रविवार, 31 दिसंबर 2017

शमन

वह एक वयोवृद्ध और प्रख्यात शमन / ओझा  था ! कभी गुस्से में होता तो किसी भी व्यक्ति पर जादू कर देता, यहां तक कि दूसरे शमन पर भी ! एक बार जब वो टहल रहा था तो उसे एक नन्हा बच्चा मिला जो इधर उधर भटक रहा था उसे पता ही नहीं था कि किधर जाए ! शमन ने पूछा कौन हो तुम ? उसने कहा मुझे पता नहीं ! क्या तुम शमन हो ? नन्हे बच्चे ने कहा मैं किस तरह का शमन हो सकता हूं ? हालांकि मैं नींद में जागता हूं और नींद के लिये चलता हूं बच्चे ने फिर से कहा !  शमन ने कहा, मैं तुम्हें मार डालूँगा ! जी ज़रूर, मैं प्रतिरोध नहीं करूँगा क्योंकि मेरे माता पिता जा चुके हैं और मैं उनका अनुसरण करना चाहता हूं बच्चे ने कहा ! ओह...अच्छा, तब तुम मेरे पीछे आओ, शमन ने कहा !

शमन उसे अपने घर ले गया और उसके सामने एक थाल रख कर बोला अब हम एक प्रतिस्पर्धा करेंगे ! बच्चे ने कहा किस तरह की प्रतिस्पर्धा ? ये एक शमन प्रतिस्पर्धा होगी क्योंकि तुम एक शमन हो, शमन ने कहा ! लेकिन मैं तो कुछ जानता ही नहीं हूं, बच्चे ने जबाब दिया ! बूढ़ा शमन चिल्लाया, चुप रहो वर्ना, मैं तुम्हें मार डालूँगा, उसने अपनी हथेली पर थूका और थूक को थाल पर रख दिया जो कि एक जूं, जितने नन्हे भालू में बदल गया, बूढ़ा शमन बोला ये मेरा योद्धा है, तुम्हारा योद्धा कहां है ? ये सुनकर बच्चा अपना सिर खुजाने लगा, उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वो, क्या करे और क्या ना करे, अचानक उसके सिर से एक नन्हा जूं / जुआं थाल पर टपक गया ! आह...ये तुम्हारा योद्धा है, ठीक है, चलो उन्हें लड़ने दें, शमन ने कहा !

जूं और भालू दिन भर लड़ते रहे, शाम तक यह स्पष्ट हो गया कि जूं, भालू के मुकाबले ज्यादा ताकतवर है ! उसने भालू का गला दबोच लिया और वो भालू का दम घोंट देना चाहता था कि बूढ़ा शमन चिल्लाया, भालू को अकेला छोड़ दो, उसे जाने दो, वर्ना मैं मर जाऊंगा ! बच्चे ने कहा नहीं मैं ऐसा नहीं करूँगा, ये तुम थे, जो लड़ना चाहते थे ! अंतत: जूं ने भालू का गला घोंट दिया और भालू के मरते ही बूढ़ा शमन भी मर गया ! बच्चे ने उसकी पत्नियों सहित उसका पूरा सामान कब्ज़े में ले लिया और वो बहुत धनवान हो गया !

पूर्वी साइबेरिया के युकाघिर लोगों का ये आख्यान, एक मायने में, सारी दुनिया के आदिम समुदायों का प्रतिनिधित्व करता है, वो ये कि समस्त अर्वाचीन समाजों में जादुई कृत्य और जादूगर की उपस्थिति अनिवार्य तत्व है ! आप कह लें कि धर्म की उपस्थिति के समानान्तर जादू टोना जैसी मान्यताओं का चलन ! जहां धर्म में, अशरीरी / पारलौकिक शक्तियों के समक्ष समर्पण करते समय अनुनय विनय तथा स्तुति को माध्यम बनाया जाता है, वहीं जादुई परम्पराओं में अधिप्राकृतिक / अधिवैयक्तिक शक्तियों को वश में करने के लिये मांत्रिक विधियों का छल पूर्वक इस्तेमाल आम बात है, गौर तलब बात ये कि मांत्रिक विधियों में निष्णात व्यक्ति, पारलौकिक शक्तियों के समक्ष समर्पण करने के बजाये, उन्हें, मन्त्र शक्ति से, अपने वश में कर लेता है !

इस कथा में उल्लिखित शमन भी एक जादूगर है, जो मनुष्येत्तर शक्तियों को अपने अधीन करने का सामर्थ्य रखता है ! यहां ये समझ लेना ज़रुरी है कि, साइबेरियन अथवा पोलिनेशियाई क्षेत्रों के शमन, पूरी दुनिया में स्थानीयता के आधार पर अलग अलग नामों से संबोधित किये जाते हैं, जैसे कि हमारे अपने देश में बैगा, डूमा, ओझा अथवा गुनिया ! ठीक ऐसे ही, हमारे ओझा का जादूवाद विश्व के किसी अन्य क्षेत्र में मानावाद या शमनवाद कहा जा सकेगा ! बहरहाल मूल कहन ये है कि सम्पूर्ण आदिम संसार में जादू और जादुई कर्मकांड के विशेषज्ञ की उपस्थिति आम बात है ! युकाघिर लोगों की इस कथा का प्रमुख पात्र, बूढ़ा शमन जादुई कृत्य निपुण है, अगर उसे गुस्सा आ जाये तो वो, दूसरे शमन पर भी जादुई हमला कर सकता था !

यदि बूढ़ा शमन, क्रोधावेश के समय में, किसी अन्य शमन पर जादुई प्रहार कर सकता था, तो सामान्य ग्रामीण-जन भी, निश्चित रूप से, उसके कोप से पीड़ित रहे होंगे, ऐसा अनुमान लगाने में कोई हर्ज़ नहीं है ! आख्यान कहता है कि, बूढ़े शमन को एक नन्हे बच्चे में भी शमन की प्रतीति होती है, वो बच्चा भटक रहा है...लेकिन बूढ़ा शमन, उसके प्रति पूर्वाग्रही बना रहता है, चूंकि बच्चा, अपने माता पिता को खो चुका है सो...उसे, बूढ़े शमन की धमकियों और मृत्यु का कोई भय नहीं है, वो बातचीत में अपनी विनम्रता का परित्याग नहीं करता ! बच्चे को बूढ़े शमन के घर जाने में कोई दिक्कत नहीं है, किन्तु वो ना तो कोई विवाद करना चाहता है और ना ही किसी प्रतिस्पर्धा में भाग लेना !

शमन अपनी जादुई शक्ति से एक नन्हा भालू बनाता है जोकि प्रतीकात्मक रूप से वो स्वयं है, जबकि बच्चे के सामने कोई विकल्प नहीं है, वो असहाय है और अपना सिर खुजाता है, संयोगवश बच्चे के सिर से गिर गई जूं, बूढ़े शमन के पर्याय नन्हे भालू को समाप्त कर देती है और बच्चा, मृतक की पत्नियों सहित सारी धन संपत्ति का मालिक बन जाता है ! एन इसी जगह पर हमें इस कथा में, ये झोल दिखाई देता है कि, बच्चा, बूढ़े की पत्नियों और धन संपत्ति को अपने कब्ज़े में लेकर क्या करेगा ? हालांकि जनश्रुतियों को पढ़ते समय प्रतीकों के छुपे हुए अर्थों को समझना भी ज़रुरी होता है, अतः लगता ये है कि बच्चा केवल संकेत है, कथन ये कि कोई नवउम्र अनाड़ी, किसी बड़े खिलाड़ी को हरा सकता है, बशर्ते विनम्र बना रहे और उसे गुस्सा ना आता हो !