गुरुवार, 31 मई 2018
किन्नर - 2
उसका सबसे अच्छा समय तब आया
जब 15 वर्ष की आयु में झू यू जियाओ सम्राट बना ! कुछ ही समय पहले किन्नर वेई झोंग
जियान ने झू यू जियाओ की महिला सेविका / नर्स श्रीमती के, से मित्रवत सम्बन्ध
स्थापित किये थे ! आगे चलकर यही निर्णय उसके काम आया ! उसने किशोर सम्राट का ध्यान
भटकाते हुए सारी शक्तियां स्वयं में केंद्रित कर लीं और एक तरह से पदेन शासक बन
बैठा ! वो गोपनीय पुलिस तंत्र का निदेशक भी था अतः जो भी व्यक्ति विरोध करता उसे
समाप्त कर दिया जाता ! किन्तु 21 वर्ष की आयु में सम्राट झू यू जियाओ की मृत्यु हो
जाने से उसका खेल बिगड़ गया और उसने आत्म हत्या कर ली ! उसकी देह, टुकड़े टुकड़े कर दी गई और उसके अवशेष सुदूर गांव में रखे गये
ताकि दूसरे लोग इससे नसीहत लें !
जुआ खेलना धनार्जन का लघुकृत उपाय था जो असफल रहा ! इसी तरह से
बंध्याकृत हो जाना भी शाही कृपा प्राप्त करने के लिये किया गया लघुकृत उपाय ही
माना जाएगा जोकि लघु समय तक ही सफल रहा, और अन्ततोगत्वा इस तात्कालिक उपाय ने उसे
आत्महत्या करने के लिये मजबूर कर दिया ! कथनाशय यह है कि मनुष्य के जीवन में
लघुकृत उपाय सुफल / सफल सिद्ध हो जायें, यह बिलकुल भी आवश्यक नहीं है ! अतः इसमें
कोई आश्चर्य नहीं है कि वेई झोंग जियान को पहले प्रयास से किन्नरत्व और दूसरे
प्रयास से आत्मघात की प्राप्ति हुई ! उसने अपने परिजन त्यागे, सत्ता सुख की लालसा
में सत्ता समूह के मित्र त्यागे और पाया अपनी टुकड़ा टुकड़ा मृत देह का सार्वजानिक
प्रदर्शन ! वो छद्म सम्राट था जोकि वास्तविक सम्राट झू यू जियाओ की सदाशयता का लाभ
उठा रहा था ! उसके हाथों में कठपुतली की डोर थी...पर कठपुतली के अंतर्ध्यान होते
ही उसका तमाशा खत्म हो गया !
लेबल:
अली एम सैयद,
उम्मतें,
किन्नर,
तृतीय लिंग,
दैहिकता,
धन लोलुप