लगभग चालीस बरस पहले स्कूल के दिनों में पढ़ी थी कथा, वो स्कूल, अब टूट गया है ! वो किताबें घरवालों ने कब की रद्दी में बेंच दीं और मास्साब अब दुनिया में नहीं हैं मगर कथा जेहन में शब्दशः जीवित है ! इधर शहर में रातें तो हैं, मगर अँधेरी नहीं! नियोन लाइट्स, तारों को चमकनें भी नहीं देतीं ! हाँ कुत्ते अब भी भूंकते हैं ! लेकिन,बाबा भारती, उनका आश्रम, उनका घोड़ा और वो डाकू पता नहीं कहाँ होंगे इन दिनों ! मुझे कई बार लगा कि मैं लम्बी छुट्टी पर जाऊँ और किसी पुराविद की मदद लेकर इन सब को खोज निकालूँ और अपने बच्चों को दिखाऊँ के मेरा बचपन इन लोगों की "हार की जीत" के साये में गुज़रा है पर बच्चे हैं कि मानते ही नहीं कि मेरा कोई बचपन भी रहा होगा और तब के शिक्षा संस्थानों में नैतिकता और मूल्यों से जुड़ी कोई कहानियाँ भी पढ़ाई जाती रही होंगी !
सच पूछो तो इसमें उनका कोई दोष भी नहीं है ! आखिर उनका बचपन "कान्वेंट" में गुज़ारने का फ़ैसला भी तो मेरा ही था फ़िर मुझे टाम डिक और हैरी से शिकायत क्यों होना चाहिए ! मुझे नहीं पता कि मेरा बचपन और मेरे समय की शिक्षा प्रणाली सही थी याकि मेरे बच्चों के समय की ? पर बहुत सारी चीजें बदलती दिखाई देती हैं तो लगता है कि शिक्षा का बदलाव भी शायद समय के अनुरूप ही हुआ होगा ? आज के शिक्षकों के प्रति बच्चों का गरिमाहीन रवैया मुझे बुरा क्यों लगता है मुझे पता नहीं ! लेकिन मैं ये जरुर जानता हूँ कि उस समय "बाबा भारती" किताबों के पन्नों से निकल कर गुरु जी भी हो जाया करते थे ! शायद इसीलिए वे सब आज भी मेरे लिए आदरणीय और स्मरणीय हैं !
सच पूछो तो इसमें उनका कोई दोष भी नहीं है ! आखिर उनका बचपन "कान्वेंट" में गुज़ारने का फ़ैसला भी तो मेरा ही था फ़िर मुझे टाम डिक और हैरी से शिकायत क्यों होना चाहिए ! मुझे नहीं पता कि मेरा बचपन और मेरे समय की शिक्षा प्रणाली सही थी याकि मेरे बच्चों के समय की ? पर बहुत सारी चीजें बदलती दिखाई देती हैं तो लगता है कि शिक्षा का बदलाव भी शायद समय के अनुरूप ही हुआ होगा ? आज के शिक्षकों के प्रति बच्चों का गरिमाहीन रवैया मुझे बुरा क्यों लगता है मुझे पता नहीं ! लेकिन मैं ये जरुर जानता हूँ कि उस समय "बाबा भारती" किताबों के पन्नों से निकल कर गुरु जी भी हो जाया करते थे ! शायद इसीलिए वे सब आज भी मेरे लिए आदरणीय और स्मरणीय हैं !
मैं जब भी कहता हूँ कि हमारे जमानें में सब बच्चे कमीज पैजामा पहन कर स्कूल जाते थे और गुरु जी भी धोती कुरता याकि कमीज पैजामा ही पहनते थे, हम खरिया मिटटी और सरपट की कलम से लिखते थे, फ़िर होल्डर और स्याही की दवात का नंबर आता था ! मेरे बच्चे सुनते ही , जोर जोर से हँसते हैं उन्हें यकीन ही नहीं होता कि इतनें बुरे ? स्कूल और दिन भी हुआ करते थे बच्चों का ख्याल है कि पापा जी सठियाने लगे हैं ! अब मैं कैसे कहूं कि बच्चो मैंने तुम्हारा बचपन तुम्हारे समय के अनुकूल गुज़रने दिया ! क्या इतना काफी नहीं है मेरे बचपन और मेरे स्कूल की प्रशंसा के लिए ? चलो मेरी स्मृतियाँ तुम्हारे लिए व्यर्थ ही सही पर मुझे तुम्हारी तरह वो भी तो अच्छी लगती हैं ! सच तो यही है ना ?
बाबा भारती नहीं है बल्कि सुल्ताना डाकू अधिक हो गए हैं सो बाबा भारती की कहानियां पढ़ कर बच्चो को मजा नहीं आएगा शायद इसी कारन इन्हें कोर्स से हटा दिया गया है
जवाब देंहटाएंbaba bharti aaj bhj baste hai,mere jehan mein,aapke jehan mein,bachho ko kahani sunana bhar hai.
जवाब देंहटाएंdevendra
BABA BHARTI AAJ BHI JINDA HAI MERE JEHAN MEIN,AAPKE JEHAN MEIN,BACHHO KO KAHANI SUNANA BHAR HAI,HAAR KI? JEET? DEV
जवाब देंहटाएंआज भी मैं इस कहानी का स्मरण विस्वविद्यालय की अपनी क्लासेज में करता रहता हूँ ,इन कथाओं के जरिये जीवन के प्रति जो दिशा निर्देश दिया जाता था अब वह दृष्टी ही नहीं रही ,आपने बाबा की सबको सुधि दिलाई इसके लिए आपको धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंहमलोगों ने पढी थी ... मुझे यह पूरी कहानी अच्छी तरह याद है ... नैतिक ज्ञान देने वाली बाबा भारती के जैसी अन्य कहानियों पढकर और उनसे शिक्षा लेकर बच्चे आज के युग में सांसारिक सफलता नहीं प्राप्त कर सकते ...शायद इसलिए कोर्स से इसे हटा दिया गया हो।
जवाब देंहटाएंअब वो बात गयी ...अब तो बर्गर का ज़माना है ...खाना है तो खाओ नहीं तो भूखे सो जाओ ..वाली बात हो गयी है
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