कई बार अनुभवों को दर्ज करने के लिए किसी डायरी और रौशनाई की ज़रूरत नहीं हुआ करती ! कुछ घटनायें घटते हुए अक्सर,दिल-ओ-दिमाग पर अपने नक्श छोड़ जाती हैं और फिर इंसान को उनके बारे में नतीजे खुद बखुद निकालना होते हैं !मिसाल के तौर पर टी.वी. सीरियल्स और फिल्मों से अपनी कोई खास रंजिश भी नहीं पर उन्हें चाहे अनचाहे क्षणों में देखने का अवसर आने पर अक्सर ये ख्याल आता है कि ...वाह वो लड़का क्या गज़ब का अभिनय करता है !...उफ वो लड़की बला की खूबसूरत...लिल्लाह उसकी तो जैसे आँखें बोलती हैं ! तौबा क्या गजब का डांस करते हैं ये दोनों ! ओह इनके गले कितने सुरीले हैं और...और...मैं...अभिनय शून्य , साधारण शक्ल -ओ- सूरत का चश्मिश बन्दा ! डांस तो दूर चार कदम चल भी लूं तो सांस फूल जाये !...फिर गाना...बच्चे भी हँसते हैं ! यूं जानिये कि एक हीन भाव सा जागता है , कहां ये चमकती दमकती प्रतिभायें और कहां मैं ?
अभी हाल ही में यूसुफ़ पठान ने शतक मारा पर...अपने हिस्से में दुःख आया ! उधर तेंदुलकर ने शतकों का रिकार्ड बनाया तो खुद के लिए बेहद अफ़सोस हुआ ! मुद्दत हुई जो कुआलालम्पुर में हॉकी का विश्वकप जीतते हुए अजीत पाल सिंह और असलम शेर खान भी अपनी जलन का शिकार हुए ! पंडित रविशंकर का सितार , बिस्मिल्लाह खान साहब की शहनाई , पंडित जसराज और जोशी जी का कंठ... जगजीत सिंह साहब की गज़लें , इसका तबला , उसकी सरोद , इसका ये , उसका वो...वगैरह वगैरह...कभी अपने को सुकून ना दे सका ! हमेशा एक ही ख्याल कि , कहां ये पुरनूर सितारे और कहां मैं ?
अनुभूति ये कि जिंदगी के हर हिस्से में किसी ना किसी विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए खुशी के साथ रंज का गोया चोली दामन का साथ हो गया हो ! खुद की कमतरी का अहसास शिद्दत से जागता ! शिकवा कभी परिजनों से और कभी ईश्वर से भी , कि जो नियामतें उन्होंने दूसरों को बख्शीं वो हमें ना दीं ! सच तो ये है कि अपना 'आत्म' द्वैध में जीता हुआ कभी किसी इंसान की क्षमताओं का स्तुति गान करता तो ऐन उसी वक़्त खुद पे लानत मलामत भी ! कला...संस्कृति...शिक्षा...खेलकूद ही नहीं अपने को तो अम्बानी की दौलत भी रास नहीं आई ! यहां एक बात जो साफ़ तौर पर कहना ज़रुरी है कि दुनिया में हर सू दमकते सितारों के सामने अपनी सारी हीन भावना के बावजूद खुद की जात-ओ- औकात पे सुकून की एक बड़ी वज़ह भी है कि अपने 'आत्म' को कभी भी लालू / राजा जैसों से जलन ना हुई ! कहां मैं और कहां ये कम...? ...
खैर संस्मरणात्मक इस वृत्तांत में एक मोड ये आया कि खेल , अभिनय और संस्कृतिकर्म के कुछ ऐसे रौशन सितारे , जिनके हुनर का मैं मुरीद रहा हूं और जिनसे कि मुझे अक्सर ईर्ष्या होती आई है , एक दिन अमिताभ बच्चन के प्रोग्राम कौन बनेगा करोड़पति के स्केल पर फिसड्डी साबित हो रहे थे और मैं मन ही मन उन्हें जस्टीफाई करने की कोशिश कर रहा था कि , क्या फर्क पड़ता है , अगर सामान्य ज्ञान उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र नहीं है ! तथ्य ये कि अगर हर सितारा 'अपने फन' का माहिर हो तो फिर उसे 'हर फन' का सितारा होने की ज़रूरत भी कहां है ? बस यही एक लम्हा मुझे अपनी प्रतिभागत निर्धनता के ख्याल से उबार गया अब अपने लिए मेरा ख्याल ये है कि मुमकिन है ! मैं एक बेहतर पति , एक अच्छा पिता , एक अच्छा दोस्त या शायद फिर एक शानदार / जिम्मेदार नागरिक होऊं ! मद्धम ही सही मेरी अपनी रौशनी और अपने हिस्से का आकाश भी ज़रूर होगा !
एकदम सही.
जवाब देंहटाएंगिलास आधा भरा देखना ही बेहतर है :)
इसे पढ़कर मिर्जा गालिब का एक शेर याद आ रहा है....
जवाब देंहटाएंकहते हैं दुनियाँ में सुखनबर बहुत अच्छे
मगर गालिब का अंदाज-ए-बयां कुछ और
"चाँद नहीं बन पाये तो क्या गम है,
जवाब देंहटाएंआसमां में सितारों की कीमत कहां कम है?"
वो शेर है ना....
जवाब देंहटाएंबेहतर है, फ़रिश्ते से इन्सां होना
मगर लगती है,उसमे मेहनत जियादा.
एक सम्पूर्ण इंसान बने रहना और अपने कर्तव्यों का सही रूप से पालन, कम प्रतिभा की मांग नहीं करता .
बेहतर पुत्र-पति-पिता-दोस्त और जिम्मेदार नागरिक के साथ ही एक शानदार प्रोफ़ेसर और अच्छे ब्लॉगर होने का संतोष भी होना चाहिए {अब इतनी भी modesty ठीक नहीं :)}
शर्लॉक होम्स का किरदार गढ़ते वक़्त कॉनन डॉयल ने बताया कि उसको यह ही पता नहीं था कि हमारे सोलर सिस्टेम में कौन किसके गिर्द गर्दिश करता है. और जब उसको हक़ीक़त पता चली तो उसने कहा कि कोशिश करूँगा कि जल्द अज़ जल्द इस बात को भूल जाऊँ..
जवाब देंहटाएंजिसे सोलर सिस्टेम का पता है वो माहिर है, लेकिन कहीं की मिट्टी देखकरयह बता देना कि यह कहाँ की मिट्टी है, ये फ़न तो होम्स को ही आता था.
अब कौन किसपर रश्क करे!!
एक अच्छा इंसान बना रहना भी कोई कम बड़ी उपलब्धि नहीं ...
जवाब देंहटाएंआसमान- से नजर आने वाले पास से देखने पर बौने नजर आते हैं कई बार !
अब मुझे हीन भावना ग्रसित कर गयी ..इत्ता अच्छा तो लिखते हैं आप!
जवाब देंहटाएंअब ऐसा भी तो नहीं है ...
........मुझे क्यों न हो शिकायत ..मेरे पास मेरे साकी अब तक न जाम आया !
@ काजल भाई ,
जवाब देंहटाएंसही है !
@ देवेन्द्र भाई ,
ख्याल तो यही है कि सभी अपने अपने फन के ग़ालिब हैं ! शुक्रिया !
@ मो सम कौन ? जी ,
मद्धम दर्जे के सितारों पे बसर हो रही है अभी तो :)
@ रश्मि जी ,
अब इतना भी हौसला मत बढाइये ! विनम्रता के भार से झुका जा रहा हूं :)
@ संवेदना के स्वर बंधुओ ,
ख्याल को बेहतर मिसाल से नवाज़ा है आपने ! शुक्रिया !
@ वाणी जी ,
क्या गज़ब की बात कह दी आपने !
@ अरविन्द जी ,
बाल बाल बचे आप ! आपका जिक्र इस पोस्ट में करने ही वाला था :)
वैसे जाम माने क्या ? :)
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जवाब देंहटाएं.
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अली सैयद साहब,
सच कहूँ तो आपकी पोस्ट पर तात्कालिक कमेंट नहीं कर पाता कभी भी... बार-बार पढ़ता हूँ, दिमाग में पूरा दिन सोचता रहता हूँ तभी कुछ कह पाता हूँ... यह आपकी लेखनी की ताकत ही है... मानव मन के अतिसूक्ष्म द्वंदों को भी आप बाहर उभार लाते हैं...
सबसे पहले तो आपको यही कहूँगा कि आहें मत भरिये हुजूर... आप वही बने हैं जो आप बनना चाहते थे दिल से... मुझे जरा भी शक नहीं कि खेल, अभिनय, नृत्य, गायन या अन्य क्षेत्रों के जिन सितारों के नाम लेकर आप यह आहें भरते हैं यदि आप वही बनना चाहते तो वह भी बन जाते...
रहा हाल अपना तो चौदह बरस की उमर तक तो अपन भी खूब दौड़े रेस में...पर हाईस्कूल का इम्तिहान देते देते अचानक एक बुद्धत्व सा प्राप्त हो गया मुझे... वह यह कि यह गेम-नेम-फेम तीनों ही अस्थाई हैं... बह तब से एक डेलिबरेट नॉनसीरियसनेस का स्थाई भाव है मन में कैरियर, पैसा, धर्म, रिश्तों, ब्लॉगरी आदि आदि... यहाँ तक कि खुद के प्रति भी... यह बात और है कि चमकता सितारा तो फिर भी मैं रहूँगा ही... जिंदगी को सीरियसली न लेने वालों के समूह का... :))
...
बाकी का तो अब तक पता नहीं, ब्लॉगर हम आपको अच्छा मानते हैं और यह पोस्ट कइयों की आहें होने काबिल है और आपके लिए हमारी वाह.
जवाब देंहटाएंजबर्दस्त्त शीर्षक खींच लाया ..और एक शानदार पोस्ट पढ़ने को मिली.
जवाब देंहटाएंक्या हुआ गर आसमान में सितारे हैं बहुत,
घर तो अपना रोशन हमने भी किया है...
पोस्ट के निहितार्थ खोज रहा हूँ, पर कमबख्त भटकन अंत तक पहुंचते पहुंचते अपनी गिरफ्त में ले ली लेती है।
जवाब देंहटाएं---------
ध्यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।
मेरी जिंदगी का तीसरा पैरा अंत कि ओर है और जिंदगी के इन तीनों हिस्सों में अभी तक मेरे विचार वही रहे हैं जो आपके लेख के पहले तीन भागों में हैं. आशा करता हूँ कि अपनी जिंदगी के चतुर्थ दशक में मुझे भी बुद्धत्व प्राप्त होगा. आपकी लेखन शैली हमेशा कि तरह लाजवाब है.
जवाब देंहटाएं@ प्रवीण शाह जी ,
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
हम भी आपको जिंदगी का बेहद रौशन सितारा मानते हैं !
@ राहुल सिंह जी ,
वाह के लिए आपका बहुत बहुत आभार पर...आहें सुनने के लिए तरस गया जी :)
@ शिखा जी ,
मेरे ख्याल से घर की रौशनी आसमान वाली से ज्यादा अहम है !
@ ज़ाकिर अली साहब ,
ज़रा ख्याल रखियेगा अब आपकी उम्र भटकन की नहीं है :)
@ विचार शून्य साहब ,
शुभकामना ये कि आपको चतुर्थ दशक से पहले ही बुद्धत्व प्राप्त हो जाए ! ये चिराग रौशन रहे !
अच्छी पोस्ट। अली साहब, आपके ब्लाग की तारीफ सुनी थी अज आया। पढकर लगा देर लगा दी मैंने यहां आने में। बहरहाल, अच्छे लेखन के लिए आपको बधाई। कभी आप भी आईए, फुर्सत में।
जवाब देंहटाएंकाबिले तारीफ... जाम लिए बैठे हैं...:)
जवाब देंहटाएंजनाब अली साहब आपकी पोस्ट पढ़्ते-पढ़्ते एक पुराना गीत ज़हन में आया.."रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ" यक़ीनन इंसान वही पेश कर पायेगा जितनी उसकी क्षमता है..इसलिये ही आपकी पोस्ट पर टिपियाने की हिमाक़त नहीं करता..किसी जनाब के वसीले से पता चला है कि आपको बुद्धत्व प्राप्त हो चुका है..अब बुद्ध के लिखे पर कुछ टिपिया दें हम इतने शुद्ध नहीं हैं..कहीं सुना था कि आह को चाहिये ईक उम्र असर होने तक..पर हमें तो अभी से असर होने लगा इस बेहतरीन पोस्ट को पढ़ कर...आईनें में दोबारा शक्ल देख लेता हुँ..कहीं वाकई उम्र तो ज़्यादा नहीं हो गयी है मेरी...आपके लिये इस टिप्पणी का आख़िरी लफ़्ज़ है"लाजवाब"
जवाब देंहटाएं@ अतुल श्रीवास्तव साहब ,
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है !
@ ललित भाई ,
उम्मीद कर रहा हूं किसी आयोजन की :)
@ सैयद शोएब अली साहब ,
मतलब ये कि आपकी आमद के लिए किसी और वसीले को शुक्रिया कहना पडेगा :)
बहरहाल आपका बहुत शुक्रिया !
aakhri lines me punch mar hi diya!
जवाब देंहटाएंkhoobsurat lekhan, maha aaya padhkar!
hello ali sb, you made space,create space for people like wise.stars come together,and share silence.my desent signature at the corner of handkar--.
जवाब देंहटाएं@ जिम्मेदार नागरिक होऊं !
जवाब देंहटाएं"हैं" ही सही है यहाँ पर! बधाई!
हम जहाँ हैं, वहाँ रहकर भी बहुत कुछ कर सकते हैं और शायद कर भी रहे हैं। बस यह कसक बनी रहनी चाहिये।
pursukoon lekh ke liye badhai....
जवाब देंहटाएंpranam.
@ आलोक जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत आभार !
@ राव साहब,
आपका लिंक देख लिया है !
@ डाक्टर जय श्रीवास्तव ,
भाई आपको शुक्रिया कहने की हिम्मत नहीं पड़ रही :)
@ स्मार्ट इन्डियन जी ,
अपने लिए यही एक जूनून है ! शुभकामनायें बनाये रखियेगा !
@ संजय जी ,
बहुत बहुत शुक्रिया !
आपकी पोस्ट पढ़ कर उसके लिए उचित कमेन्ट कहाँ से लाऊँ ....??
जवाब देंहटाएंमाँ शारदा इतनी दयालु नहीं हैं मुझपर ....
प्रवीण शाह की मेहनत का फायदा क्यों न उठाऊँ ???
"सच कहूँ तो आपकी पोस्ट पर तात्कालिक कमेंट नहीं कर पाता कभी भी... बार-बार पढ़ता हूँ, दिमाग में पूरा दिन सोचता रहता हूँ तभी कुछ कह पाता हूँ... यह आपकी लेखनी की ताकत ही है... मानव मन के अतिसूक्ष्म द्वंदों को भी आप बाहर उभार लाते हैं..."
आदरणीय अली सैयद साहब
जवाब देंहटाएंआदाब !
प्रिय अली भाईजान
love you …
एक साथ इज़्ज़त और प्यार के भाव आएं तो एक संबोधन से काम चल नहीं पाता न …
आप भी , बस … आप ही हैं ! नज़र न लगे लेखनी को
"पुरनूर सितारों को देखते हुए : आहें भी भरीं शिकवे भी किये !"
पढ़ते पढ़ते पीसी स्क्रीन ने पता नहीं , कितनी बार हमारे चौखटे को अकेले में मुस्कुराते देखा होगा …
कमाल ! अमर हो जाइए ! मेरी बीसियों रचनाओं की दाद आपके नाम !
अपने 'आत्म' को कभी भी लालू / राजा जैसों से जलन ना हुई ! कहां मैं और कहां ये कम…? … … … :)
वाह वाऽह मन ताली बजा रहा है पढ़ने के साथ ही ।
हाथ से तो टाइप कर रहा हूं न ! :)
# मेरी गैरहाज़िरी को कभी ग़ैरहाज़िरी न समझें …
लाख के हीरे को हज़ार-पांचसौ ऑफर करते हुए ही शर्मिंदगी होती है ।
… इसलिए … देखा , पढ़ा , मन ही मन आनन्दित हुए …
और, शब्दों और समय की पोटली की इज़्ज़त बचाए चुपचाप खिसक लिए …
यही होता है मेरे साथ आपकी पोस्ट पर अक्सर …
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
@ सतीश भाई ,
जवाब देंहटाएंशाह जी के कमेन्ट को अपनाने के लिये आपका आभारी हूं :)
@ राजेन्द्र भाई ,
आप जैसा शब्दों और सुर का माहिर इंसान ही इतनी मुहब्बत भरी चिट्ठी लिख सकता है !
जनाबे आली हाजिरी दिलों में बनी रहे बस , इसके आगे टिप्पणी बाक्स की बिसात ही क्या है ! आपका ममनून हूं !
आपके जीवन में सुदीर्घ बसंत की कामना करता हूं !
आप की पोस्ट पर कभी भी कमेंट्स का शतक नहीं देखा...मगर आप उन गिने चुने ब्लोगर्स में से हैं जिन्हें हम जब भी पढ़ते हैं..ठहर कर पढ़ते हैं...
जवाब देंहटाएंहमारे लिए आप भी वोही पुरनूर सितारा हैं .. जिनसे आप जलते हैं..
और कभी कभी जलन हमें भी होती है आपको देखकर...
गुड मोर्निंग..
:)
:(
जवाब देंहटाएं@ मनु जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ! दोनों स्माइली सिर माथे पर क़ुबूल :)
DINKAR JI
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