बुधवार, 29 अप्रैल 2009

फादर्स फादर !

पृष्ठभूमि :
ट्राइबल एरिया में क्रिश्चियन मिशनरीज द्वारा संचालित स्कूलों में सामान्यतः मिशन के ब्रदर ,सिस्टर और फादर ही बतौर टीचर काम किया करते हैं ! इसलिए स्कूल के बच्चे सर या गुरु जी के बजाये टीचर को फादर , सिस्टर या ब्रदर कहने के अभ्यस्त हो जाते हैं ! यहां बस्तर में कैथोलिक मिशन द्वारा संचालित कान्वेंट स्कूलों में भी इसी परम्परा का निर्वाह किया जाता है ! हालांकि इन टीचर्स में कुछ लोग स्वयं भी उच्च शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थी के रूप में पंजीकृत होकर दोहरी भूमिकाओं का निर्वाह करते हैं ! यानि कि स्कूल में टीचर और कालेज में विद्यार्थी !

प्रसंग :
सन १९८२ में चार मित्रों नें कालेज के प्रोफेसर के तौर पर नई नई नौकरी ज्वाइन की थी ! सारे के सारे छडे , नए नकोर प्रोफेसर ! ले देकर किराये के मकान की व्यवस्था हुई ! पास पड़ोस में भारतीय स्टेट बैंक के कई अधिकारियों के परिवार भी रहते थे ! इन परिवारों से अपनापा बढ़ा तो मित्रगण , बच्चों के अंकल बन बैठे ! ये बच्चे कान्वेंट स्कूल में पढ़ते थे उन्हें स्कूल के फादर्स के बारे में तो पता था पर वे ये नहीं जानते थे कि अंकल अगर "प्रोफेसर" हैं तो उसका मतलब क्या हुआ ? बच्चे रोज पूछते अंकल आप कहां काम करते हैं ? अगर पढाते हैं तो स्कूल में क्यों नहीं आते ? और किन बच्चों को पढाते हैं ? मित्रों के पास बच्चों के लेवल का कोई जबाब हो , तो कहें ! एक ही सवाल , जबाब कुछ भी नहीं ! बच्चों के पैरेंट्स मजे लेते ! कुछ दिन यूंहीं चला , पैरेंट्स को लगा कि समस्या का निदान जरूरी है , वर्ना अंकल लोगों की इज्जत मिटटी में मिलती जा रही है ! सो एक दिन जैसे ही बच्चों नें अपना सवाल दोहराया , उनके पिता नें कहा बेटा , तुम्हारे स्कूल में फादर हैं ना ? बच्चों नें कहा यस पापा ! देन डार्लिंग दे आर योर फादर्स फादर ! .......और बच्चे सब कुछ समझ गए !

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