चारगांव  ( कोंडागांव) निवासी मेह्तु राम सोढी और उसके बड़े भाई फोह्डू राम सोढी के दरम्यान पिछले कई दिनों से विवाद हो रहा था !  परसों शाम को उसने अपने बड़े भाई पर टंगिया ( कुल्हाडी ) से वार किया और बड़ा भाई मौका-ऐ- वारदात पर ही ढेर हो गया ! अब  वो पुलिस की हिरासत में है  और  ये  मुमकिन नहीं कि थाना /अदालत और जेल के चक्रव्यूह से उसे मुक्ति मिल सकेगी ! जिस भाई के साथ शराब पीने के लिए बैठा उसी की  हत्या .... पूजा के लिए  ?  ....यकीन नहीं होता  किंतु घटना अघट  भी  तो नहीं  हो सकती  ! 
समझ  में  नहीं  आ  रहा  कि  मैं  घटनाक्रम  के लिए  'पूजा'  को   दोषी  मानूं  कि 'हालात'  को  ?
वर्षों बाद ...शायद वह जेल से बाहर आ भी जाए तो भी क्या...  हतभागे  और  हन्ता  के परिवारों का जीवन सहज रह सकेगा ?  छोटे भाई का तर्क था कि बड़े भाई के पास जमीन ज्यादा है इसलिए उसे रुपये पैसे की तंगी नहीं है !  अगर बड़ा भाई छै मंदिरों में से तीन मंदिरों की पूजा का अधिकार छोटे भाई को दे दे तो चढावे की रकम से उसकी विपन्नता दूर हो सकती है !  किंतु बड़ा भाई मंदिरों से होने वाली आय  और  पूजा पर अपना एकाधिकार  छोड़ने को सहमत नहीं था सो ....जान गवां बैठा !
 
 
 
इस घटनाक्रम के लिए न तो पूजा को दोष दिया जा सकता है ओर न ही हालातों को...इसमें दोष है तो सिर्फ इन्सान की लोभी प्रवृ्ति का,जिसके कारण उसने धर्म,पूजा-पाठ,भक्ति को भी अपने स्वार्थ का साधन बना लिया है। मन से अच्छाई-बुराई,नीति-अनीति का भेद ही समाप्त हो चुका है।
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