ईसा
पूर्व प्रथम शताब्दी में किन्नर पोथीनस, मिस्र का सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति था । उन दिनों रोमन संसार में किन्नरों के
प्रति सांस्कृतिक पूर्वाग्रह मौजूद थे अतः रोमन जादूगरों द्वारा पोथीनस को खलनायक
के तौर पर चित्रित किया गया । पोथीनस के विरुद्ध
आरोप था कि उसने फिरऔन टॉलेमी 13 को उसकी बहन क्लियोपेट्रा के विरुद्ध भड़काया था । उल्लेखनीय है कि क्लियोपेट्रा, कालान्तर में
फिरऔन की पत्नि बनी । जब महान पोम्पेयी,
सीजर के हाथों पराजित होकर, मिस्र भाग आया, तब उसका सिर कलम कर दिया गया ।
कहते हैं
कि यह सब पोथीनस के नेतृत्व में किया गया । इतना ही नहीं पोथीनस ने सीजर के मिस्र आगमन पर
सीजर का भी उपहास किया, चूंकि सीजर,
रोमन कवि केटुलस के अपमान जनक छंदों / उपहास के बावजूद केटुलस को क्षमा कर स्वयं
के सहनशील और क्षमाशील व्यक्ति होने का परिचय दे चुका था सो उसने पोथीनस को भी क्षमा
कर दिया जबकि पोथीनस किन्नर था और उसे प्रचलित रोमन मान्यताओं के अनुसार खलनायक के
तौर पर दण्डित किया जा सकता था ।
बहरहाल
कुछ समय बाद पोथीनस ने सीजर की हत्या का षड्यंत्र रचा तो सीजर ने उसे मृत्यु दंड
देकर क्लियोपेट्रा को सिंहासन सौंप दिया । इस
वृत्तांत को गौर से देखा जाए तो किन्नर पोथीनस, फिरऔन का निकटस्थ व्यक्ति था और
उसे सीधे सीधे राज्याश्रय प्राप्त था, किन्तु उसने ना केवल क्लियोपेट्रा के
विरुद्ध फिरऔन को उकसाया बल्कि विजेता रोमन सेनापतियों / सम्राटों के विरुद्ध होने
वाली गतिविधियों में प्रखर / मुखर सहभागी बना रहा ।
उसे भलीभांति ज्ञात था कि रोमन सामाजिक जगत में
किन्नरों को हेय दृष्टि से देखा जाता है और वो स्वयं, विशेष रूप से रोमनों के
निशाने पर था क्योंकि वह मिस्र के सत्ता शिखर समूह का महत्वपूर्ण हिस्सा था । इसके बावज़ूद उसने अपने स्वभाव, अपनी षड्यंत्रकारी
गतिविधियों में लेशमात्र भी बदलाव नहीं किया, जबकि उसे गरिमामय जीवन जीने के अनेक
अवसर प्राप्त हुए । सीजर के द्वारा दिये
गये अभयदान से भी उसने कोई नसीहत नहीं ली बल्कि सीजर की हत्या का षड्यंत्र रचकर,
अपनी इहलोक लीला समाप्ति का कारण स्वयं बना ।