मंगलवार, 8 अगस्त 2017

मत्स्य पुरुष

वो लड़की, फ्रेजर नदी के मुहाने के निकट के गांव में रहती थी, उसने विवाहोत्सुक सभी युवकों के दावे खारिज कर दिये थे ! कुछ समय बाद उसे देखने के लिये एक युवा आया जो रात को उस लड़की के पास ही ठहर गया ! लड़की ने उससे कहा, तुम सुबह तक यहीं रुको ताकि मेरे अभिभावक तुम्हें देख सकें ! युवक ने कहा, नहीं, मैं बेहद गरीब हूं, संभव है कि तुम्हारे स्वजन, मुझे पसंद ना करें ! इस तरह से वह हर रात को युवती के पास आने लगा ! युवती ने यह बात अपने अभिभावकों को बतलाई, जो ये जानकर बहुत नाराज़ हुए ! असल में वह युवक एक मत्स्य पुरुष था, प्रतिक्रिया स्वरुप, उसने समुद्र को उस गांव से कई मील पीछे हटा लिया और स्वच्छ पानी के सभी स्रोत सुखा दिये, यहां तक कि वर्षा होना बंद हो गई ! पशुओं ने प्यास से निढ़ाल होकर गांव छोड़ दिया ! लोगों को मछलियां मिलनी बंद हो गईं, वहां पीने के पानी की एक बूंद तक शेष ना रही ! 

लड़की ने लोगों से कहा, ये सब मेरे प्रेमी ने किया है क्योंकि आप लोगों ने नाराज होकर उसका तिरस्कार किया है ! यह सुनकर गांव के लोगों ने समुद्र के किनारे तक पहुंचने के लिये कीचड़ के ऊपर लकड़ी के पटरे बिछाये और उसके अंतिम छोर पर एक बड़ा सा मंच बनाया ! मंच पर चटाइयां बिछाई गईं ! वहां ऊनी कम्बलों के अम्बार लगा दिये गये ! इसके बाद लड़की को खूबसूरत कपड़े पहनाए गये ! उसके बालों में तेल लगा कर, सुंदर केश सज्जा की गई, उसके चेहरे पर शानदार रंग लगाये गये ! इसके बाद लड़की को, कम्बलों के ऊपर छोड़ दिया गया ! अचानक आसमान में गहरे बादल छा गये, बारिश होने लगी ! झरने बहने लगे ! समुद्र गांव के निकट आ पहुंचा, चहुं दिश वसंत बिखर गया ! लोगों ने समुद्र को उफनते और मंच को उसमें तैरते हुए देखा ! उन्होंने देखा एक युवक, उस लड़की के बगल में खड़ा हुआ है ! लड़की चिल्लाई अब सब ठीक है मैं तुम सब से जल्द ही मिलूंगी !

रात गहराने लगी थी, लोगों को कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया ! दो दिनों के बाद वो लड़की अपने पति के साथ गांव वापस लौटी ! उसने कहा, मैं समुद्र के नीचे मत्स्य प्रदेश में रहती हूं, वहां के लोग भी वैसे ही रहते हैं जैसे कि आप लोग...और उनके घर भी इस गांव के घरों जैसे हैं ! वो दोनों गांव के लोगों के लिये, उपहार स्वरुप मछलियां लाये थे ! लड़की ने कहा, अब से गांव के लोग इस समुद्री किनारे पर ढ़ेरों मछलियां पकड़ सकेंगे, फिर वो दोनों, मत्स्य प्रदेश वापस लौट गये ! कहते हैं कि लड़की एक बार फिर से उस गांव में वापस आई, वो अपने नवजात शिशु को, उन्हें दिखाने लाई थी ! इसके बाद जब वो मत्स्य प्रदेश वापस गई तो उसे किसी ने कभी नहीं देखा ! 

ये सेलिश कथा, समुद्र तटीय बस्ती के लोगों की जीवनचर्या को संबोधित है, कथा की नायिका, उससे विवाह के लिये उत्सुक अनेकों युवकों को ठुकरा चुकी है और किसी नवागंतुक के साथ रात्रि व्यतीत करने का अधिकार उसके पास सुरक्षित है ! प्रतीत होता है कि उक्त समाज में युवतियों को अपने लिये वर चुनने और किसी युवा पुरुष के साथ रात्रि गुज़ारने की पूर्ण स्वतंत्रता थी, लेकिन विवाह के लिये निश्चित धारणा बना चुकने के बाद, उन्हें अपने परिजनों की औपचारिक स्वीकृति लेना भी अनिवार्य हुआ करती होगी ! आख्यान पर ध्यान दें तो कथा का नायक मत्स्य पुरुष मान लिया गया है, जिसके पास, समुद्र को बस्ती से दूर हटाने तथा वर्षा को रोक देने और मृदु जल स्रोतों को शुष्क कर देने का सामर्थ्य मौजूद है !

प्रतीत होता है कि सेलिश समाज के लिये, वो बाहर से आया हुआ विजातीय युवक रहा होगा ! संभवतः समुद्र में अवस्थित किसी द्वीप का कोई मछुवारा ! विवाह के उपरान्त गांव वापस लौटी युवती के बयान से भी यही लगता है कि वो समुद्र के बीच मौजूद मछुवारों की किसी बस्ती (मत्स्य प्रदेश) में निवास करने लगी थी, जिसके घर भी, उसके पैतृक गांव के घरों जैसे थे ! वो युवती पैतृक गांव में वापसी के समय अपने साथ,उपहार स्वरूप मछलियां लाई थी, सो यह कहना उचित नहीं लगता कि उसका पति, प्राकृतिक शक्तियों पर नियंत्रण रखने वाला,देवतुल्य मत्स्य पुरुष था ! क्या ये संभव है कि मछलियों का देवता, अपनी ससुराल पक्ष को मछलियों के आखेट के अवसर दे या फिर मछलियां बतौर उपहार दे, ताकि वे लोग उन्हें खा सकें, इसलिए लगता ये है कि वो युवा कोई मछुवारा ही था,जिसे विवाहोपरांत,ससुराल पक्ष के मत्स्याखेट से कोई आपत्ति नहीं थी !

अनुश्रुति के आरंभिक कथन के अनुसार सेलिश लोगों का किसी अपरिचित युवा के प्रति नाराज हो जाना अनुचित नहीं लगता, जोकि उनकी पुत्री के साथ रात्रि का सहचर तो हो जाए पर...युवती के अभिभावकों से मिलने में हीला हवाला करे ! ऐसा लगता है कि समुद्र का बस्ती से दूर जाना और पास आना ज्वार भाटे जैसी प्राकृतिक नैमित्तिक घटना का हिस्सा है जबकि ब्याह नहीं होने की स्थिति में, वर्षा नहीं होने, मछलियां नहीं मिलने और फिर ब्याह के उपरान्त, सब कुछ वासंती हो जाने जैसे प्रसंग युवती के विजातीय ब्याह को प्रासंगिक बताने की ग़रज जोड़े गये प्रतीत होते हैं ! युवती को लकड़ी के मंच में उपहार सहित विदा करने का एक ही आशय हो सकता है, लकड़ी के बेड़े / नाव-नुमा संरचना में बैठा कर जल मार्ग से ससुराल भेज देना ! अंततः उफनते समुद्र में उस मंच को तैरते हुए देखा गया था !