गुरुवार, 28 जून 2018

किन्नर - 30


सामान्य काल  25-220 में चीन के पूर्वी हान साम्राज्य के सम्राट लिंग के किन्नर सेवकों में से झांग रेंग प्रमुख था ।  वो दस किन्नरों के समूह का मुखिया था जोकि सम्राट लिंग के दरबार में अत्यधिक प्रभाव रखते थे । झांग रेंग के प्रभाव की कल्पना इस बात से की जा सकती है कि स्वयं सम्राट लिंग उसे पिता कहता था और सारे प्रकरण उसकी देख रेख में ही निपटाए जाते । उन दिनों भिन्न दृष्टिकोण रखने वाले अधिकारियों पर फर्जी आरोपण करना और फिर उन्हें मार डालना, दस किन्नर समूह का खास शगल था । उनके व्यवहार के कारण साम्राज्य को बाद में अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा ।

उल्लेखनीय है कि अन्य चीनी राजवंशों की तरह से हान राजवंश में भी किन्नरों ने दरबार में अपना एक समूह बना रखा था, जिसे  आज के समय में काकस कह सकते हैं । काकस से असहमत अधिकारियों तथा प्रतिद्वंदियों पर फर्जी आरोप लगाए जाते और फिर कथित आरोपियों की सुनवाई का नाटक रचा जाता । इस तरह की न्यायिक सुनवाइयों का परिणाम पहले से ही निर्धारित हुआ करता यानि कि आरोपी की निश्चित दोष सिद्धि और मृत्यु दंड । किन्नर झांग रेंग ना केवल प्रभावशील दरबारी किन्नर समूह का मुखिया था बल्कि स्वयं सम्राट मिंग उसे पिता तुल्य मानता था, जिसके कारण से शाही दरबार में उसका दबदबा अग्रगण्य था और यही स्थिति, उसकी मनमानियों का आधार बनी ।

इसी तरह से किन्नर ली फुगुओ तंग, सामान्य काल 618-907 के तेंग साम्राज्य के सम्राट सु जोंग (ली हेंग) के समय में दरबारी किन्नर था । वह अत्यंत क्रूर था । उसने एन्शी विद्रोह को कुचलने के समय में सम्राट ली हेंग की मदद की थी, जिसके कारण से उसकी शक्तियां बढ़ गई थीं । उसने साम्राज्ञी झांग ली की चापलूसी करते हुए, साम्राज्ञी से अच्छे सम्बन्ध विकसित कर लिये थे । वो शाही परिवार के सभी सदस्यों की चापलूसी करता किन्तु जैसे ही, उसे लगता कि अमुक सदस्य, उसके काम का नहीं रह गया है तो वो बड़ी बेरहमी के साथ उस सदस्य से पीछा छुड़ा लेता । कहते हैं कि साम्राज्यों में षड्यंत्र और तद्जनित मृत्युयें, उभयपक्षीय विशिष्टतायें होती है, अतः एक दिन स्वयं ली फुगुओ तंग भी मृत्यु के मुख में धकेल दिया गया ।

किन्नर ली फुगुओ तंग, क्रूरता, चापलूसी और अवसरवादिता का पर्याय था ।उसे अवसर मिला तो एन्शी विद्रोह को कुचलने में  सहयोग करने के नाम से सम्राट ली हेंग की कृपा प्राप्त कर ली । इतना ही नहीं, सम्राट ली हेंग से निकटता हासिल होते ही उसने साम्राज्ञी झांग ली की चापलूसी करना प्रारंभ कर दिया । वो अपनी सुविधा और हित सिद्धि के हिसाब से राज परिवार के अन्य सदस्यों की चापलूसी करता और स्वार्थ सिद्ध होते ही उन्हें ठिकाने लगा देता । बहरहाल कुछ वर्षों के बाद, वो स्वयं भी ठिकाने लगा दिया गया ।