रविवार, 26 अक्तूबर 2014

अकीको : प्रणय अनुश्रुति 5

बूढ़े ताकाहामा, सोजानजी मंदिर के कब्रिस्तान के ठीक पीछे एक छोटी सी कुटिया में रहते थे ! वे अच्छे खासे मिलनसार और अपने पड़ोसियों में बेहद लोकप्रिय शख्स माने जाते थेहालाँकि किसी स्त्री के साहचर्य में दिलचस्पी नहीं दिखाने, विवाह के लिए सदैव अनिच्छुक बने रहने की वज़ह से पड़ोसी उन्हें मानसिक तौर पर खिसका हुआ / मनःविचलित भी मानते थे ! गर्मियों के मौसम में एक दिन जब वे बीमार पड़ गए तो उन्होंने अपनी भाभी और भतीजे को अपनी देखभाल के लिए बुलवा भेजा ! उन दोनों ने ताकाहामा के जीवन की इस अंतिम बेला में उनकी भरसक सेवा सुश्रुषा की !
बीमार ताकाहामा के निद्रालीन होते ही एक शुभ्र तितली, उनके तकिये पर आकर बैठ जाया करती थी ! उनका भतीजा अक्सर पंखे की सहायता से उस तितली को भगाने की कोशिश करता पर वह बार बार वापस लौट कर तकिये पर यूं बैठ जाती, जैसे कि वो, बीमार ताकाहामा से दूर जाने के लिए अनिच्छुक हो ! तितली की इस हरकत से परेशान भतीजे ने तितली को कुटिया से बाहर खदेड़ने का फैसला कर लिया, वह पंखा लेकर उसके पीछे भागा तो उसने देखा कि तितली कब्रिस्तान में जाकर एक कब्र के पास रहस्यमयी तरीके से गायब हो गई है !
कब्र पर लगे हुए पत्थर को पढ़ने पर भतीजे को पता चला कि वो कब्र अकीको की है जोकि अट्ठारह साल की उम्र में ही मर गयी थी ! कब्र में हर तरफ से काई लगी हुई थी ! भतीजे को लगा कि यह कब्र कम से कम पचास साल पहले बनाई गयी होगी ! उसने देखा कि कब्र के चारों तरफ सुंदर फूल खिले हुए है और पास में ही पानी का एक छोटा सा कुंड भी बना हुआ है, जिसमें बस दो चार दिन पहले ही ताजा पानी भरा गया होगा ! कुछ देर बाद वह कब्रिस्तान से कुटिया में लौट आया, जहां उसके चाचा ताकाहामा की मृत्यु हो चुकी थी ! उसने अपनी मां से तितली और कब्रिस्तान वाले घटनाक्रम ज़िक्र किया तो उसकी मां ने उसे बताया कि जब तुम्हारे चाचा जवान थे तो उनकी मंगनी अकीको से हुई थी !
लेकिन शादी के ठीक पहले अकीको की मृत्यु हो गयी और उसी दिन, ताकाहामा ने फैसला कर लिया कि वो अपने इकलौते प्रेम का साथ नहीं छोड़ेंगे और फिर उन्होंने कभी विवाह नहीं किया ! अपनी प्रेयसी की यादों के साथ, उसकी खुशहाली के लिए दुआएं करते हुए वो, कब्रिस्तान के निकट की इस कुटिया में रहने लगे ! वो हर दिन कब्र की देखभाल करते, मौसम चाहे भीषण गर्मी और झुलसाने वाला हो या फिर बेहद सर्दियों की घनघोर बर्फवारी का...ताकाहामा आजीवन अकीको के प्रति वफादार बने रहे ! अब जब कि उनकी मृत्यु के बाद उनका नित्य कर्म थम जाने वाला था तो उनकी प्रेयसी अकीको की निष्पाप आत्मा शुभ्र तितली की शक्ल में उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए आई थी...
जापान के इस आख्यान में प्रेम को शारीरिकता के बंधन से इतर बताया गया है, ताकाहामा अधिकांश   पुरुषों की तरह बहु स्त्री-गामी नहीं थे यानि कि उन्हें एकलनिष्ठ प्रेमी स्वीकार किया जा सकता है ! प्रेयसी / मंगेतर की मृत्यु के समय उनकी आयु, उन्हें नए जीवन साथी के चयन का अवसर देती है फिर भी वे अपना सारा जीवन अपनी मृत प्रेमिका की कब्र की देखभाल और उसकी आत्मा की खुशहाली की दुआओं में गुज़ार देते हैं ! सामाजिकता और व्यवहार कुशलता के लिहाज़ से वे अपने पड़ोसियों में लोकप्रिय भी थे किन्तु उसी समय, शारीरिकता के तकाजों को लेकर प्रश्नाधीन भी ! कहने का आशय यह है कि समाज अपने सदस्यों के यौन व्यवहार को लेकर पर्याप्त सजग हुआ करता है !
कथा में उल्लिखित समुदाय, ताकाहामा की यौन अरुचियों / उदासीनता को सहज अथवा सामान्य नहीं मानता ! पड़ोसी उनके व्यक्तित्व से प्रभावित तो हैं पर...स्त्री साहचर्य के प्रति उनकी धारणा को लेकर उन्हें खिसका हुआ यानि कि सामान्यता से विचलित व्यक्तित्व भी मानते हैं ! पड़ोसियों के लिए ताकाहामा की यौन अरुचि का एक ही अर्थ है, उनका मन:विचलन ! स्पष्ट तथ्य यह कि, वे लोग, मृत प्रेमिका के प्रति जीवित ताकाहामा के समर्पण को, असामान्यता की श्रेणी में रखते हैं, सो इस कथन का मंतव्य यह कि तत्कालीन जन समुदाय, प्रेमिका अकीको की मृत्यु के समय, ताकाहामा की आयु के व्यक्ति से, यह अपेक्षा रखता है कि अल्पजीवी / मृत युवती का स्थान किसी अन्य युवती को दे दिया जाना ही जीवन की सहजता है, स्वस्थ मनः होने की निशानी है !
ऐसा लगता है कि आख्यान के समय का समाज, शारीरिकता / यौनिकता / यौन जीवन के तकाजों को लेकर, एकल निष्ठता, खासकर मृत व्यक्ति के प्रति, को उचित नहीं मानता होगा ! बहरहाल कथा के विरही नायक के रूप में अर्ध शताब्दी से अधिक का समर्पण काल ताकाहामा को विशिष्ट व्यक्ति बनाता है और एक असाधारण प्रेमी के रूप में स्थापित करता है ! तितली के रूप में नायिका का प्रतीकात्मक उल्लेख शायद ताकाहामा के प्रति एक समुचित श्रृद्धांजलि अथवा सम्मान देना भी हो सकता है !  नि:संदेह हम कह सकते हैं कि जीते जी, खिसका हुआ माने गए, एक व्यक्ति को उसकी मृत्यु के उपरान्त असाधारण प्रेमी बतौर स्थापित करने वाला समाज भी वही है, जोकि अन्यान्य यौन साथी की स्थानापन्नता को सहजता मानता रहा हो...