मित्रों ,
उत्तराखंड की विभीषिका पर नेट पर आपकी प्रतिक्रियाएं देखीं , क्या यह संभव है कि हम अपने स्तर पर जो भी संभव हो , उचित लगे अथवा स्वेच्छा से जो भी बन पड़े , उतनी आर्थिक सहायता के लिए अपने आस पास की दुनिया टटोलें और अपने जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से, अपने अपने समूह द्वारा एकत्रित की गई राशि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री आपदा / राहत कोष में पहुंचायें ! वहां जन धन की अपार क्षति हुई है अस्तु हमारा अंशदान विपदा पीड़ितों को नवजीवन दे सकता है !
हम स्वयं अपने क्षेत्र में ऐसी मुहिम छेड़ रहे हैं ! अपने शौक , अपने आरामदेह जीवन में न्यूतम की कटौती से भी हम आपात मानवीय सरोकारों के लिए अपना योगदान दे सकते हैं ! कृपया जो भी उचित लगे , जिस प्रकार से भी संभव हो , उत्तराखंड राज्य के भाई बहनों के लिए सहयोग दें !
अली सैयद
jo karen swayam karen ,sarakri yojnaon ka koi bharosa nahi kyonki vahan to sabhi jeevan bhar ke aapda peedit baithe hain . आभार . यू.पी.की डबल ग्रुप बिजली आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN मर्द की हकीकत
जवाब देंहटाएंजी आपका कहना दुरुस्त है सरकारें , असरकारी नहीं रह गयी हैं !
हटाएंसही अपील है , हम सब साथ हैं ..
जवाब देंहटाएंसतीश भाई ,
हटाएंअपने यहाँ / सहायता की स्थानीय व्यवस्था कीजियेगा !
अभी प्रदेश सरकारें और केंद्र सरकार राहत पहुंचा रही हैं -उत्तराखंड के मुख्य मंत्री ने खुद कहा कि संसाधनों और फंड की कमी नहीं है -समस्या उनके त्वरित और सही डिलेवरी की है -आप की अपील आपकी सहृदयता और पर दुःख कातरता प्रगट करती है इसकी अभी कोई जरुरत नहीं है ! अभी धैर्य रखिये और दुआ कीजिये !
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी ,
हटाएंजनगण को स्वस्फूर्त सदाशयता / सहायता का अभ्यास / की आदत होनी चाहिए ! आंख मूंदकर सरकारों के भरोसे बने रहना उचित नहीं है !
शायद इस समय संसाधनों के साथ साथ manpower की भी उतनी ही आवश्यकता है
जवाब देंहटाएंजी ज़रूर ! सरकारों का मुखापेक्षी बने रहने से बेहतर है अपना अपना योगदान !
हटाएंहम क्या कर सकते हैं,बतायें ?
जवाब देंहटाएं.
.आपके निर्देश में कोई कार्यक्रम हो तो हम सहभागी हो सकते हैं।
संतोष जी ,
हटाएंआप स्थानीय स्तर पर सहायता प्रेषण के यत्न करें ! आपको बाहरी निर्देशों की जरुरत नहीं है ,स्थानीय तौर पर हम भी ऐसा ही कर रहे हैं !
कल दिन भर से हर चेनल में मानव द्वारा किये गए दुष्कर्मों का परिणाम देख ही रहे है. इस आपदा पर आपकी प्रतिक्रिया देख बडा सुकून मिला कुछ हद तक अरविन्द मिश्र जी से सहमत भी हूँ
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर !
हटाएंसाधुवाद !
जवाब देंहटाएंआभार !
हटाएंयहाँ मुंबई में भी कुछ संगठनों द्वारा सहायता राशि इकट्ठी की जा रही है. आम नागरिक अपने सामर्थ्यानुसार योगदान दे रहे हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
हटाएंMain apni taraf se PM welfare fund me bhejta hoon, koshish rahegi kuchh aur doston ko bhi saath jod sakoon.
जवाब देंहटाएंठीक कर रहे हैं आप !
हटाएंसराहनीय सोच।
जवाब देंहटाएंसुनियोजित प्रबंधन की आवश्यकता है जो सरकारी स्तर पर सुलभ है।
असरकारी योगदान भी होना चाहिए सरकार पर एक पक्षीय निर्भरता उचित नहीं !
हटाएंधन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार !
हटाएंबहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंयह तो जरूरी है।
जवाब देंहटाएं