आठवीं लहर के साथ, रसातल का देवता प्रकट हो गया, उसका रूप भयानक था । उसकी त्वचा ऐसे फडफडा रही थी जैसे कि उरुक योद्धाओं के कवच बजते हों । उसकी फुफकार गोया वह आक्रमण करने वाला हो । उसने महा-सांड की तरह से अपना माथे का सींग ऊपर उठा लिया और सिर इधर उधर घुमाया । भय से हीबानी की आंखें बंद हुई जा रहीं थी, तभी उसने देखा आप्सू समुद्री सर्प से एक शांत मनुष्य में बदल गया । हीबानी बाहर निकलने ही वाला था कि उसे क्रोधित स्वर सुनाई दिया, यहां मनुष्य की गंध क्यों आ रही है । सरीसृप रक्षकों ने कहा, स्वामी हम तो यहां सतर्क खड़े थे, कोई नहीं आया । नहीं, तुम गलत बोल रहे हो, देव ने कहा, यहां मानव गंध है । आप्सू ने भूसे के ढेर में मुंह डाला और किन्नर हीबानी को दबोच लिया ।  

हीबानी चिल्लाया शक्तिमान देव पहले मुझे सुन लीजिए बाद में भले ही खा लीजियेगा । देव ने कहा, जल्दी कहो वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा । सो हीबानी ने अपनी दुःख भारी गाथा उसे सुना दी, जिसे सुनकर आप्सू का हृदय मानवीय संवेदनाओं से भर गया और उसके आंसू बहने लगे । उसने सूकर की बलि स्वीकार कर ली और कहा छोटे किन्नर तुम्हारे यहां आने का उद्देश्य सफल हुआ। मैं निश्चित रूप से उरुक के राजा नाराम-सिन् को दंड दूंगा । आप्सू ने कहा तुम वापस उरुक जाओ और शहर के बाहर क्षेत्र में रहना । वहाँ मिट्टी का एक टीला बनाना, फिर टीले के चारों ओर मिट्टी की दीवाल बनाना ताकि कोई उसे देख ना सके । उसके हर कोने में देवता आप्सू का प्रतीक चिन्ह बना देना, जिसके कारण से कोई मनुष्य इस टीले तक नहीं आएगा । वो समझेगा कि यह भूमि पवित्र है और इसे छिपा रहना चाहिए । इसके बाद चार सौ काले सूकर, चार सौ गंदे कुत्ते, चार सौ कलहंस जिनके सीने में तीन लाल पट्टियाँ बनी हों, एकत्रित कर लेना...                                                                                                                                                                                                                     ...क्रमशः