भोर सांझ का रंग एक सा दिखता है पेड़ों की ऊंची शाखों पर फिर खिले कँवल अपनी आँखों को मूँद वहीं सो जाते हैं कैसे ये वक्त गुज़रता है जब सब्ज़ खेत में ज़र्द सी सरसों फ़ैल दुपट्टे सी जाती है. कोहरे का तो रंग कोइ होता ही नहीं है लॉन की झाडी हो या फिर जंगल के शजरे इंसानों के घर तारीकी में देखो कैसे लगते हैं जैसे कोइ उल्लू आँखें खोलके पहरे पर बैठा हो! / अली सा! रंग और नूर की बरसात अच्छी लगी, नए साल की ये तस्वीरें भी अच्छी लगीं!! साल मुबारक!
@ स्मार्ट इंडियन साहब ,देवेन्द्र जी, राहुल सिंह जी ,सलिल जी ,संजय झा साहब ,क्षमा जी ,
कल सुबह कोहरा काफी था 'ठाने' दक्षिण भारत में कोहराम बरपा रहा था पर हमारे यहां उसका असर हल्की फुल्की बारिश जैसा नज़र आया ! कोहरे की वज़ह से दरख्तों के तेवर बदले हुए थे ! लिहाज़ा कुछ लम्हे अपने आंगन के , मोबाइल में ही समेट लिये , सोचा इन्हें आपसे शेयर करूं ! धुंध भरी सुबह और सोने वाले वक़्त की स्याही से पहले तपती धूप की हरियाली भी ! साल 2011-2012 के मिले जुले क्षण अपने ही घर से...
कुछ फूलों के,कुछ फलों के, कुछ खिले,कुछ अधखिले ! मगर...ये रंग हैं जीवन के जो अनायास मिले ! कोहरे का साया, बाहर ही दिखे तो बेहतर हमारी नज़रों को देता रहे सुकून ! अंदर हमारा मन न रहे, अधखिला न रहे कोहरे से ढका, ताकि हम औरों को खुश नज़र आयें, खुद में रंग खिलाएं !!
अली साब ,आपके ये अनकहे चित्र ,बहुत कुछ कहते हैं,पता नहीं मैं कितना पढ़ पाया,सुन पाया !
सुंदर चित्रों से सुसज्जित पोस्ट देख कर अच्छा लगा। रात होने के कारण मछलियों के चित्र न ले सका। जबकि उनसे वादा किया था पिछली बार मैंने, घोर नाईंसाफ़ी हो गयी।:)
Aapke blog ka naveen kalever dekh kar Mehdi Hasan Sahab ki ghazal ki kuch panktiya smriti ke dwar pr dastak de rhi hain; anumati ho to unhe apke paas bhej du:
Baharo ko chaman yaad aa gaya hai mujhe wo gulbadan yaad aa gaya hai
lachakti shaakh ne jb sir uthaya kisi ka bankpan yaad agaya hai
teri surat ko jb dekha hai maine mujhe wo km sukhan yaad aagaya hai.
Shukria
mohd naved ashrafi, aligarh www.fabulousfellow.blogspot.com
एक अनोखा नयापन लिए वह भी अपने ही घर से. नववर्ष की शुभकामनाएं (बासी नहीं हुआ है). चेन्नई से... वैसे कडलूर, पुदिस्सेरी में तो थाणे ने बहुत कहर बरपाया परन्तु चेन्नई में केवल थोड़ी वर्षा हुई.
वाह!
जवाब देंहटाएंशस्य श्यामलाम् मातरम् ...
नववर्ष की शुभकामनायें!
हमेशा सादगी की चादर ओढ़े रहने वाले इस ब्लॉग ने अपने कुछ रंग साझा किये...अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंजीवन के रंग कभी शब्दों के कभी चित्रों में.
जवाब देंहटाएंभोर सांझ का रंग एक सा दिखता है
जवाब देंहटाएंपेड़ों की ऊंची शाखों पर
फिर खिले कँवल
अपनी आँखों को मूँद वहीं सो जाते हैं
कैसे ये वक्त गुज़रता है
जब सब्ज़ खेत में ज़र्द सी सरसों
फ़ैल दुपट्टे सी जाती है.
कोहरे का तो रंग कोइ होता ही नहीं है
लॉन की झाडी हो
या फिर जंगल के शजरे
इंसानों के घर
तारीकी में देखो कैसे लगते हैं
जैसे कोइ उल्लू आँखें खोलके पहरे पर बैठा हो!
/
अली सा! रंग और नूर की बरसात अच्छी लगी, नए साल की ये तस्वीरें भी अच्छी लगीं!!
साल मुबारक!
yeh........sundar.... ati sundar...
जवाब देंहटाएंnav-varsh mangalmay ho....
pranam.
Badee khoobsoorat tasveeren hain ye!
जवाब देंहटाएं@ स्मार्ट इंडियन साहब ,देवेन्द्र जी, राहुल सिंह जी ,सलिल जी ,संजय झा साहब ,क्षमा जी ,
जवाब देंहटाएंकल सुबह कोहरा काफी था 'ठाने' दक्षिण भारत में कोहराम बरपा रहा था पर हमारे यहां उसका असर हल्की फुल्की बारिश जैसा नज़र आया ! कोहरे की वज़ह से दरख्तों के तेवर बदले हुए थे ! लिहाज़ा कुछ लम्हे अपने आंगन के , मोबाइल में ही समेट लिये , सोचा इन्हें आपसे शेयर करूं ! धुंध भरी सुबह और सोने वाले वक़्त की स्याही से पहले तपती धूप की हरियाली भी ! साल 2011-2012 के मिले जुले क्षण अपने ही घर से...
कुछ फूलों के,कुछ फलों के,
जवाब देंहटाएंकुछ खिले,कुछ अधखिले !
मगर...ये रंग हैं जीवन के
जो अनायास मिले !
कोहरे का साया,
बाहर ही दिखे तो बेहतर
हमारी नज़रों को देता रहे सुकून !
अंदर
हमारा मन
न रहे,
अधखिला
न रहे कोहरे से ढका,
ताकि
हम
औरों को खुश नज़र आयें,
खुद में रंग खिलाएं !!
अली साब ,आपके ये अनकहे चित्र ,बहुत कुछ कहते हैं,पता नहीं मैं कितना पढ़ पाया,सुन पाया !
बहुत प्यारी छटा , प्रकृति की ....
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हम बयांबा में है और घर में बहार आई है।:)
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रों से सुसज्जित पोस्ट देख कर अच्छा लगा। रात होने के कारण मछलियों के चित्र न ले सका। जबकि उनसे वादा किया था पिछली बार मैंने, घोर नाईंसाफ़ी हो गयी।:)
वाह ! हरियाली भी और धुंध भी ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्र हैं ।
अगली बार लार्ज साइज़ में लगाइयेगा , और भी आनंद आएगा ।
नव वर्ष मंगलमय हो । शुभकामनायें अली सा ।
ख़ूबसूरत तस्वीरें...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
नए वर्ष में निसर्ग का चुम्बकीय आमंत्रण !
जवाब देंहटाएंसम्वेदना के स्वर मुखर है! संतोष हैं।
जवाब देंहटाएंवाह! रंग का यह असर है! संतोष है।
@ संतोष जी ,सतीश भाई ,ब्ला.ललित जी,डाक्टर दराल साहब ,रश्मि जी, अरविन्द जी ,देवेन्द्र जी ,
जवाब देंहटाएंप्रतिक्रियाओं के लिए ह्रदय से आभार !
एक से ही दिखते हैं सुबह- शाम ...
जवाब देंहटाएंदिखने और होने में अंतर होता है!
bahut sundar :)
जवाब देंहटाएंWelcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली
ख़ूबसूरत तस्वीरें...आप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएं@ वाणी जी,मोनिका जैन साहिबा,अमरेन्द्र अमर जी,
जवाब देंहटाएंआगमन के लिए शुक्रिया ! आपको नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनायें !
खूबसूरत तस्वीरें ... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आप्क स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंAapke blog ka naveen kalever dekh kar Mehdi Hasan Sahab ki ghazal ki kuch panktiya smriti ke dwar pr dastak de rhi hain; anumati ho to unhe apke paas bhej du:
जवाब देंहटाएंBaharo ko chaman yaad aa gaya hai
mujhe wo gulbadan yaad aa gaya hai
lachakti shaakh ne jb sir uthaya
kisi ka bankpan yaad agaya hai
teri surat ko jb dekha hai maine
mujhe wo km sukhan yaad aagaya hai.
Shukria
mohd naved ashrafi, aligarh
www.fabulousfellow.blogspot.com
वाह बसंत :-)
जवाब देंहटाएंएक अनोखा नयापन लिए वह भी अपने ही घर से. नववर्ष की शुभकामनाएं (बासी नहीं हुआ है). चेन्नई से... वैसे कडलूर, पुदिस्सेरी में तो थाणे ने बहुत कहर बरपाया परन्तु चेन्नई में केवल थोड़ी वर्षा हुई.
जवाब देंहटाएंअली साहब,
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा मेरे गीत पर १०००० वाँ कमेन्ट देने के लिए आभार !
lillaha Ali ji! jawab nahi....
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