शनिवार, 14 जुलाई 2012

प्रियतमा के लिये...!

स्वीडन की यह लोक कथा, मूलतः डेनिश प्रेमी जोड़े को लेकर कही गई है ! कथा का नायक आरिल्ड एक कुलीन डेनिश परिवार का युवा है , वो डेनिश नौसेना में कार्यरत है और अपने बचपन की मित्र थाले से प्रेम करता है ! दोनों पड़ोसी देशों के मध्य शांति के दिनों में वो, स्वीडन के राजा एरिक के राज्याभिषेक में एक मेहमान बतौर सम्मिलित भी हुआ था ! कालांतर में, किसी कारणवश, स्वीडन और डेनमार्क में युद्ध हो जाने के बाद, वो युद्धबंदी के तौर पर स्वीडन की कैद में था, तो उसकी प्रेमिका थाले ने उसे पत्र लिख कर सूचित किया कि, उसके पिता ने, उसके विरोध के बावजूद, उसका विवाह, किसी अन्य व्यक्ति से तय करते हुए, विवाह की तिथि भी पक्की कर दी है, क्योंकि उनका मानना है कि, आरिल्ड अब कभी भी अपने वतन वापस नहीं आ पायेगा ! कैदखाने में अपनी प्रेमिका का पत्र पाकर आरिल्ड भावुक हो जाता है और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं ! जेल की कोठरी की धुंधली रौशनी में पत्र को ढीले हाथों से थामे हुए, वो युद्ध की क्रूरता और उसका भयावह परिणाम देख रहा था ! 

उसने अपनी प्रेमिका से ब्याह का वचन दिया था, जो उसकी आजादी के बिना संभव ही नहीं था ! लड़खड़ाते हुए क़दमों से वो उठा और उसने स्वीडन के राजा एरिक को पत्र लिखा, महामहिम , आपको स्मरण होगा कि मैं आपके राज्याभिषेक के समय , आपका सम्मानित मेहमान था और आज आपका बंदी हूं ! राज्याभिषेक के दिन आपने मुझे अपना मित्र माना था, सो मैं आपसे विनती करता हूं कि आप मुझे मेरी प्रियतमा से ब्याह करने के लिए मुक्त करने की कृपा करें ! मैं आपको वचन देता हूं कि मैं, अपनी रोपणी की पहली फसल कटते ही आपकी कैद में वापस आ जाऊंगा ! राजा एरिक ने युवक के वचन पर विश्वास करते हुए उसे एक फसल की समयावधि के लिए , मुक्त करने के आदेश दे दिये ! डेनमार्क पहुंचने पर थाले से उसकी आनंदमयी मुलाकात हुई , किन्तु थाले के पिता उसकी स्वतंत्रता की एक फसली वचनबद्धता वाली योजना से खुश नहीं थे, हालांकि विरोध के बावजूद उन्होंने प्रेमी युगल का ब्याह हो जाने दिया !

आरिल्ड को पता था कि, पहली फसल कटते ही, उसे राजा एरिक की कैद में वापस जाना होगा, अतः उसने सोच विचार कर, एक विशाल भूक्षेत्र में बीजारोपण कर दिया !   बसंत के मौसम के कुछ माह बाद ही,  राजा एरिक के दूत ने आकर, आरिल्ड से कहा, फसल कटाई का मौसम बीत चुका है और हमारे राजा आपकी वापसी का इंतज़ार कर रहे हैं !  इस पर आरिल्ड ने कहा, मेरी फसल अभी कैसे कटेगी ? वो तो अभी तक अंकुरित भी नहीं हुई है ! यह सुनकर दूत ने आश्चर्य से पूछा, अंकुरित भी नहीं हुई ? ऐसा क्या रोपा है आपने ? ...आरिल्ड ने कहा पाइन के पौधे !  अपने दूत से यह किस्सा सुनकर, राजा एरिक ने हंसते हुए कहा, कि वो एक योग्य व्यक्ति है, उसे कैद में नहीं रखा जाना चाहिये !  इस तरह से आरिल्ड और थाले हमेशा एक साथ बने रहे !  कहते हैं कि पाइन का एक शानदार जंगल उनके प्रेम की विरासत बतौर आज भी जीवित है ! 

कहना ये है कि आख्यान मूलतः डेनमार्क के प्रेमी युगल का है, किन्तु शांति काल के मित्रवत व्यवहार और युद्ध काल के शत्रुवत व्यवहार ने इसे दो देशों की कथा में बदल दिया है ! नायक अपने बचपन की सखि से ब्याह के लिए वचनबद्ध है तथा वह उससे ब्याह करने देने की छूट की एवज में शत्रु देश के राजा की कैद में वापस जाने के लिए भी अपना वचन दे बैठता है, उसका भावी श्वसुर उसकी वचनबद्धता के प्रति आशंकित है, इसीलिये वह अपनी पुत्री का भविष्य एक कैदी के हाथों में सौंपने का इच्छुक नहीं है ! ये बात गौरतलब है कि अनिच्छुक होकर भी वह अपनी पुत्री के निर्णय का मान रखता है और प्रेमी युगल को ब्याह करने देता है !  जब तक कथा का नायक एक स्वतंत्र देश के कुलीन परिवार का युवा है और अपने देश की नौसेना में कार्यरत है तब तक उसके प्रेम पर ग्रहण नहीं लगता, किन्तु जब उसका देश युद्ध में पराजित होता है और वह स्वयं विजेता देश में युद्धबंदी हो जाता है, तब इस प्रणय गाथा का भविष्य धुंधला दिखाई देने लगता है , इसका कारण निश्चय ही ब्याह योग्य कन्या के पिता की चिंता को माना जाये !

आख्यान की नायिका पत्र लिख कर अपने प्रेमी को बदलती हुई परिस्थितियों के प्रति आगाह करती है, क्योंकि वो अपने प्रेम को सलामत बनाये रखना चाहती है, वह नायक के पक्ष में अपने पिता से तर्क भी करती है किन्तु उसका पिता एक युद्धबंदी के लिए उसका भविष्य दांव पर नहीं लगाना चाहता ! अपने प्रेम के प्रति, नायिका की प्रतिबद्धता और उससे ब्याह करने के अपने वचन की राह में बाधक बनकर खड़े कैदखाने, की विवशता युवक को भावुक कर देती है ! वह अपने शिथिल हाथों में प्रेमिका का पत्र लिये रोता है , उसकी कोठरी का धूमिल रौशन माहौल , वास्तव में उसके अपने धूमिल रौशन मनोभाव हैं ! यहां वह अपनी प्रेयसी से विरह का सारा दोष युद्ध की विभीषिका पर मढ़ता दिखाई देता है ! उसे प्रेम और संबंधों की सहजता पर संघर्ष के कुठाराघात का मर्म समझ में आने लगता है ! प्रेमिका के अन्यत्र ब्याहे जाने की सूचना से विचलित और हतोत्साहित वह युवक अपना आपा नहीं खोता / अपना संयम बनाये रखता है ! क्योंकि उसे अपनी प्रेमिका से ब्याह का वचन पूरा करना है !

वह स्वयं अपने देश के कुलीन परिवार से सम्बंधित होने के कारण, शांति के दिनों में स्वीडन के राजा का मेहमान था ! राजा एरिक के राज्याभिषेक के समय के इस एकमात्र अवसर का इस्तेमाल वह अपनी प्रेमिका और अपनी स्वतंत्रता हासिल करने के लिए बड़ी चतुराईपूर्ण ढंग से करता है ! वह राजा को स्मरण कराता है कि उत्सव के दिन वह राजा का सम्मानित मित्र था अतः उस पर विश्वास किया जाना चाहिये, वह राजा को लिखित रूप से आश्वस्त करता है कि, अपनी प्रेमिका से ब्याह होने के बाद अपनी ‘रोपणी की पहली फसल के कटते’ ही वो स्वयं कैदखाने में वापस आ जाएगा ! अपने पूर्व मेहमान / मित्र के वचन पर अविश्वास का कोई कारण भी नहीं था, अतः राजा एरिक उसे ब्याह के लिए मुक्त कर देते है ! राजा एरिक के लिए नायक की मुक्ति की समय सीमा एक फसल की कटाई तक सीमित है, अतः वो कुछ माह बाद ही नायक को उसका वचन याद दिलाने के लिए अपना दूत भेज देते हैं ! यह नायक की विलक्षण बुद्धि चातुर्य की मिसाल है कि वह स्वीडन के राजा को ऐसा वचन देता है, जिसे पूरा करने से पहले ही उसकी पूरी आयु खप जाना थी !

अपने दूत से यात्रा का विवरण जानकर राजा एरिक, नायक की बौद्धिकता को सम्मान देकर उसे स्वतंत्र रहने योग्य युवा मान लेते हैं, वो समझ जाते हैं कि, नायक ने उन्हें झूठा वचन नहीं दिया था, नायक को राजा की कैद में वापस ज़रूर जाना था, यदि नायक अपनी रोपणी की पहली फसल कटने तक जीवित बना रहता तो ! अपनी प्रेमिका से ब्याह के वचन को पूरा करने के साथ ही उसने अपने जीते जी राजा एरिक को दिये गये अपने वचन की कोई अवमानना नहीं की, क्योंकि उसके जीते जी उसकी रोपणी में कोई फसल आई ही नहीं, उसने अपने वचन के प्रतीक के रूप में पाइन का एक विशाल जंगल रोपा जो उसकी मृत्यु के बाद उसके प्रणय की विरासत के तौर पर याद रखा गया ! इस आख्यान से संकेत मिलता है कि, पुरुषों के अचंभित कर देने वाले कारनामों और उसकी गौरवमयी उपलब्धियों की पृष्ठभूमि में स्त्रियों के प्रेम / प्रेरणा और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता !

32 टिप्‍पणियां:

  1. एक सुखान्त प्रेम प्रसंग -एक खुशहाल देश की अपेक्षया नई कथा ...
    आप मीमांसा इतनी तफसील से करते हैं कि पाठक खुद के मानसिक
    अभ्यास का श्रम बच जाता है -इसलिए भी आप साधुवाद के पात्र हैं !

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    1. अरविन्द जी ,
      पिछली एक पोस्ट पे तफसील तो क्या मुख़्तसर सी मीमांसा भी नहीं करके देखा था! वहां पर चर्चा मुद्दे से भटक गई थी! कुछ ही लोग ऐसे थे, जिन्होंने कथा के कुछ अंशों को छुआ! मुझे उस कथा के अनछुए रह जाने का दुःख आज भी है !

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    2. आपकी हर कथा गौड़ ही हो जाती है मीमांसा के आगे...

      वैसे यह आपके ही दमखम की बात है जो छोटी-सी कथा में बड़ी और विशद-मीमांसा कर देते हैं आप.इससे हम जैसों के लिए आसानी तो होती ही है,पर बचता क्या है ?

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    3. संतोष जी ,
      कथा में जिस बात की संभावना ही निहित ना हो तो मैं उसे कैसे कह पाऊंगा ? आशय यह कि कथा के दम पे ही अपना भी दमखम है !

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  2. इस कथा को पढ़कर यह संतोष ज़रूर हुआ कि बिना कोई नियम तोड़े एक प्रेमी अपने प्रेम को पा सका.
    राजा की भी प्रशंसा की जानी चाहिए जिसने प्रेमी की चालाकी को सकारात्मक द्रष्टि से देखा.दूसरा बादशाह उसकी इसी बुद्दिमत्ता और चालाकी को हथकंडा मानकर दंड दे सकता था.

    यहाँ प्रेमी की कार्य-योजना को सबसे ज़्यादा अहमियत दी जानी चाहिए.उसकी विश्वसनीयता और बुद्धिमत्ता ने उसे अंतिम-विजयी बनाया .
    ..यह भी स्पष्ट हुआ कि प्रेम केवल भरोसे और आत्मबल से ही पाया जा सकता है.

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  3. अब इसे मान लेना ही ठीक रहेगा कि पाइन का विशाल जंगल प्रेमी की चतुराई का परिणाम है क्योंकि कथा ऐसा ही कहती है और दूसरा कारण अपने को नहीं पता। वैसे कई बार ऐसा भी देखा गया है कि गौरवमयी उपलब्धियों की पृष्ठ भूमि में कपोल कल्पित कथायें भी गढ़ी जाती हैं। बाकी आपकी व्याख्या जोरदार है।

    कथा से यह संदेश भी मिलता है कि प्रेम करने से पहले अपने साथी के बुद्धि की भरपूर परीक्षा कर लेनी चाहिए। बुद्धि ही प्रेमियों को कठिन समय में बचाती है। धन और समाज का तो वे पहले ही त्याग कर चुके होते हैं।

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  4. पर ये दोनों प्रेमी धन और समाज का परित्याग कर चुके वाले नहीं थे :)

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    1. धन और समाज तो मैने आज के संदर्भ में जोड़ दिया है। मुख्य बात तो बुद्धि की है। धन, समाज होते हुए भी बुद्धि की आवश्यकता तो पड़ती ही है।

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    2. आपसे असहमति कहां जताई है हमने, बस याद दिलाया है कि ये प्रेमी जोड़ा घर से भागा नहीं था :)

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  5. चमत्कारिक पोस्ट है ...
    अच्छी और सुखद कहानी ! आभार आपका !

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  6. अली जी
    नायक ने क्या राजा के साथ छल नहीं किया ? जैसे अश्वथामा मारा गया में हुआ . या जैसे सूरज को दुबारा रोशन किया अर्जुन के सारथी ने

    ये कथा और भी कई सन्देश देती हैं
    बिन छल कुछ संभव नहीं हैं
    राजा ये जान गया था की अगर क़ोई उस से छल कर सकता हैं तो किसी कारगर में रख दो बाहर आ ही जायेगा
    राजा को अपनी कम अकली का भी एहसास हुआ और उसने सोचा इगोंर कर दो बेकार बाय बवेला मचाने से क्या फायदा कल को ना जाने कहाँ बगावत हो जाए अपनी ही कम अकली से
    और सबसे बड़ी बात कथा कहती हैं पुरुष प्रेम अगर करता हैं तो छल करना खुद बा खुद सीख जाता हैं और स्त्री इस बात को जानती हैं इस लिये पुरुष के छल को सादर सविनय स्वीकार कर के "स्मार्ट " कह देती हैं आफ्टर ऑल पति हैं ना

    महाभारत छल प्रपंच से भरी हैं लेकिन जब सीरियल बना तो गाया गया था
    कथा हैं विश्वास की पुरुषार्थ की !!!!

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  7. रचना जी ,
    आपका ये कहना सही है कि कथा के नायक द्वारा शत्रु पक्ष के राजा के साथ छल किया गया है! युद्ध नीति में इसका औचित्य है या नहीं ये कह नहीं सकते पर राजा को अपनी बौद्धिकता पर तरस ज़रूर आया होगा! राजा ने नायक को जेल से बाहर रहने योग्य बता कर अपनी फेस सेविंग ही की है! चूंकि इसे स्वीडन भी अपने देश का आख्यान मानता है सो लगता यही है कि छल के आयाम (अर्थ/संकेत) को तूल ना देकर जनता ने बौद्धिकता पक्ष को महत्वपूर्ण माना है ! बाकी आपकी बात में दम तो है ही !

    प्रेमी नायक ने प्रेमिका के लिए यह प्रपंच किया है तो उसे स्वीकार अथवा अस्वीकार करना प्रेमिका का अपना विवेक है!

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  8. क्या आप से ये आग्रह कर सकती हूँ की जब भी कहीं से क़ोई मूल सूत्र उपलब्ध हो उसका जिक्र लिंक के माध्यम से पोस्ट में हो . या अगर पुस्तक का नाम हो तो भी मेरे लिये अतिसुविधाजनक होगा . आप को लिंक जोड़ना गलत लगता हो या गैर जरुरी तो मुझे जैसे पाठको की फरमाइश पर क्या आप मेल पर लिंक उपलब्ध करा सकेगे

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  9. जी ज़रूर ! चूंकि आगे चलकर कुछ अच्छी टिप्पणियों को जोड़ कर पोस्ट को रिराईट करने का इरादा है ! इसलिये लिंक तभी जोड़ने का सोचा हुआ है, बहरहाल आपको मेल से उपलब्ध कराने का विकल्प बेहतर लग रहा है !

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  10. सहमत. लगता है कारूं का खजाना हाथ लगा है.

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    1. जो भी है आपसे शेयर करने में दिक्कत नहीं होगी :)

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  11. Aaki mada chahiye thee....mere blogs parkee taqreeban 25 tippaniyan spam chali gayee hain....aapkee bhee! Maine post karne kee koshish kee to 12 comments delete ho gaye.Jabse blogger ne apna format badla hai,ye samasya khadi hui hai! Kya karna chahiye? Gar kuchh blogs unfollow karne hon to bhee 'manage' button kaheen nahi nazar aa raha!

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  12. सभी का अपना नजरिया होता है, किसी अच्छे काम के लिए बिना किसी को नुकशान किये किया गया छल या चालाकी जो भी कहा जाये को मै बुरा नहीं मानती हूं गाँधी जी के मंजिल के साथ ही साधनों की पवित्रता वाली बात पर मेरा ज्यादा विश्वास नहीं है सो प्रेमी ने जो किया ठीक किया इसे बुद्धिमानी ,चालाकी के श्रेणी में रखा जा सकता है और राजा के पास कोई विकल्प नहीं था | अच्छा किया की कहानी बताने का आप का तात्पर्य क्या था बता दिया वरना कई बार पाठक ये समझ ही नहीं पाते है की ये कहानी कहने का मतलब क्या है लेखक कहना क्या चाहता है | एक पोस्ट पर जब मैंने एक बड़ी ही अजीब कहानी का तात्पर्य जानना चाह ( मेरे बाद बाकि पाठको ने भी पूछा ) तो उन्होंने जवाब नहीं दिया एक पाठक के तौर पर ऐसी पोस्टो का कोई मतलब नहीं होता है जब अंत में पता ही नहीं चले की लेखक कहना क्या चाह रहा है |
    @ इस आख्यान से संकेत मिलता है कि, पुरुषों के अचंभित कर देने वाले कारनामों और उसकी गौरवमयी उपलब्धियों की पृष्ठभूमि में स्त्रियों के प्रेम / प्रेरणा और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता !
    इस ब्लॉग जगत की रित समझ से परे है जो लोग इन बातो से सहमती नहीं रखते इसके विपरीत विचार रखते है वो भी सहमती जाता कर चले जाते है |

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    1. नि:संदेह पुरुष की ज्यादातर उपलब्धियों का आधार / की प्रेरणा स्रोत स्त्रियां ही होती हैं ! ज्यादातर इसलिए कहा क्योंकि कुछेक मामलों में बच्चे और अभिभावक भी प्रेरक हो सकते हैं ! पर ज्यादातर स्त्रियां, सही है !

      जो लोग सत्य को स्वीकार नहीं करते उनके लिए शुतुरमुर्ग वाली कहावत तो है ही :)

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  13. सोचा था,अपनी पोस्ट लिखने के बाद...दूसरी पोस्ट्स पढूंगी....पर अपनी पोस्ट पर ही विमर्श में इतना उलझ गयी कि कई सारी पोस्ट्स पढ़ने में देर हो गयी.
    मुझे इस कहानी में नायक/नायिका दोनों ही बड़े सजग लगे..नायिका ने पिता द्वारा तय विवाह को अपनी नियति नहीं माना..और नायक को सूचित किया...नायक ने भी सिर्फ आँसू बहाने की जगह बुद्धिमता और साहस से राजा ला सामना किया ..और सुखमय जीवन बिताया...उद्दम करने वालों की कभी हार नहीं होती..और वे दूसरों का भी भला कर जाते हैं...जैसे डेनमार्क के लोगों को पाइन का एक शानदार जंगल मिल गया.

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    1. देर के लिए कोई दिक्कत नहीं ! कमेन्ट बढ़िया है ! यही अप्रोच अच्छी लगती है !

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  14. आरिल्ड प्रेम करने वाला एक बुद्धिमान नायक है , राजा एरिक बुद्धिमानो का प्रशंसक ! इसमें क्या शक है कि विश्व की महान उपलब्धियों के पीछे स्त्रियाँ ही प्रेरक रही हैं !
    रोचक कथा !

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    1. प्रेरणा पक्ष पर अपनी सहमति तो पहले से ही दर्ज है !

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