पारिवारिक निर्धनता ने उन्हें अरब सागर के तटवर्ती राज्य से उठाकर सुदूर आदिवासी अंचल में ला पटका ! युवावस्था के लगभग ढल चुकने तक दोनों ने जी तोड़ मेहनत की और जैसे तैसे इस काबिल हुए कि पैसों के परे , प्रेम के विषय में भी सोच सकें ! विषम लिंगियों के मध्य आकर्षण की सहज पृवृत्ति ने दोनों की तकदीरों को एक करने का निश्चय कर डाला था ! अतः प्रेमानुभूति के घनीभूत होने से पेश्तर सिस्टर लैला ने ब्रदर मजनूं से शादी कर डाली !
इस प्रेम कथा के नायक नायिका से अपरिचित , जो भी सुनता , पहले सिर धुनता ! फ़िर नैतिकता पर कुछ लंबे प्रवचन देता हुआ संस्कृति रक्षकों के मौन की निंदा करता और कालांतर में हमारी ही तरह से अपनी तात्कालिक प्रतिक्रिया पर खिसियाता हुआ झेंप मिटाने की कोशिश करता ! अरे भाई , हममें से ज्यादातर इन्सानों को खुदा ने दिमाग से तेज जुबानें दी हैं तो इसमे हमारी गलती कहां है ! खैर ........
इस प्रकरण में कहना शेष ये है कि सिस्टर लैला (नर्स ) पर नियत तो डाक्टर की ख़राब थी पर उसे ब्रदर मजनूं (धार्मिक शिक्षा के विद्यार्थी ) से प्रेम था और उसने वही किया जो उसके दिल ने कहा !
प्यार किया तो डरना क्या।
जवाब देंहटाएंबेचारा डॉक्टर!
जवाब देंहटाएंअंत तो वाकई जोरदार है इस प्रविष्टि का. हमें भी अपने दिमाग पर तरस आ रहा है.
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रविष्टि. धन्यवाद
sahi hai...hamne bhi soch liya tha!
जवाब देंहटाएं