मंगलवार, 12 जून 2018

किन्नर - 14

फरिनेल्ली यूरोप के ख्यातनाम आधुनिक गायकों में से एक, किन्तु किन्नर था ।  उसका जन्म कार्लो ब्रोश्ची में हुआ था तथा उसे  गायन का प्रशिक्षण इटली में प्राप्त हुआ था । बतौर गायक उसकी ख्याति इतनी अधिक थी कि वो यूरोप के नामचीन स्टेडियम्स में अपनी गायकी के प्रदर्शन करता रहा ।

उसने लगभग दो दशकों तक स्पेन के शाही दरबार में अपनी सेवायें दीं, जहां वो राजा फिलिप को हर एक रात वही चार गीत सुनाया करता, जोकि पिछली रात्रि में उसके द्वारा गाये गये थे और जिन्हें सुनकर राजा को अवसाद से मुक्त होने की अनुभूति हुआ करती ।  

यह जानना रुचिकर है कि किन्नर फरिनेल्ली आधुनिक यूरोप का आधुनिक गायक था और उसने पूरे यूरोप में अपने गायन की छाप छोड़ी थी, इसके बावजूद वो बीस साल तक राजा फिलिप का दरबारी गायक बना रहा, जहां उसे, अपनी बहुआयामी गायन प्रतिभा को हाशिए पर रखकर नित्य रात्रि केवल चार गीत गाने पड़ते थे, यानि कि राजा फिलिप की अवसाद से मुक्ति के लिये पूर्व निर्धारित चार गीत ।

निरंतर वे ही चार गीत, बीस वर्षों तक ।  यह फरिनेल्ली की गायन प्रतिभा के बर-अक्स एक समझौता था । जहां वो सैकड़ों, हज़ारों गीत गा सकता था, लेकिन उसकी गायकी / उसके सुर केवल चार गीतों की हदों में महदूद रह गये । शायद फरिनेल्ली के सुरों में नैदानिकता का समावेश था, तभी वो एक चिकित्सक की तरह से अवसाद मुक्ति के गीत गाता रहा ।

क्या ये संभव है कि फरिनेल्ली को चार गीतों की सतत पुनरावृत्ति से वितृष्णा ना हुई हो ? या फिर किन्नर होने के नाते वो, राजा फिलिप की पीड़ा / मनोदशा / असहजता को समझता था ? जिसके एवज, बीस वर्षों के लंबे समय तक, वो स्वयं निर्विकार भाव से पुनरावृत्ति का सुर साधक बना रहा / ध्वनित होता रहा ।