ब्लाग में 'लोकतंत्र के लिए ' शीर्षक से दो आलेख लिखे गए हैं इन आलेखों में देश के लिए भलेपन की सोच और उसकी खुश्बू मुझे अच्छी लगी इसीलिए इसकी अगली कड़ी के रूप में ,मैं भी कुछ सुझाव देने की हिमाकत कर रहा हूँ ! पसंद ना आयें तो स्पष्ट कहे आपका कहना सिर माथे पर ! पहले दोनों आलेख राजनैतिक दलों और चुनाव सुधार तथा राज्यों को अधिक स्वायत्तता सह पुनर्गठन को समर्पित थे इसीलिए अपनी बात इसके आगे से शुरू करूंगा !
मेरे विचार से देश और राज्य स्तर पर खर्चों में कटौती सबसे पहला कदम होना चाहिए
(अ)सारे नेताओं को सच्चे जनप्रतिनिधि होने की सार्थकता सिद्ध करनी चाहिए इसलिए उनकी सुरक्षा के भारी भरकम व्यय तत्काल बंद किए जायें ! उनके साथ गाड़ियों के काफिले ,हेलीकाप्टरों ,जहाजों के लाव लश्कर पर प्रतिबन्ध लगाये जायें यदि वे ऐसा करना भी चाहें तो शासन के कोष से कदापि नहीं ! उन्हें भव्य बंगलों की जगह अटल आवास जैसे सस्ते फ्लैट दिए जायें !
(ब ) सारे अधिकारियों से चौपहिया वाहनों और वातानुकूलित वाहनों को छीन कर अधिक माइलेज वाले दुपहिया वाहन दिए जायें ! नौकर चाकर ड्राइवर सब ताम झाम निषिद्ध हो !
उन्हें भी बड़े बंगले दिए जाने की परम्परा बंद की जाए तथा सस्ते जनता फ्लैट में रखा जाए !
(स ) सारे कार्यालय सौर्य उर्जा का अधिक इस्तेमाल करें ! वातानुकूलन की सुविधाए समाप्त की जायें !
(द ) पति अथवा पत्नी में से किसी एक को ही शासकीय सेवा में रखा जाए यानि परिवार में से कोई एक !
(य ) सभी ग्रेड के अधिकारी कर्मचारियों की तनख्वाह में सौ (१००/ रुपये ) मासिक से ज्यादा अन्तर नही होना चाहिए ! इसे कंडिका (द ) से जोड़कर पढ़ा जाए !
(र) तकनीकी शिक्षा में शासकीय खर्च की भरपाई के लिए ,डाक्टर ,इंजीनियर , या अन्य की जिम्मेदारी तय की जाए अगर कोई इसे छोड़ कर दूसरी प्रशासनिक सेवा में जाना चाहे तो खर्चों की भरपाई के अतिरिक्त पढ़ाई के समय किसी अन्य दावेदार छात्र की सीट ब्लाक करने तथा शासकीय समय नष्ट करने का जुर्म दर्ज किया जाए ( कानून बनाकर )!
(ल )डाक्टर, इंजीनियर ,प्रोफेसर ,आदि की सेवाओ का महत्त्व है इसीलिए इनके कार्यों के आधार पर इनके भविष्य का निर्धारण किया जाए यथा कोई सड़क ,पुल अपनी निर्धारित समय सीमा से पहले टूटे तो उसमे कार्य कर चुके इंजीनियर पर देश द्रोह का मामला पंजीबद्ध किया जाए तथा धन की वसूली की जाए ! यही शर्त डाक्टर और प्राध्यापकों पर भी लागू हो !
(व) प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी विकास और अपराध की रोकथाम के लिए उत्तरदाई बनाये जायें ! यथा दंगा /बलवा हुआ तो उत्तर दाई यही अधिकारी माने जायें !
(स) आन्तरिक लोकतंत्र के आधार पर पंजीकृत दलों के स्थानीय प्रतिनिधि (पक्ष और विपक्ष दोनों ) नौकरशाही को दिशा निर्देश देने में सक्षम हों ! यानि नौकरशाही वास्तविक जनप्रितिनिधियों के प्रति उत्तरदाई हों !
हो सकता है मेरे सुझाव अव्यवहारिक लगे पर इनका उद्देश्य जनधन की हानि रोकना तथा जनता की सत्ता स्थापित करना मात्र है ! इनका मूल आधार जनता का कल्याण मात्र है ! अधिकारी और नेता भी तो इसी जनता के छोटे से हिस्से हैं मगर जनता के धन का अधिकांश इसी छोटे हिस्से द्वारा व्यय किया जा रहा है !
इस तरह के तमाम सुझाव कानून बना कर के ही लागू किए जा सकते है ! जिसके लिए बहस जरुरी है !
मेरे विचार से देश और राज्य स्तर पर खर्चों में कटौती सबसे पहला कदम होना चाहिए
(अ)सारे नेताओं को सच्चे जनप्रतिनिधि होने की सार्थकता सिद्ध करनी चाहिए इसलिए उनकी सुरक्षा के भारी भरकम व्यय तत्काल बंद किए जायें ! उनके साथ गाड़ियों के काफिले ,हेलीकाप्टरों ,जहाजों के लाव लश्कर पर प्रतिबन्ध लगाये जायें यदि वे ऐसा करना भी चाहें तो शासन के कोष से कदापि नहीं ! उन्हें भव्य बंगलों की जगह अटल आवास जैसे सस्ते फ्लैट दिए जायें !
(ब ) सारे अधिकारियों से चौपहिया वाहनों और वातानुकूलित वाहनों को छीन कर अधिक माइलेज वाले दुपहिया वाहन दिए जायें ! नौकर चाकर ड्राइवर सब ताम झाम निषिद्ध हो !
उन्हें भी बड़े बंगले दिए जाने की परम्परा बंद की जाए तथा सस्ते जनता फ्लैट में रखा जाए !
(स ) सारे कार्यालय सौर्य उर्जा का अधिक इस्तेमाल करें ! वातानुकूलन की सुविधाए समाप्त की जायें !
(द ) पति अथवा पत्नी में से किसी एक को ही शासकीय सेवा में रखा जाए यानि परिवार में से कोई एक !
(य ) सभी ग्रेड के अधिकारी कर्मचारियों की तनख्वाह में सौ (१००/ रुपये ) मासिक से ज्यादा अन्तर नही होना चाहिए ! इसे कंडिका (द ) से जोड़कर पढ़ा जाए !
(र) तकनीकी शिक्षा में शासकीय खर्च की भरपाई के लिए ,डाक्टर ,इंजीनियर , या अन्य की जिम्मेदारी तय की जाए अगर कोई इसे छोड़ कर दूसरी प्रशासनिक सेवा में जाना चाहे तो खर्चों की भरपाई के अतिरिक्त पढ़ाई के समय किसी अन्य दावेदार छात्र की सीट ब्लाक करने तथा शासकीय समय नष्ट करने का जुर्म दर्ज किया जाए ( कानून बनाकर )!
(ल )डाक्टर, इंजीनियर ,प्रोफेसर ,आदि की सेवाओ का महत्त्व है इसीलिए इनके कार्यों के आधार पर इनके भविष्य का निर्धारण किया जाए यथा कोई सड़क ,पुल अपनी निर्धारित समय सीमा से पहले टूटे तो उसमे कार्य कर चुके इंजीनियर पर देश द्रोह का मामला पंजीबद्ध किया जाए तथा धन की वसूली की जाए ! यही शर्त डाक्टर और प्राध्यापकों पर भी लागू हो !
(व) प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी विकास और अपराध की रोकथाम के लिए उत्तरदाई बनाये जायें ! यथा दंगा /बलवा हुआ तो उत्तर दाई यही अधिकारी माने जायें !
(स) आन्तरिक लोकतंत्र के आधार पर पंजीकृत दलों के स्थानीय प्रतिनिधि (पक्ष और विपक्ष दोनों ) नौकरशाही को दिशा निर्देश देने में सक्षम हों ! यानि नौकरशाही वास्तविक जनप्रितिनिधियों के प्रति उत्तरदाई हों !
हो सकता है मेरे सुझाव अव्यवहारिक लगे पर इनका उद्देश्य जनधन की हानि रोकना तथा जनता की सत्ता स्थापित करना मात्र है ! इनका मूल आधार जनता का कल्याण मात्र है ! अधिकारी और नेता भी तो इसी जनता के छोटे से हिस्से हैं मगर जनता के धन का अधिकांश इसी छोटे हिस्से द्वारा व्यय किया जा रहा है !
इस तरह के तमाम सुझाव कानून बना कर के ही लागू किए जा सकते है ! जिसके लिए बहस जरुरी है !