आज कल हम
जिसे सांता क्रूज द्वीप कहते हैं, चुमाश लोगों का जन्म वहीं हुआ था ! उन्हें भूमि देवी
हुताश ने जादुई दरख़्त के बीजों से पैदा किया था ! हुताश का ब्याह आकाश नाग / आकाश
गंगा से हुआ था जोकि अपनी जीभ से विद्युत उत्सर्जित कर सकता था ! एक दिन आकाश नाग
ने चुमाश लोगों को उपहार देने की बात सोची, जिसके लिए उसने धरती पर विद्युत
प्रवाहित कर दी जिसके कारण से धरती पर आग लग गई !
इसके बाद चुमाश लोगों ने उस आग को लगातार जलाए रखा ताकि वे उसमें खाना पका
सकें और स्वयं को गर्म रख पायें !
कहते हैं कि
उन दिनों गिद्ध सफ़ेद रंग का हुआ करता था ! गिद्ध को बेहद उत्सुक्तता थी कि चुमाश
गांव में आकाश से उतरी हुई शय क्या है ? सो उसने आग के बहुत निकट से उड़ान भरी ताकि
वो उसे अच्छी तरह से देख पाए और समझ सके, लेकिन उड़ते हुए वह आग के इतने पास से
गुज़रा कि उसके पंख झुलस कर काले हो गये, हालांकि पंखों का कुछ हिस्सा आग के संपर्क
में नहीं आ पाया सो वो सफ़ेद बना रहा ! बहरहाल उसी दिन से गिद्ध सफ़ेद की बजाये काले
रंग के होने लगे हैं !
आकाश नाग
से अग्नि का उपहार प्राप्त करने के बाद चुमाश लोग बहुत आरामदायक जीवन जीने लगे,
उनके बच्चों की संख्या हर साल बढ़ने लगी, यहां तक कि छोटे छोटे गांव, बड़े गांव में
तब्दील होने लगे और सांता क्रूज द्वीप चुमाश लोगों से भर गया ! चुमाश जनसंख्या में
बढोत्तरी के कारण शोर गुल बढ़ने लगा, जिससे हुताश को खीज होने लगी थी ! उसकी रातें
जागते गुज़रतीं! इसलिए उसने निश्चय किया कि कुछ चुमाश लोगों को मुख्य भूमि में भेज
देना उचित होगा क्योंकि उन दिनों मुख्य भूमि जन शून्य थी ! अब समस्या यह थी कि
द्वीप और मुख्य भूमि के दरम्यान जो समुद्र था उसे प्रवासी चुमाश लोग कैसे पार
करेंगे ?
हुताश ने
सोचा कि द्वीप और मुख्य भूमि के पर्वतों की ऊंची चोटियों के मध्य इन्द्रधनुष का
पुल बनाना उचित होगा ! उसने चुमाश लोगों से कहा कि वे पुल से होकर मुख्य भूमि में
चले जायें और फिर वहां से पूरी दुनियां में फ़ैल जायें ! अनेकों लोग सुरक्षित उस
पार जा पहुंचे पर कुछ लोगों ने ऊंचे पुल से नीचे समुद्र को देखने गलती की गहरी
धुंध के कारण उन्हें दृष्टि भ्रम हुआ और वे लोग नीचे समुद्र में जा गिरे ! यह देख
कर हुताश को बहुत दुःख हुआ क्योंकि वो उन्हें सुरक्षित मुख्य भूमि में भेजना चाहती
थी ना कि समुद्र में बहते हुए देखना, इसलिए उसने नीचे पानी में गिर गये लोगों को
डाल्फिंस में तब्दील कर दिया ! इसलिए चुमाश लोग डाल्फिंस को आज भी अपना भाई मानते हैं !
जिस द्वीप
में चुमाश लोगों के जन्म की बात कही गई है, वह पहले लिमूव के नाम से जाना जाता था !
कहते हैं कि भूमि देवी हुताश पहले पहल अकेले ही रहती थी, बाद में उसने सोचा कि
चुमाश लोगों को जन्म दिया जाए, इसके लिये उसने अपनी दैवीय शक्तियों का प्रयोग करते
हुए, लिमूव द्वीप में जादुई पौधे उगाये फिर उसके बीजों से मनुष्य सृजित किये, उसने
यह ध्यान रखा कि मनुष्य ऐन उसके जैसे ही दिखाई दें ! गौर करें तो धरती स्वयं एक आकाशीय
पिंड है, जिसका ब्याह, आकाश नाग उर्फ आकाशीय पिंडों के सर्पाकार समुच्चय, से होने
की बात इस कहानी में मुखरता से कही गई है !
यानि कि चुमाश लोग इतना तो समझते ही थे
कि धरती और अन्य आकाशीय पिंड परस्पर स्वजन हैं, ये बात अलग है कि वे इस स्वजनता को
रक्त (तत्वगत / पदार्थगत) संबंधों में देखने के बजाये वैवाहिक संबंधों में देखते
थे !आबादियों
के हिमशीतित क्षेत्रों में निवासरत होने की स्थिति में, वनैले पशुओं से तुलनात्मक दैहिक
दुर्बलता की स्थिति में तथा भोजन को कच्चा उदरस्थ करने के कष्टप्रद आयोजनों में,
आबादियों की सबसे बड़ी उपलब्धि अग्नि थी, जो उन्हें गर्म रखती थी, वन्य पशुओं को उनसे
दूर रखती थी और भोजन को उनके लिये सुपाच्य / सहज और अनुकूल बनाती थी !
स्वभाविक ही
था कि आबादियां, यह अनुमान लगायें कि अग्नि का जन्म कैसे हुआ होगा? पाषाण घर्षण अथवा आकाशीय
विद्युत या फिर कोई अन्य माध्यम ? चुमाश कबीले ने अग्नि की उपलब्धता को आकाशीय
विद्युत से जोड़ा, जो उन्हें सृजित करने वाली हुताश के पति आकाश नाग द्वारा प्रदत्त
उपहार था ! प्रतीकात्मक रूप से कहे गये इस कथन का आशय अत्यंत स्पष्ट है कि देवी हुताश,
चुमाश लोगों की मां है और पिता आकाश नाग, सो संतति के लिये पिता की ओर से अग्नि
बतौर सौगात मिली !
आख्यान में,
गिद्ध के सफ़ेद से काले हो जाने का कथन बेहद रोचक है, कथानुसार वह एक जिज्ञासु पक्षी
है, जो नई नवेली शय अग्नि को निकट से जांचने की कवायद में खुद को झुलसा लेता है ! बिन
गुरु, ज्ञान प्राप्ति के मार्ग में यह सम्भावना तो खैर बनती ही है ! इस घटनाक्रम
का विशिष्ट पक्ष ये भी है कि, मनुष्यों की बस्तियों में, गिद्धों की रुचि क्यों
नहीं होना चाहिए ? चुमाश अनुश्रुति जनाधिक्य की समस्या का निराकरण देवी हुताश के
हाथों होने का कथन करती है अर्थात मां अपने बच्चों की संख्या बढ़ने से हो रहे ध्वनि
प्रदूषण और अन्य कारणों से दु:खी है और भविष्य की दृष्टि से उन्हें द्वीप से इतर विशाल
भूक्षेत्रों में बस जाने के लिये प्रेरित भी करना चाहती है !
इंद्रधनुष
के पुल होने का कथन नितांत सांकेतिक है, निश्चय ही ये एक झूलते पुल के जैसा
निर्माण कार्य होगा, जिससे वो लोग नीचे गिर पड़े होंगे, जो कि कमजोर मनः स्थिति वाले
रहे होंगे, ऊंचाई से डरने वाले लोग !
समुद्र में गिर पड़े लोगों का डाल्फिंस हो जाना दैवीय कृत्य है या कि नहीं
यह जानना इतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि यह समझना कि डाल्फिंस मनुष्यों की तरह
से स्तनपायी और मेधावी प्राणी हैं, वे चुमाश लोगों के भ्रातत्व कुल में सम्मिलित
हैं क्योंकि समुद्र में गये मनुष्यों के संकट में पड़ जाने के समय में डाल्फिंस के सहयोगी
व्यवहार के किस्से यूं भी सार्वजनीन हैं !