यह
एक सोमालियाई परिवार, जहां कर्रावीलो
यानि कि धरती धारिणी का जन्म हुआ था वो बेहद बुद्धिमान और साहसी लड़की थी उसके युवा
होते ही अनेकों पुरुष उसके अभिभावकों से याचना करने लगे कि कर्रावीलो का हाथ उनके
हाथ में दे दिया जाए । कर्रावीलो के
अभिभावकों ने उसका ब्याह उस युवक से कर दिया, जिसने सबसे अधिक दहेज / वधु मूल्य विशेषकर,
पशुधन उन्हें दिया । हालांकि वो घर और
बच्चों तक सीमित रहने वाली युवती नहीं थी । वो चाहती थी कि उसे पंचायत की न्यायार्थ बहसों
में शामिल किया जाए और वो पुरुषों के समतुल्य चर्चा में भाग ले तथा ऐसी ही अन्य,
यहां तक कि युद्ध गतिविधियों में भी लिप्त बनी रहे ।
गांव
की वृद्धजन परिषद ने कहा यह उचित नहीं है कि कर्रावीलो पुरुषों की तरह से व्यवहार
करे उनके मंतव्य से कर्रावीलो को अन्य स्त्रियों की भांति घर द्वार सँभालना चाहिए ।
कर्रावीलो ने कहा मूर्खो, स्त्रियां भी पुरुषों की तरह से बाह्य गतिविधियों के
योग्य होती हैं, उन्हें इसका अवसर मिलना चाहिए । कर्रावीलो का पति,
अपनी पत्नी की इस मांग पर आश्चर्य चकित था किन्तु वह अपनी पत्नि का
विरोध नहीं कर सका । कर्रावीलो ने सभी स्त्रियों से कहा कि तीन दिन तक घर के कोई
काम मत करो ताकि पुरुष घर के कामों में व्यस्त हो जायें और उन्हें कुछ सोचने का
मौक़ा ना मिले । इसी बीच हम सब स्त्रियां मिलकर
उनके हथियारों पर कब्ज़ा कर लेंगे और दुष्ट पुरुषों को हटा कर इस धरती पर स्त्रियों
की सत्ता स्थापित करेंगे ।
स्त्रियों
ने ऐसा ही किया, पुरुषों को कुछ सोचने समझने का
अवसर ही नहीं मिला, वे घर के काम करने में व्यस्त हो गये और
सत्ता पर अधिकार जमाने की, कर्रावीलो की योजना, सफल हो गई, वो उस भूभाग की मुखिया बन गई । अब सारी सत्ता, स्त्रियों के हाथ में थी । कर्रावीलो को भय था कि पुरुष कभी ना कभी पलटवार
करने की कोशिश करेंगे सो उसने आदेश दिया कि सारे पुरुषों का बंध्याकरण कर दिया जाए
, जिन पुरुषों ने बंध्याकरण का विरोध किया, उन्हें मृत्यु
दंड दे दिया गया ।
कहते
हैं कि, कर्रावीलो अपने हाथों से अपनी पीठ की सफाई नहीं कर सकती थी,
उसके पास एक हज़ार ऊंटनियां थीं, जिनका दूध पी पी कर वो और भी मोटी हो
गई थी, अतः नहाने के समय ठीक से सफाई नहीं कर पाने के कारण
से, उसकी देह से दुर्गन्ध आने लगी थी, जिसके कारण से लोग उससे दूर दूर भागने लगे थे
हालांकि कोई भी व्यक्ति ये सच कहने का साहस नहीं जुटा पाता था ।
एक
दिन कर्रावीलो ने अपने अनेकों किन्नर दासों में से एक से कहा,
मैं तुम्हें एक बछड़ा इनाम में दूंगी अगर तुम बिना कुछ कहे, मेरी पीठ
की सफाई कर दोगे । उसने अपने स्नान कक्ष में कपड़े उतारते हुई सफाई के लिये दास को
बुलाया जोकि दुर्गन्ध की ताब ना ला सकता और उसके मुंह से उफ़ निकल गई । कर्रावीलो
चिल्लाई, अब तुम्हें बछड़े का एक अंश भी नहीं मिलगा और वो, वापस
भागते हुई दास को दण्डित करने की जुगत में लग गई ।
गौरतलब
है कि कर्रावीलो के वृत्तान्त का प्रथम संस्करण विशुद्ध रूप से स्त्रीवादी है,
जहां पुरुषों को सत्ता से बेदखल करने वाली नायिका के रूप में कर्रावीलो का उल्लेख
किया गया है जोकि अवसर मिलते ही पुरुषों से, उनका दंभ छीन लेती है, उन्हें
पौरुषहीन कर देती है, यानि कि इस संस्करण में उसे, पुरुषों को निस्तेज कर देने
वाली, शौर्यशाली महिला के तौर उद्धृत किया गया है जबकि कथा के दूसरे संस्करण में
कर्रावीलो को, अनायास ही प्राप्त हुई, सुख / समृद्धि / विलासिता के गर्त में डूब कर
मोटी हो गई महिला के तौर पर दर्शाया गया है । प्रतीत होता है कि गल्प का दूसरा संस्करण
कर्रावीलो का उपहास उड़ाने की गरज़ से जोड़ा गया / प्रसरित किया गया है ।