किन्नर नारसेस, बायजेंटाइन सम्राट जस्टीनीयन
महान के दरबार का सेवक था । उसके युवा काल
के विवरण नहीं मिलते कि उसने शाही दरबार तक पहुंचने का सफर कैसे तय किया और उसे कब
बंध्याकृत किया गया । नारसेस ने नीका के
भयावह खेल दंगों के समय जिस तरह से भीड़ को फुसलाया और येन केन प्रकारेण दंगा शांत
कराया, उससे जस्टीनीयन बहुत प्रभावित हुआ और जस्टीनीयन ने सेना में नारसेस के
अधिकारों में वृद्धि कर दी । जस्टीनीयन इटली और रोम को पुनः जीतना चाहता था ।
जब
उसका सेना प्रमुख बेलीसारियस, उसका यह स्वप्न पूर्ण करने में असफल हो गया तो उसने
यह जिम्मेदारी नारसेस को सौंप दी हालांकि नारसेस ने इससे पहले कोई युद्ध नहीं जीता
था किन्तु उसने यह अभियान अदभुत ढंग से पूर्ण किया । सेना प्रमुख बनते समय उसकी आयु सत्तर वर्ष थी । बहरहाल वो सम्राट जस्टीनीयन के उत्तराधिकारियों
की कृपा प्राप्त करने में असफल रहा और उसे सैन्य अभियान से वापस बुला लिया गया । कतिपय मिथक विशेषज्ञों का मानना है कि नारसेस
अमेरिकन मूल का व्यक्ति था और उसका रोमनीकरण बाद में हुआ ।
धार्मिक रूप से वो वर्जिन मेरी समूह से ताल्लुक
रखता था । उसने वृद्धावस्था में सेना
प्रमुख बनाए जाने से पूर्व भी कई सफल सैन्य अभियानों के सञ्चालन में अपना योगदान
दिया था । कहते हैं कि वो एक साधारण कद
काठी का व्यक्ति था जिसने युवा स्पर्धाओं के दौरान अनेकों स्वर्ण पदक जीते थे और
यही समय था जब वो सम्राट जस्टीनीयन द्वारा चिन्हित कर लिया गया था । बहरहाल नारसेस
की बौद्धिक कुशलता,रणनीतिक दक्षता, समर नीति को लेकर सभी विद्वत जन एक मत हैं कि
वो असाधारण नायक था । जिसने रोम और इटली
की फिर से जीतने के शाही स्वप्न को पूर्ण किया ।
यह जानना आश्चर्यजनक है कि सम्राट जस्टीनीयन ने
जब नारसेस को सेना प्रमुख बनाया तब नारसेस की उम्र सत्तर वर्ष हो चुकी थी । सम्राट
की महत्वाकांक्षा थी कि वो इटली और रोम को पुनः अपने आधिपत्य में ले, किन्तु उसका
नियमित सेना पति इस कार्य को पूर्ण करने में असफल रहा, ऐसे में सत्तर वर्षीय बूढ़े
किन्नर दरबारी के हाथों में सेना की बागडोर सौंपना लगभग जुआ खेलने जैसा था ।
संभव
है कि खेल दंगों को शांत कराने में नारसेस की रणनीतिक कुशलता ने सम्राट जस्टीनीयन
को यह दांव लगाने के लिये प्रेरित किया हो ? अन्यथा बढ़ती / ढलती आयु के हिसाब से
नारसेस की दैहिक क्षमतायें सेना प्रमुख तो क्या साधारण सैनिक बनने लायक भी नहीं रह
गई होंगी ? या कहें कि वह स्वयं के हाथ पैर हिलाने की स्थिति में भी शायद ही रहा
हो ? अतः लगता यह है कि नारसेस को सेना प्रमुख बनाने का निर्णय पूर्णतः रणनीतिक
दक्षता पर आधारित रहा होगा और नारसेस ने अभियान को सफल बना कर यह सिद्ध भी किया ।