शनिवार, 29 जून 2013

सुसेरी हिमे : प्रणय अनुश्रुति 2

ओ कुनी नुशी चिकित्सा पद्धतियों का देवता था , उसका जन्म चिकित्सा पद्धतियों के आविष्कार के समय हुआ था ! एक बीमार खरगोश के इलाज के बदले में , उसे राजकुमारी याकामी उपहार स्वरूप प्राप्त हुई थी !  ओ कुनी नुशी को उसके जलनखोर भाई ने मार डाला किन्तु उसकी मां ने देवी कामी-मुसाबी की मध्यस्थता से उसे बचा लिया , जिसके बाद , वो जीवन में और भी अधिक सामर्थ्यवान युवा के रूप में वापस लौटा ! उसे उसके भाइयों से सुरक्षित रखने की गरज से उसकी मां ने उसे पाताल लोक में देवता सुसानू के पास भेज दिया , जहां उसकी भेंट देवता सुसानू की पुत्री सुसेरी हिमे से हुई !  वे दोनों एक दूसरे को देखते ही प्रणय आसक्त हो गये !

देवता सुसानू ने अनिच्छापूर्वक पूर्वक ओ कुनी नुशी का स्वागत तो किया , किन्तु उसे रात्रिकालीन विश्राम के लिए , साँपों से भरे हुए एक कक्ष में भेज दिया !  सुसेरी हिमे ने अपने प्रियतम को एक दुपट्टा दिया जिसकी सहायता से वह सर्प कक्ष में जीवित बच गया ! अगली रात में देवता सुसानू ने उसे कनखजूरों और जहरीले कीटों से युक्त कमरे में विश्राम करने कहा , लेकिन ओ कुनी नुशी अपनी प्रियतमा से प्राप्त जादुई दुपट्टे की सहायता से पुनः जीवित बच गया ! अपनी विफलता से मायूस देवता सुसानू ने घास के मैदान में एक फुफकारता हुआ तीर छोड़ दिया और ओ कुनी नुशी से कहा कि वह उसे ढूंढ कर लाये !

तीर को ढूँढता हुआ ओ कुनी नुशी जैसे ही घास के मैदान के बीच-ओ-बीच पहुंचा , सुसानू ने घास में आग लगा दी ! यहां एक मित्रवत चूहे ने ओ कुनी नुशी को छुपने योग्य भूमिगत जगह दिखाई जिससे वह आग में जल जाने  से बच गया !  इसी स्थान पर उसे वह तीर भी मिल गया !  ओ कुनी नुशी को प्राप्त इन जीवन अवसरों ने देवता सुसानू को प्रभावित करना शुरू कर दिया था ! उसने ओ कुनी नुशी को अपने बाल धोकर सो जाने की सलाह दी किन्तु ऐसा करने के बजाये , ओ कुनी नुशी ने चतुराई के साथ , निद्रालीन देवता सुसानू के लंबे बाल उसके घर के म्याल / शहतीर से बाँध दिए और उसकी वीणा ‘कोटो’ तथा उसके हथियार चोरी कर लिए और फिर अपनी पीठ पर अपनी प्रेयसी सुसेरी हिमे को लाद कर वहां से भाग निकला !

निद्रा से जागने पर अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास कर रहे देवता सुसानू के बालों से बंधे म्याल को धक्का लगा और उसका घर ढ़ह गया ! उसने देखा कि ओ कुनी नुशी और उसकी प्रेयसी सुसेरी हिमे उसकी पहुंच से दूर जा चुके हैं ! उन दोनों को पकड़ पाने की कोई उम्मीद भी शेष नहीं रह गई थी सो देवता सुसानू ने ओ कुनी नुशी को सुसेरी हिमे से ब्याह कर लेने का सुझाव दिया तथा यह मार्गदर्शन भी दिया कि वह किस प्रकार से उन ( देवता सुसानू के ) हथियारों से अपने दुश्मन भाइयों को पराजित कर सकता है ! उसने सुसेरी हिमे और ओ कुनी नुशी को उका पर्वत की तलहटी में महल बनाने की सलाह भी दी !

इस जापानी लोक आख्यान के अनुसार , कथा का नायक उस समय जन्म लेता है जबकि चिकित्सा पद्धतियों का अविष्कार हो रहा था सो उसे इन पद्धतियों का देवता माना गया ! उसने खरगोश के इलाज़ के बदले राजकुमारी याकामी को बतौर उपहार प्राप्त किया था ये बात स्वीकार्य नहीं लगती , क्योंकि कथा में आगे कहीं भी उस राजकुमारी का उल्लेख नहीं मिलता ! संभव है कि उसके अपने भाइयों से उसका झगड़ा किसी अभिजात्य युवती से उसकी निकटता को लेकर हुआ हो ! उसकी मां उसे देवी कामी-मुसाबी की सहायता से जीवनदान दिलाती है और वो अधिक सामर्थ्यवान होकर वापस लौटता है , जोकि भावी जीवन संघर्ष में उसके काम ही आया होगा !

पाताल लोक और उसके देवता की कल्पना , भारतीय मिथकों से साम्यता की अनुभूति कराती है ! हालाँकि  भारतीय मिथक , पाताल लोक को दानवों और नागों के अधिवास के लिए संरक्षित मान कर चलते हैं , जबकि जापानी कथा , वहां दानवों के बरक्स देवता की उपस्थिति की बात करती है ! एक विवाह योग्य कन्या के पिता की तरह से देवता सुसानू , कथा के नायक का स्वागत अनिच्छा पूर्वक करता है ! फिर आगे का घटनाक्रम कम-ओ-बेश वही धरती लोक के आम परिवारों जैसा कि भावी स्वसुर अपनी पुत्री के प्रेमी के प्रणय पथ को यथा संभव बाधित करने का यत्न करता है !

उसे अपनी पुत्री द्वारा स्वयं की इच्छा से चयनित वर स्वीकार्य नहीं है , भले ही वो वर चिकित्सा की पद्धतियों का देवता ही क्यों ना हो , अतः जामाता बतौर ओ कुनी नुशी की अस्वीकार्यता की अवधि में , वह सारे प्रपंच रचता है , जो कथा के नायक को रणछोड़ बना दें ! कोई आश्चर्य नहीं कि सुसेरी हिमे , संकट के हर क्षण में अपने प्रियतम के साथ खड़ी दिखाई देती है ! उसका जादुई आंचल / दुपट्टा विषरोधी है ! इस कथा को बांचते हुए अनायास ही भारतीय परिदृश्य वाली दनु कुलीन होलिका की याद आ जाती है , जोकि ज्वलनशीलता के विरुद्ध एक जादुई आंचल / प्रतिरोध का सामर्थ्य रखती है / उपहार / वरदान प्राप्त है !

इस कथा में, एक चूहा घास के मैदान की आग से नायक को भूमिगत सुरक्षा देता है !  यह संयोग / यह सांकेतिक प्रतीक महाभारत के लाक्षागृह कांड में नायकों की प्राण रक्षा के यत्न से गज़ब का साम्य  रखता है ! बहुत संभव है कि जापान और भारत के एशियाई देश होने के कारण ऐसा साम्य / ऐसा संयोग हुआ हो या फिर बुद्ध धर्म के प्रसरण के समय किसी अन्य कारण वश !  बहरहाल कथा का नायक , नायिका के साथ सह पलायन करने और अपने स्वसुर की पहुंच से दूर जाने से पहले उसके अस्त्र शस्त्र चोरी करके उसे निहत्था कर जाता है ! शेष कथा , प्रेम विवाह के स्वीकरण में एक हताश / निराश / पराजित तथा निष्फल कर्म स्वसुर के संकेत छोड़ जाती है !

15 टिप्‍पणियां:

  1. हर देश में सामंतवाद!

    ससुर के माद में जाकर उड़ा लिया!

    दम और माद का
    दामाद से
    गहरा नाता लगता है।

    ससुरा
    हार गया तब
    बाप बनता है।

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    1. माद में ठिठके स्वसुर और उससे भी दमदार को दामाद सुझाती सुंदर काव्यात्मक प्रतिक्रिया हेतु आपका आभार ... और हैरत की बात ये कि स्वसुर पीड़ित जामाता , उसके जामाता की बारी आने पर निज अनुभव भूलकर स्वयं खांटी स्वसुर बन बैठता है :)

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  2. Badee hee ajeebo gareeb katha hai,lekin jatlati hai ki eershya aur pratishodh kee bhavna duniyame jahan jao hotee hee hai...

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    1. जी बिल्कुल , ईर्ष्या और प्रतिशोध मानवीय स्वाभाव का हिस्सा है चाहे वो दुनिया में कहीं भी रहे !

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  3. कब कर रहे हैं इस श्रृखला का समापन ?

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  4. @ उसे अपनी पुत्री द्वारा स्वयं की इच्छा से चयनित वर स्वीकार्य नहीं है , भले ही वो वर चिकित्सा की पद्धतियों का देवता ही क्यों ना हो ,
    भारत में भी ऐसी ही एक कथा प्रचलित है शिव सती और उनके पिता प्रजापति , जो भगवान होने के बाद भी शिव को अपने दामाद के रूप में स्वीकार नहीं करते है ।
    १- दुनिया में हर जगह पिता को अपने पुत्री द्वारा चयनित वर स्वीकार नहीं होता है ।
    २- भले ही वो देवता ही क्यों न हो , और पिता द्वारा खोजे गए वर से लाख गुना अच्छा हो ।
    ३- खरगोश के इलाज के बदले राजकुमारी मिलना ( यदि इसे सही माना जाये तो ) स्त्री के वस्तु समझने की सोच दिखाता है , बिलकुल वैसे ही जैसे माँ के कहने पर द्रौपती का पांच भाइयो में बटना हो या जुए में हारा जाना या जितने पर उसे दरबार में अपमानित करने का प्रयास ।
    ४- स्त्री प्रेम और प्रेमी के लिए मर्यादाओ को तोड़ने और उसे बचाने के लिए हर हद तक तैयार रहती है । सती ने भी पिता को नाराज किया था ।
    ५- दुनिया में भाई के साथ जलन गद्दी की लड़ाई और उनकी ह्त्या तक कर देना आम है ।
    ६- माँ हर जगह माँ ही रहती है मरने वाले बेटे को बचाती भी है और मारने वाले को सजा भी नहीं देती है , उसके लिए संतान संतान ही होती है बुरी या भली नहीं ।
    हजारो सालो से आज तक दुनिया के हर कोने में ये सब ऐसे के ऐसे ही रहेंगे ,
    वैसे ये सब कब तक ऐसे के ऐसे ही रहेंगे , बदलाव को कोई संभावना मुझे नहीं दिखती है ।
    टिप्पणी देवता स्पैम में मत जाइएगा :)

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    1. @ शिव सती प्रकरण एवं बिंदु क्रमांक १,२,४,५,६ - पूर्ण सहमति !

      @ बिंदु क्रमांक ३ , मैंने पहले ही इसे शंकास्पद माना है , बावजूद इसके मैं आपके इस कथन से सहमत हूं कि इस संसार में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो स्त्री को वस्तु समझते हैं ! कहना कठिन है कि इस तर्ज़ की सोच को बदलने में कितना वक़्त लगेगा ! ...पर मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि एक दिन ऐसा ज़रूर होगा !

      @ स्पैम , इन दिनों हालात ये है कि टिप्पणी के लिए मेरी अपनी प्रतिक्रिया भी भी स्पैम में पहुंच जाती है :)

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    2. मुझे लगा ऐसा बस मेरे ही साथ हो रहा है कि मेरे ब्लॉग पर मेरी ही टिप्पणी गायब हो जा रही है |

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    3. नहीं खुद मेरी टिप्पणी भी स्पैम हो रही हैं :)

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  5. लोग भी न जाने कैसी कैसी हैरी पॉटर सरीखी कथाएं लिख जाते थे

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    1. शुक्रिया काजल भाई , वो समय अलाव के इर्द गिर्द कथाओं का ही रहा होगा और जिसका इमेजिनेशन जितना तगड़ा हो :)

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  6. .
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    'प्रत्येक सफल पुरूष के पीछे उसको प्रेम करने वाली स्त्री/स्त्रियाँ होती हैं'... यह बात कल भी सही थी, आज भी है और कल भी सही ही रहेगी...


    ...

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    1. ऐसा बस कहा भर जाता है , कितने लोग इसे सच में स्वीकार करते है और स्त्रियों को खुल कर क्रेडिट देते है :)
      हा कई बार माँ का नाम लिया तो जाता है , किन्तु ये जानते हुए की सफलता का श्रेय तो उसे ही मिलेगा दुनिया को पता है की माँ प्यार और बढ़ावे ही देती है, क्रेडिट दे कर भी नहीं दिया जाता :(

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    2. अपवाद को छोड़कर आपसे पूरी सहमति !

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