शुक्रवार, 29 जून 2018

किन्नर -31

ली लियान यिंग, किंग साम्राज्य (1644-1912) के सम्राट डोवागेर सी जी के समय में सम्राट की कृपा पात्र किन्नर था, बल्कि वास्तविकता में 1869 से लेकर 1909 तक के चालीस सालों में वही शासक था । वो दरबार की गतिविधियों को प्रभावित किया करता और धन के हेर फेर के लिये भी कुख्यात था हालांकि इस कार्य में, अन्यान्य किन्नर साथी भी उसकी मदद किया करते थे । सम्राट की चापलूसी करने और क्रूरता में कोई अन्य दरबारी अधिकारी उसका पासंग भी नहीं था ।

उसे आर्थिक अनियमिता के साथ ही साथ दरबार की गतिविधियों को प्रभावित करने वाले किन्नर के रूप में उद्धृत किया जाता है, वो सम्राट की चापलूसी करता और क्रूरता के लिये कुख्यात था । उसे साम्राज्य के क्रिया कलापों में निर्द्वंद भाव से फैसले लेने का अधिकार प्राप्त था, शायद इसी कारण से उसे सम्राट डोवागेर सी जी के कालखंड का वास्तविक सम्राट कहा गया है । 

एन दे हाई, सम्राट डोवागेर सी जी के प्रिय किन्नरों में से एक था, यानि कि किन्नर ली लियान यिंग (1848-1911) का सह दरबारी।वह सम्राट और अन्य दरबारी अधिकारियों की गतिविधियों पर नज़दीकी नज़र रखता था । वो, सम्राट डोवागेर सी जी का विश्वास प्राप्त करने के लिये किसी भी सीमा तक आक्रामक  हो सकता था । उसने अपने परिजनों को शाही दरबार के अधिकारी नामित किया और दरबार में किन्नर ली लियान यिंग के बाद सर्वाधिक शक्तिवान बन गया । 

इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि किन्नर एन दे हाई ने किन्नर ली लियान यिंग के साहचर्य में सम्राट की कृपा प्राप्त की, वह आक्रामक और चापलूस व्यक्ति था तथा अधिकारियों पर नज़र रखने वाला गुप्तचर सह चुगलखोर भी । इतना ही नहीं वो सम्राट की गतिविधियों को भी ध्यान में रखता और अवसर मिलते ही फायदा उठाने की चेष्टा करता ।   

प्रतीत होता है कि चीन की धरती किन्नरों के लिये बेहद उर्वर थी । शायद इसका मुख्य कारण यह हो कि चीन छोटे बड़े अनेकों साम्राज्यों का देश रहा है, चीन ने अतीत काल में लंबे समय तक राजतंत्रों को भुगता है, जिन्हें, किन्नरों के रूप में रनिवासों के निरापद पहरेदार और स्वामीभक्त सेवक चाहिए थे जोकि चीन के निर्धन किसानों और पराजित राजतंत्रों की संततियों के रूप में सहज सुलभ थे ।

गाओ लिशी, तेंग साम्राज्य के समय का प्रभावशील किन्नर था और सम्राट जुआनजोंग के समय में इतना शक्तिशाली हो गया था कि, वो ऐसे मसले भी निपटाया करता, जिन्हें, केवल सम्राट को निपटाना चाहिए था । इससे स्पष्ट होता है कि गाओ लिशी सम्राट के अधिकार क्षेत्र का भी अतिक्रमण कर सकता था, ऐसे में उसके सामने, साम्राज्य की प्रजा और अन्यान्य दरबारी अधिकारियों की गौण हैसियत का अंदाज़ सहज ही लगाया जा सकता है ।