रोमन सम्राट क्लाडियस अपने अंतर्मुखी
स्वभाव और अतिबौद्धिकता की प्रवृत्ति के कारण से अक्सर उन गतिविधियों में लिप्त बना
रहता जो कि उसे अलोकप्रिय बना रही थीं । उसके सामने छोटी छोटी चुनौतियाँ थीं, जैसे कि
उसकी भतीजी अग्रिप्पिना जोकि उसकी अनेकों पत्नियों में से अंतिम थी और जो अपने
सौतेले पुत्र नीरो को इसलिए ज़हर देना चाहती थी ताकि उसे सिंहासन के रास्ते से
हटाया जा सके, संभवतः सम्राट क्लाडियस को इसका आभास था सो उसने किन्नर हेलोटस को
विशेष सहायक के तौर पर तैनात किया ।
जिसे शहज़ादे नीरो के भोजन को,पहले स्वयं चखना
पड़ता था, हालांकि अग्रिप्पिना बेहद शातिर महिला थी । उसने सामान्य काल 54 में हेलोटस को रिश्वत देकर सम्राट क्लाडियस
के पसंदीदा मशरूम में जहरीला पदार्थ मिलाने का प्रबंध कर दिया था । संयोगवश सम्राट क्लाडियस ने ज़हरीले भोजन वाले बर्तन
को ठोकर मार दी थी, जिससे कि सुनियोजित षड्यंत्र असफल हो गया और हेलोटस षड्यंत्रकारी
होने के आरोप से बच गया । कहते हैं कि सामान्य
काल 68 में सम्राट गाबा ने हेलोटस को दरबार
में मुख्तार / पैरोकार के तौर पर पदोन्नति दे दी थी ।
यह कथानक रोमन साम्राज्य में सत्ता के षड्यंत्र
की केन्द्र बिंदु साम्राज्ञी अग्रिप्पिना के साथ हेलोटस की सहभागिता और उसके
विश्वासघात को उजागर करता है । बहुत संभव
है कि हेलोटस, साम्राज्ञी अग्रिप्पिना की जय में स्वयं की विजय का स्वप्न भी देख
रहा हो ? शायद उसे अपनी यश कीर्ति और श्री वृद्धि के लिये पुरुष सम्राट की तुलना
में, सत्ता के शिखर पर मौजूद स्त्री, अधिक माकूल और निरापद लगी हो ? सम्राट
क्लाडियस ने हेलोटस पर विश्वास किया और उसे शाही भोजन को चखने जैसी महत्वपूर्ण
जिम्मेदारी सौंपी ।
एक किन्नर जिसके हाथों
में भावी सम्राट नीरो का जीवन सौंप दिया गया, वो ही सत्ता के संघर्ष में षड्यंत्रकारियों
के साथ जा मिला । भले ही ये षड्यंत्र,
संयोगवश विफल हुआ और हेलोटस की भूमिका पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया गया बल्कि
आगत समय के दरबार में उसकी पदोन्नति भी हो गई, किन्तु रोमन राजनैतिक इतिहास में
किन्नर हेलोटस को सदैव विश्वासघाती व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा ।