शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

मैं घटनाक्रम के लिए 'पूजा' को दोषी मानूं कि 'हालात' को ?

चारगांव ( कोंडागांव) निवासी मेह्तु राम सोढी और उसके बड़े भाई फोह्डू राम सोढी के दरम्यान पिछले कई दिनों से विवाद हो रहा था ! परसों शाम को उसने अपने बड़े भाई पर टंगिया ( कुल्हाडी ) से वार किया और बड़ा भाई मौका-ऐ- वारदात पर ही ढेर हो गया ! अब वो पुलिस की हिरासत में है और ये मुमकिन नहीं कि थाना /अदालत और जेल के चक्रव्यूह से उसे मुक्ति मिल सकेगी ! जिस भाई के साथ शराब पीने के लिए बैठा उसी की हत्या .... पूजा के लिए ? ....यकीन नहीं होता किंतु घटना अघट भी तो नहीं हो सकती !
समझ में नहीं आ रहा कि मैं घटनाक्रम के लिए 'पूजा' को दोषी मानूं कि 'हालात' को ?
वर्षों बाद ...शायद वह जेल से बाहर आ भी जाए तो भी क्या... हतभागे और हन्ता के परिवारों का जीवन सहज रह सकेगा ? छोटे भाई का तर्क था कि बड़े भाई के पास जमीन ज्यादा है इसलिए उसे रुपये पैसे की तंगी नहीं है ! अगर बड़ा भाई छै मंदिरों में से तीन मंदिरों की पूजा का अधिकार छोटे भाई को दे दे तो चढावे की रकम से उसकी विपन्नता दूर हो सकती है ! किंतु बड़ा भाई मंदिरों से होने वाली आय और पूजा पर अपना एकाधिकार छोड़ने को सहमत नहीं था सो ....जान गवां बैठा !

1 टिप्पणी:

  1. इस घटनाक्रम के लिए न तो पूजा को दोष दिया जा सकता है ओर न ही हालातों को...इसमें दोष है तो सिर्फ इन्सान की लोभी प्रवृ्ति का,जिसके कारण उसने धर्म,पूजा-पाठ,भक्ति को भी अपने स्वार्थ का साधन बना लिया है। मन से अच्छाई-बुराई,नीति-अनीति का भेद ही समाप्त हो चुका है।

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